'गोद लिए भारतीय बच्चों की विदेशों में दुर्दशा'
३१ अगस्त २०१०भारत के सॉलिसिटर जनरल गोपाल सुब्रह्मण्यम ने न्यायाधीशों की बेंच से कहा कि विदेशियों द्वारा गोद लिए जाने वाले बच्चों के हितों की रक्षा करना मुश्किल है. उन्होंने कहा, ''मैंने जांच की है, जिसमें विचलित करने वाली कई बातें सामने आई हैं. विदेशों में बच्चों के शोषण के कई मामले सामने आए हैं. यहां तक की सिविल सोसाइटी ग्रुप्स में भी शोषण के मामले सामने आए हैं.''
सरकार ने अदालत से कहा है कि विदेशी दंपत्तियों को भारतीय बच्चों के अभिभावक का अधिकार देने से पहले गंभीर विचार की जरूरत है. सॉलिसिटर जनरल ने कहा, ''हमें ऐसे मुद्दे पर संभलकर कदम उठाने होंगे. विदेश जाने के बाद ऐसे बच्चों के शोषण के खिलाफ कोई आवाज नहीं उठाता है. भारत छोड़ने के बाद ऐसे बच्चों के अधिकारों के लिए हम बहुत कम प्रयास कर सकते हैं.''
यह मामला एक अमेरिकी दंपत्ति की याचिका के दौरान सामने आया. अमेरिकी दंपत्ति एक नौ साल के भारतीय बच्चे को गोद लेना चाहता है. इस बच्चे को डिसलेक्सिया की बीमारी है. बच्चा अक्षरों को देख सकता है पर उन्हें ठीक ढंग से पहचान या पढ़ नहीं सकता. अमेरिकी दंपत्ति क्रेग एलन कोएट्स और सिंथिया एन कोएट्स के पहले ही तीन बच्चे हैं. इनमें दो बेटे और एक बेटी है.
पिछले साल दिल्ली हाईकोर्ट ने अमेरिकी दंपत्ति की याचिका खारिज कर दी थी. अदालत ने आशंका जताई थी कि कोएट्स दंपत्ति भारतीय बच्चे को नौकर बनाने के चक्कर में गोद लेना चाह रहे हैं. अमेरिकी दंपत्ति हाईकोर्ट की शंका दूर करने में नाकाम रहे. लेकिन हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ कोएट्स दंपत्ति ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. हाईकोर्ट के फैसले की समीक्षा करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से ऐसे मामलों पर जवाब मांगा.
सर्वोच्च अदालत ने भी आशंका जताई कि विदेशी मां बाप भारतीय बच्चों को नौकर बना सकते हैं, मासूमों का यौन शोषण भी किया जा सकता है. इन चिंताओं के बाद सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से पूछा कि क्या वह गोद लेने के अंतरदेशीय मामलों के लिए कोई कानून बना रही है. इसके जवाब में सालिसिटर जनरल ने कहा कि कानून बनाने से पहले मामले पर गहन अध्ययन हो रहा है.
सॉलिसिटर जनरल के विरोध के बाद सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने अमेरिकी दंपत्ति से कहा कि इस मामले में फैसला भारत सरकार ही करेगी.
रिपोर्ट: पीटीआई/ओ सिंह
संपादन: महेश झा