गजल गायक तीसरी बार गिनीज बुक में
३ नवम्बर २०१०इस साल 23 और 24 सितंबर को श्रीनिवास ने आंध्र प्रदेश के पालकोल में 24 घंटों के अंदर 54 महफिलों में अपनी गजलें पेश कीं. पिछली बार गिनीज बुक में उनका नाम इसलिए आया था क्योंकि उन्होंने 100 अलग अलग भाषाओं में 100 गाने गाए हैं. इनमें से 56 गीत भारतीय भाषाओं में हैं जबकि 44 गाने विदेशी भाषाओं में गाए गए. खास बात यह है कि ये सभी गीत महात्मा गांधी के विचारों से जुड़े थे. यह कमाल उन्होंने 2 जून 2008 को विजयवाड़ा में किया था.
इसके अलावा श्रीनिवास ने एक म्यूजिक एल्बम रिलीज की जिसका नाम 'दि पाथ ऑफ महात्मा गांधी' यानी महात्मा गांधी की राह रखा गया. इसमें उन्होंने 125 भाषाओं में 125 गीत गाए. इसके लिए उन्हें एक बार फिर गिनीज बुक में जगह दी गई. वह महात्मा गांधी से बेहद प्रभावित हैं. वह दुनिया भर में छह हजार से ज्यादा लाइव कंसर्ट कर चुके हैं. उन्होंने 1986 में तेलुगु गजल गानी शुरू की और अपना खुद का स्टाइल विकसित किया. वह हिंदी और उर्दू गजलें भी गाते हैं. लेकिन तेलुगु गजल को बढ़ावा देने उनका खास मकसद है. इसके लिए वह हर साल एक तेलुगु गजल मुशायरा भी कराते हैं ताकि नई प्रतिभाओं को आगे लाया जा सके.
इस साल के रिकॉर्ड के लिए श्रीनिवास को विजयवाडा के सांसद एल राजगोपाल ने गिनीज बुक का सर्टिफिकेट पेश किया. गजल गायक श्रीनिवास के कॉन्सर्ट या महफिलें ज्यादातर गांधी के विचारों पर होती हैं. उन्होंने 2005 में पाकिस्तान के मुल्तान से नई दिल्ली तक शांति मार्च का आयोजन किया और एक साल बाद लाहौर में भी एक शांति मार्च में हिस्सा लिया.
रिपोर्टः पीटीआई/एमजी
संपादनः ए कुमार