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गुरुदेव की बनाई दुर्लभ पेंटिंग लंदन में नीलाम

१६ जून २०१०

भारत में विरोध के बावजूद लंदन में गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर की 12 पेंटिंग नीलाम हो गई. पेंटिंग बेचने वाले नीलाम घर सोदबे ने इन्हें 16 लाख पाउंड में बेचा है. सोदबी ने पेंटिंग खरीदने वाले की पहचान नहीं बताई है.

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सोदबे की प्रवक्ता के मुताबिक गुरुदेव की इन पेंटिंग में बिना नाम की एक महिला की पोट्रेट भी शामिल है. गुरुदेव ने इसमें गहरे रंगों की प्रयोग किया था. 1938 में बनी यह पेंटिंग 3,13,250 पाउंड में बिकी. हालाकि पहले इसकी कीमत 30 हजार से 40 हजार पाउंड ही आंकी गई थी.

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तस्वीर: picture-alliance/dpa

वॉटर कलर और पेस्टल ऑन पेपर से बनी एक और महिला की पेंटिंग 2,23,250 पाउंड में बिकी. सोदबे का कहना है कि मंगलवार को बिकी पेंटिंग गुरुदेव की दुर्लभ कलाकृतियां हैं और इससे पहले कभी इतनी बेहतरीन कलाकृतियां नीलामी के लिए नहीं आईं.

पिछले महीने नीलामी की खबर आने के बाद भारत में कुछ कलाप्रेमियों और राजनीतिज्ञों ने भारत सरकार से इसमें दखल देने को कहा था. लोगों का कहना है कि ये पेंटिंग भारत की विरासत हैं और इन्हें वतन वापस लाया जाना चाहिए. पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री बुद्धदेब भट्टाचार्य ने भी प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर पेंटिंग को देश में वापस लाने का आग्रह किया.

ऐसी भी खबरें हैं कि भारत सरकार ने अपनी तरफ से नीलामी रुकवाने की कोशिश की थी लेकिन सफलता नहीं मिली. सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक पिछले हफ्ते सांस्कृतिक मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने लंदन का दौरा कर सोदबे के अधिकारियों से मुलाकात भी की थी.

सोदबे का कहना है कि इन पेंटिंग पर भारत का कोई कानूनी अधिकार नहीं है. महात्मा गांधी से जुड़ी चीजें जब पिछले साल नीलाम हो रहीं थी तब भी भारत सरकार को यही सब सुनना पड़ा था.

नई दिल्ली में सांस्कृतिक मंत्रालय से जुड़े ज्यादातर अधिकारी इस बारे में जुबान नहीं खोल रहे हालांकि कुछ अधिकारियों ने इतना जरूर कहा कि भारत सरकार आधिकारिक रूप से नीलामी में हिस्सा नहीं लेगी.

डार्टिंगटन हॉल ट्रस्ट नाम के एक समाजसेवी संगठन ने इन पेंटिंग को बेचा है और इस पैसे का बड़ा हिस्सा वह कला शिक्षा के कार्यक्रमों पर खर्च करेगा. 1920 में इस ट्रस्ट का गठन शिक्षा, सामाजिक सुधार के लिए किया गया. इस संगठन के गुरुदेव से अच्छे संबंध रहे हैं.

इंग्लैंड की डेवन काउंटी में चल रहे इस ट्रस्ट को गुरुदेव के करीबी मित्र लियोनार्ड एलमर्स्ट ने खरीद लिया. एल्मर्स्ट ने गुरुदेव के निजी सचिव के रूप में भारत का कई बार दौरा किया. अधिकारियों ने यह तो नहीं बताया कि डार्टिंगटन हॉल को ये पेंटिंग कहां से मिली लेकिन समझा जाता है कि ये तस्वीरें गुरुदेव ने अपने मित्र को तोहफे में दी होंगी. गुरुदेव कई मौकों पर डार्टिंगटन हॉल आए थे. ट्रस्ट के पास बड़ी संख्या में गुरुदेव की तस्वीरें, चिट्ठियां और उनसे जुड़ी दूसरी चीजें भी हैं.

रिपोर्ट: एजेंसिया/ एन रंजन

संपादन: एस गौड़