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गायकी की चिता फूंक रहे हैं रियलिटी शो

४ सितम्बर २०११

भारत में गजल गाने वाले खत्म हो रहे हैं. नई पीढ़ी चाह कर भी गजल नहीं गा पा रही है. रीमिक्स के जमाने में संगीत और शास्त्रीय गायकी दम तोड़ रही है. मशहूर गायक जगजीत सिंह यही मानते हैं.

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तस्वीर: AP

गायकी के कुछ रियलिटी शो में खुद जज की भूमिका निभा चुके जगजीत सिंह अब ऐसे कार्यक्रमों से उकताहट महसूस कर रहे हैं. बीते चार दशकों से गायकी में रमे जगजीत कहते हैं, "म्यूजिकल रियलिटी शो प्रतिभा को संवार नहीं रहे हैं. वे बस 15 मिनट के लिए लोकप्रियता मुहैया करवाते हैं. इसके बाद विजेता वहां से नीचे की तरफ गिरते चले जाते हैं. चैनलों के लिए यह एक व्यावसायिक उत्पाद की तरह है."

गजल गायकी के भविष्य को लेकर भी वह चिंतित हैं, "इन दिनों बहुत कम गजल गायक बचे हैं क्योंकि उन्हें कोई मंच नहीं मिल रहा है. नई पीढ़ी सीखना चाहती है लेकिन अब यह लोकप्रिय नहीं रहा गया तो युवा इसका प्रशिक्षण भी नहीं ले पा रहे हैं. ऐसी परिस्थितियों में आप नई पीढ़ी को गजल गाते और उसको सुनते हुए कैसे देख सकते हैं."

भारी आवाज और शास्त्रीय गायकी के लिए जाने जाने वाले 70 साल के जगजीत सिंह मानते हैं कि भारत में प्रतिभाशाली गायकों की कमी नहीं है लेकिन चमक-धमक और लटके-झटकों के इस दौर में असल गुणवान आगे नहीं आ पा रहे हैं, "अगर चैनल वाले प्रतिभा को वाकई प्रोत्साहित करना चाहते हैं तो उन्हें प्रतिभागियों को शो खत्म होने के बाद भी प्रशिक्षण देना चाहिए. इससे प्रतिभा का बेहतर तरीके से इस्तेमाल होगा. संगीत एक विस्तृत विषय है. इसका अपना गणित और व्याकरण है. जब तक किसी को यह सब पता नहीं होता, वह एक अच्छा गायक नहीं बन सकता. 15 साल तक संगीत सीखने के बाद ही किसी को गजल गायकी में हाथ अजमाना चाहिए."

जगजीत सिंह शनिवार को मशहूर पाकिस्तान गजल गायक गुलाम अली के साथ दिल्ली में थे. पुराने दिन याद करते हुए उन्होंने कहा, "जब वह (गुलाम अली) भारत आते हैं तो वह मुंबई में मेरे घर आते हैं. हम संगीत के बारे में भी चर्चा करते हैं लेकिन ज्यादातर समय घर परिवार के बारे में बात होती है. हम 1980 में एक संगीत सभा के दौरान लंदन में मिले थे और तब से ही यह दोस्ती चली आ रही है."

रिपोर्ट: पीटीआई/ओ सिंह

संपादन: एन रंजन

 

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