1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

गरीब देश सूनामी से लड़ने के काबिल नहीं

११ मार्च २०११

जापान में आए भूकंप और सूनामी ने एशियाई देशों के माथे पर चिंता की लकीरें खींच दी है. रे़ड क्रॉस ने कहा है इलाके में ज्यादातर गरीब देश सूनामी से लड़ने लायक इंतजाम करने में अक्षम हैं.

https://p.dw.com/p/10XbI
तस्वीर: dapd

जापान में आई तबाही का नतीजा ये हो सकता है कि आसपास के इलाके से बड़ी संख्या में लोगों को घर छोड़ कर जाना पड़े. सूनामी और तबाही से बचने का यही एक रास्ता हो सकता है. अगर सूनामी की लहरें 4 से 10 मीटर ऊंची भी हो गईं तो फिर कई द्वीपों में तबाही का आलम होगा. कई द्वीप तो पूरी तरह से डूब ही जाएंगे. अंतरराष्ट्रीय रेड क्रॉस संगठन के प्रवक्ता पॉल कॉर्नियली ने ये चेतावनी दी है.

Japan Erdbeben Tsunami Flash-Galerie
तस्वीर: Kyodo News/AP/dapd

रेड क्रॉस की तरफ से जारी बयान में पॉल ने कहा है, "हमें खास तौर से तटीय देशों की चिंता है जो सूनामी से लड़ने के काबिल नहीं हैं बहुत संभव है कि इन्हें राष्ट्रीय राहत एजेंसी से भी मदद नहीं मिल सकेगी." पॉल के मुताबिक ऐसे देशों की कतार में फिलीपींस, पापुआ न्यू गिनी और प्रशांत सागर के द्वीप सबसे ऊपर हैं. सूनामी की चेतावनी में 1-10 मीटर ऊंची लहरों के उठने की बात कही जा रही है. पॉल ने कहा "हमें इस पर बराबर नजर रखनी होगी. अगर आशंका के मुताबिक ही 4-10 मीटर ऊंची लहरें उठती हैं तो ये कई द्वीपों से ऊंची होंगी. ऐसी हालत में प्राथमिकता ये होगी कि लोगों को ऐसे द्वीपों से पहले ही सुरक्षित बाहर निकाल लिया जाए."

हालांकि कॉर्नियली ने ये भी कहा कि 2004 में आई भयंकर सूनामी की वजह से बहुत कुछ सीखने को मिला है. उस वक्त इंडोनेशिया का आसेह द्वीप औऱ हिंदा महासागर का इलाका इससे प्रभावित हुआ. पॉल ने कहा, "हमें उम्मीद है कि उस वक्त का अनुभव इस बार नुकसान को कम करने में मदद करेगा.हमने बहुत सारी तैयारियां की हैं, बचाव के लिए अच्छी तकनीक का इंतजाम है. अंतरराष्ट्रीय सहयोग के दम पर हमें उम्मीद है कि हम नुकसान को रोकने में कामयाब हो सकेंगे."

रिपोर्टः एजेंसियां/एन रंजन

संपादनः ए जमाल