गिरते रूबल से बिगड़ती तैयारियां
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा बाजार में रूबल की कीमत गिरने से रूसी परेशान हैं. कुछ लोग जल्दी से महंगी चीजें खरीद लेना चाहते हैं क्योंकि आगे दाम और बढ़ने का अंदेशा है. वहीं कुछ लोग चुका ना पाने के डर से कर्ज लेने से कतरा रहे हैं.
जुलाई 2014 में जब रूस पर पश्चिमी देशों के प्रतिबंध लगने शुरु हुए तब रूसी लोगों का मानना था कि वे आराम से इसका सामना कर पाएंगे. केवल 6 महीने बाद यह मानने वाले बहुत कम रह गए हैं. अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल के दामों में भारी कमी के कारण रूसी मुद्रा रूबल के कमजोर पड़ने पर उस विश्वास की जगह अनिश्चितताओं ने ले ली है.
रूस ने 1990 के दशक में भी बड़ा आर्थिक संकट झेला था. महंगाई ने आसमान छुआ था और बैंक तबाह हो गए थे. मगर तब रूस में विश्व बाजार का मामूली कर्ज था. आज स्थिति बदल चुकी है और रूस के सिर भारी कर्ज है, भले ही वह पश्चिमी देशों जितना न हो. इस बार आर्थिक संकट से निकल पाना उतना आसान नहीं होगा.
केंद्रीय बैंक के आंकड़े दिखाते हैं कि 2012 में रूस के नाम 238 अरब डॉलर का कर्ज था. कारें या घर खरीदने के लिए कर्ज लेना आम बात थी. अब कर्ज लेने पर ब्याज की राशि इतनी बढ़ गई है कि उसे चुका पाना कईयों के लिए बहुत मुश्किल साबित होगा. इसी कारण रूस में ऐसे नए बैंक कर्जों में कमी आई है.
रूस के आम लोगों में नौकरियां छिन जाने और वर्कफोर्स में प्रवेश लेने वाले नए लोगों में बेरोजगार रह जाने की चिंता है. 38 साल की मरीना कहती हैं, "शुक्र है मैं एक हेयरड्रेसर का काम करती हूं. हर हाल में लोगों को अपने बाल तो कटवाने ही पड़ेंगे, लेकिन कई और लोगों की नौकरी चली जाएगी."
दूसरी ओर ऐसे भी कुछ लोग हैं जो काफी जल्दी में नई कारें और फ्रिज जैसी दूसरी मंहगी चीजें खरीद रहे हैं. उन्हें लगता है कि नए साल में इन चीजों की कीमतें बहुत बढ़ जाएंगी.
कुछ हफ्तों पहले तक रेडियो और समाचारपत्रों में संदेश आ रहा था कि रूस को घुटने टेकने पर मजबूर करने के लिए पश्चिमी देश और सऊदी अरब मिलकर षड़यंत्र रच रहे हैं. विदेशी भाषा के शिक्षक रिटायर्ड प्रोफेसर निकोलाई कहते हैं, "यह सब पुतिन सरकार की गलती है. ये सब लोग भ्रष्ट हैं और देश का नुकसान कर रहे हैं." फिर भी ताजा आधिकारिक आंकड़े बताते हैं कि देश में राष्ट्रपति पुतिन को 87.5 फीसदी लोगों का समर्थन हासिल है.
दूसरी ओर ऐसे भी कुछ लोग हैं जो काफी जल्दी में नई कारें और फ्रिज जैसी दूसरी मंहगी चीजें खरीद रहे हैं. उन्हें लगता है कि नए साल में इन चीजों की कीमतें बहुत बढ़ जाएंगी.