गिलानी के पलटने से अमेरिका खुश
६ दिसम्बर २०११10 दिन तक तनातनी दिखाने के बाद अब दोनों तरफ से नरमी के संकेत मिलने लगे हैं. पहले ओबामा ने पाकिस्तानी प्रधानमंत्री गिलानी से बात कर घटना पर दुख जताया और फिर गिलानी ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि उन्हें अमेरिकी से बेहतर रिश्ते की जरूरत है. हालांकि दोनों कदम फूंक फूंक कर रख रहे हैं. गिलानी ने बेहतर रिश्तों को बात की लेकिन नाटो की रसद की आपूर्ति पर लगाई रोक फिलहाल जारी रखने की बात कही. उधर अमेरिका ने भी दुख जताया है लेकिन माफी नहीं मांगी है. खबर यह भी है कि पाकिस्तान सीमावर्ती इलाकों के संपर्क केंद्रों से अपनी सेना हटा रहा है.
अफगानिस्तान पर बॉन में जिस कांफ्रेंस का बायकॉट कर पाकिस्तान ने अंतरराष्ट्रीय कूटनीति को झटका दिया उसी में शामिल होने आईं अमेरिकी विदेश मंत्री ने गिलानी के बयान का स्वागत किया और कहा, "मुझे उम्मीद है कि पाकिस्तान इसमें शामिल होकर आगे बढ़ेगा और हम उनसे रचनात्मक भूमिका निभाने की आशा रखते हैं."
26 नवंबर को अफगान सीमा पर नाटो के हमले में 24 पाकिस्तानी सैनिकों की मौत के बाद दोनों देशों के रिश्तों में तनाव आ गया है. पाकिस्तान ने अफगानिस्तान में नाटो को रसद की आपूर्ति रोक दी है और शम्सी एयरपोर्ट खाली करने को कह दिया है. सोमवार रात को अमेरिकी सैन्य अधिकारियों ने यह भी खबर दी है कि पाकिस्तान अफगान सीमा पर दोनों सेनाओं के बीच तालमेल के लिए बनाए गए तीन में से दो केंद्रों पर से पाकिस्तान ने अपनी सेना हटा ली है. नाटो के हमले के पीछे दोनों सेनाओं के बीच जानकारियों के लेन देन में हुई गड़बड़ियों को दोषी बताया जा रहा है. पाकिस्तान की तरफ से इस बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई है.
गिलानी ने अपने बयान में यह भी कहा कि दोनों देशों को एक दूसरे के बीच लाल रेखाएं खींच लेनी चाहिए और इस रेखा का सम्मान करना चाहिए. उन्होंने साफ साफ कहा, "हम सचमुच अमेरिका से अच्छे रिश्ते रखना चाहते हैं जो आपसी सम्मान और निश्चित दायरों में बंधा हो. मेरा ख्याल है यह हो सकता है, मुझे नहीं लगता कि इसमें ज्यादा वक्त लगेगा, हम अमेरिका विरोधी नहीं हैं. हम एक तंत्र का हिस्सा हैं और हमें पूरे अंतरराष्ट्रीय समुदाय के साथ काम करना है."
पाकिस्तानी अधिकारी अमेरिका के साथ रिश्तों में पिछले कुछ महीनों से ज्यादा स्पष्ट रेखाओं की मांग करने लगे हैं. खासतौर पर नियमित रूप से ड्रोन हमले और सीआईए की मौजूदगी उन्हें खल रही है. इसके अलावा पिछले दिनों हुई कुछ घटनाओं ने भी उनके लिए इसकी जरूरत बढ़ा दी है. चाहे ओसामा बिन लादेन का मारा जाना हो या अमेरिकी ठेकेदार के हाथों पाकिस्तानी नागरिकों का या फिर कुछ और हर घटना के बाद दोनों के रिश्तों में एक गांठ पड़ जाती है. उधर अमेरिका भी सीमावर्ती इलाके में आतंकवादियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग पर अमल न होने की वजह से परेशान है. अमेरिकी संसद लगातार इसके लिए पाकिस्तान की आलोचना कर रही है और साथ ही उसके साथ रिश्तों पर भी सवाल उठाए जा रहे हैं. वक्त की मांग दोनों को साथ रखे हुए है लेकिन इन गांठों का खुलना भी जरूरी है.
रिपोर्टः एपी/एन रंजन
संपादनः ओ सिंह