गरीब राज्य में जर्मन चांसलर का इम्तिहान
५ सितम्बर २०११मौसम के लिहाज से रविवार का दिन अच्छा रहा. धूप खिली रही और गर्मी भी महसूस की गई. लेकिन मतदाता कम ही दिखाई पड़े. आठ बजे मतदान शुरू हुआ और दोपहर दो बजे तक करीब 30 फीसदी लोग ही वोट डालने पहुंचे. शाम के वक्त मतदाता घरों से निकल वोट डालने पहुंचे लेकिन कुल मतदान फिर भी 52 प्रतिशत ही रहा.
एसपीडी की जीत
एक्जिट पोल के अनुसार एसपीडी को 35.7 फीसदी (2006 में 30.2), सीडीयू को 23.1(28.8), लेफ्ट पार्टी को 18.4 (16.8) और ग्रीन पार्टी को 8.4 (3.4) फीसदी मत मिले. ग्रीन पार्टी पहली बार राज्य विधान सभा में जीती है. केंद्र में सीडीयू की सहयोगी एफडीपी पार्टी को सिर्फ 2.8 (9.6) फीसदी मत मिले और वह विधान सभा से बाहर हो गई जबकि 6.0 (7.3) फीसदी मत पाकर उग्र दक्षिणपंथी पार्टी एनपीडी विधान सभा में बने रहने में कामयाब रही है. राज्य में इससे पहले 2006 में प्रांतीय चुनाव हुए थे. तब 59.1 फीसदी लोगों ने मताधिकार का प्रयोग किया. समृद्ध जर्मनी के इस गरीब राज्य में 14 लाख वोटर हैं.
इस जीत के बाद प्रांत के मुख्यमंत्री एरविन जेलेरिंग गठबंधन के लिए सहयोगी पार्टी चुन सकते हैं. इस समय वे सीडीयू के साथ सरकार में हैं. उनके पास सीडीयू के साथ गठबंधन को जारी रखने या लेफ्ट पार्टी के साथ सरकार बनाने का विकल्प है. 2013 के संसदीय चुनावों को देखते हुए यह फैसला अहम हो सकता है, क्योंकि एसपीडी और लेफ्ट की सरकार बनने का संसद के ऊपरी सदन बुंडेसराट के मतों पर असर पड़ेगा. मुख्यमंत्री ने कहा है कि वे इस विचार करेंगे कि किसके साथ पार्टी की अधिक से अधिक नीतियों को लागू किया जा सकता है.
मैर्केल की मुश्किलें
दूसरी बार जर्मनी की चासंलर बनी 57 साल की अंगेला मैर्केल की मुश्किलें अब धीरे धीरे बढ़ रही हैं. 2009 में दोबारा चांसलर चुने जाने के बाद से मैर्केल की लोकप्रियता कम होती जा रही है. मैर्केल की क्रिश्चियन डेमोक्रैटिक पार्टी (सीडीयू) पांच राज्यों में चुनाव हार चुकी है. दो राज्य प्रतिद्वंदी सोशल डेमोक्रैटिक पार्टी सीडीयू से ले चुकी है. अगर मैक्लेनबुर्ग वेस्टर्न पोमेरेनिया भी सीडीयू के हाथ से निकलता है तो बर्लिन में केंद्र सरकार के पास जरूरी वोटों की कमी होने लगेगी. 29 सितंबर को मैर्केल सरकार को यूरो जोन बेलआउट के मुद्दे पर एक कड़े वोट से गुजरना है.
यूरोजोन में छाए आर्थिक संकट और सरकार की नीतियों की वजह से लोग सीडीयू से किनारा कर रहे हैं. राष्ट्रीय स्तर पर हुए सर्वेक्षणों में पता चला है यूरोजोन संकट को लेकर मैर्केल का झिझकता रुख लोगों को पसंद नहीं आ रहा है. हालांकि अगले संघीय चुनाव दो साल बाद हैं. लेकिन एक के बाद एक राज्य खो रही सीडीयू के लिए यह परेशानी वाली बात है.
केंद्र में सीडीयू की गठबंधन पार्टी एफडीपी की भी हालत खराब है. एफडीपी के नेता गीडो वेस्टरवेले जर्मनी के विदेश मंत्री हैं. लोकप्रियता के मामले में वह भी आए दिन गहराई में जा रहे हैं. वेस्टरवेले की खुद अपनी ही पार्टी के भीतर आलोचना होने लगी है. आलोचनाओं के चलते उन्हें एफडीपी के प्रमुख का पद छोड़ना पड़ा. जापान के फुकुशिमा परमाणु संयंत्र में हुए हादसे के बाद से देश में ग्रीन पार्टी की लोकप्रियता बढ़ रही है. एसपीडी के प्रति भी लोगों का विश्वास बढ़ा है.
सोच में डूबा एक गरीब राज्य
16 लाख की आबादी वाले मैक्लेनबुर्ग वेस्टर्न पोमेरेनिया राज्य के लोग जर्मन एकीकरण से आज भी जूझ रहे हैं. 1990 में हुए एकीकरण के बाद इलाके के कई उद्योग उजड़ गए. प्रतिस्पर्द्धा के एक नए माहौल में वह टिक नहीं सके. एकीकरण के दो दशक बाद भी राज्य में बेरोजगारी की दर 12 फीसदी है, दक्षिणी जर्मनी से तीन गुना ज्यादा. राज्य से लोगों का पलायन भी हो गया. प्रशिक्षित कामगार भी बेहतर जीवन की तलाश में देश के पश्चिमी हिस्सों में चले गए. अतीत, वर्तमान और भविष्य को लेकर मैक्लेनबुर्ग वेस्टर्न पोमेरेनिया आज भी संघर्ष कर रहा है.
रिपोर्ट: एजेंसियां/ओ सिंह
संपादन: एन रंजन