खूबसूरती के बाजार की मल्लिका शहनाज हुसैन
५ जून २०१२ब्यूटी ट्रीटमेंट के बाजार में उतरने से पहले शहनाज हुसैन एक सामान्य घरेलू महिला थी. जिन्होंने तेजी से अपनी जगह बाजार में बनाई और ब्यूटी प्रोडक्ट्स के जरिए दुनिया भर में आयुर्वेद को फैलाया. 40 साल से वह खूबसूरती की दुनिया की बड़ी हस्ती हैं. 60 से ज्यादा देशों में उनके ढाई सौ से ज्यादा उत्पाद हैं. वह भारत की बिजनेस गुरू मानी जाती हैं. और साथ ही व्यावसायिक दुनिया में गिनी चुनी महिलाओं का प्रतिनिधित्व करती हैं जो अपने दम पर खड़ी हैं. नए व्यावसाइयों के लिए उनकी राय है, बात आप क्या चाहते हैं उसकी नहीं है बल्कि कितना चाहते हैं उसकी है. स्पष्टवादी विचार और आकर्षक रूप के लिए जानी जाने वाली शहनाज हुसैन ने अपना दबदबा फ्रेंचाइजी सिस्टम से बनाया. इस कारण उनके हर्बल उत्पाद तेजी से दुनिया में फैशन और प्रतिष्ठा का परिचायक बन गए.
आयुर्वेद के इस तरह व्यावसायिकरण पर भारत के कई डॉक्टरों, आयुर्वेद विशेषज्ञों को आपत्ति है. लेकिन शहनाज ऐसा नहीं मानतीं. अपने बालों में हाथ घुमाती हुई शहनाज कहती हैं, "मैं लोगों को 5,000 हजार साल पुरानी भारतीय संस्कृति बोतल में बेच रही हूं."
शहनाज हुसैन ग्रुप अब भारत, दुबई और लंदन में फैल गया है. जहां उनके उत्पाद आलीशान स्टोर सेल्फ्रिजेस में बिकते हैं और हार्ले स्ट्रीट में वह क्लीनिक चलाती हैं. सिंगापुर में मार्केटिंग रिसर्च कंपनी की विश्लेषक इना डॉवर कहती हैं, "हुसैन ने सीमा पार आयुर्वेद उत्पाद बेचने की शुरुआत की. वह अब एक संपन्न आयुर्वेद ब्रांड हैं."
अब शहनाज की बेटी निलोफर कुरिमभॉय ने अपनी मां के जीवन पर 'फ्लेम' नाम की एक किताब लिखी है. यह उस महिला की कहानी है जिसकी सगाई 14 साल की उम्र में हो गई, 16 में शादी हुई और उसी साल वह एक बच्चे की मां भी बनी. नीलोफर कहती हैं, "वह भारत में घुल मिल जाने का सबसे बढ़िया उदाहरण हैं. एक मुसलमान महिला जिसे आइरिश नन ने बड़ा किया और जिसने अपना जीवन वैदिक चिकित्सा पद्धति को आगे बढ़ाने में लगा दिया."
उनकी खासियत है ऐसे उत्पाद जो कभी सिर्फ भारत के आयुर्वेदिक केंद्रों में उपलब्ध थे. इनसे शहनाज हुसैन ने ऐसे उत्पाद बनाए जो विदेशी स्पा से लेकर हर उपभोक्ता के हिसाब से ढल सकते थे. दिल्ली के बंगले में शहनाज कहती हैं, "शहर में इस तरह का काम करने वाली मैं अकेली थी और मैं अच्छी थी. मैं इतनी व्यस्त थी कि पैसे गिनने का मुझे कभी वक्त नहीं मिला."
आज उनके उत्पाद भारत के डेढ़ लाख स्टोर्स में बिकते हैं. उनकी 300 सैलून फ्रेंचाइजी है और 53 ब्यूटी स्कूल.
ब्रिटिश इंडिया के अमीर घराने में पली बढ़ी शहनाज कहती हैं कि उनके पिता उदारवादी थे, "मेरी इतनी जल्दी शादी करने के लिए उन्होंने खुद को कभी माफ नहीं किया. उनके मेरे लिए कई सपने थे. वह मुझे ऑक्सफोर्ड भेजना चाहते थे. लेकिन मां को बेटी के हाथ से निकलने का डर था. फिर पापा ने हथियार डाल दिए."
घरेलू जीवन में ऊब जाने पर ब्यूटिशियन बनने की जिद पर पति और पिता दोनों ने शहनाज हुसैन का साथ दिया. कई यूरोपीय ब्यूटी स्कूलों में उन्होंने पढ़ाई की. इसके बाद दिल्ली में 1970 में खुद का ब्यूटी सैलून खोला. और खूबसूरत बनने की इच्छा रखने वाली महिलाओं की उनके यहां बाढ़ आ गई.
कई मल्टीनेशनल कंपनियों 'एस्टी लॉडर' और 'द बॉडी शॉप' ने आयुर्वेदिक उत्पादों को अपने यहां जगह दी लेकिन इससे शहनाज हुसैन की बादशाहत कम नहीं हुई. वह कहती हैं कि हम सिर्फ कॉस्मेटिक कंपनी नहीं हैं.
स्टेम सेल एंटी एजिंग लोशन मार्केट में लाने के वादा करने वाली हुसैन अपनी सफलता के बारे में हार्वर्ड बिजनेस छात्रों को भी लेक्चर दे चुकी हैं.
रिपोर्टः आभा मोंढे (एएफपी)
संपादनः ओंकार सिंह जनौटी