ग्रीस पर बहस के बीच यूरो गिरा
१२ सितम्बर २०११सार्वजनिक बजट पर यूरोपीय संघ की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार ग्रीस, आयरलैंड और पुर्तगाल के अलावा स्पेन और यूरो जोन के बाहर के ब्रिटेन को भी अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने में लंबा समय लगेगा. इन देशों में बैंकों के बेल आउट और हाउसिंग सेक्टर में मुश्किलों के कारण बजट पर दबाव बढ़ गया है.
इस बीच ग्रीस पर बढ़ते दबाव के बीच जर्मन सरकार के अंदर इस बात पर बहस छिड़ गई है कि ग्रीस को नियंत्रित रूप से दिवालिया होने दिया जाए या नहीं. एथेंस के यूरो जोन से बाहर निकलने की अफवाहों के बीच जर्मन अर्थनीति मंत्रालय ने कहा है कि जर्मनी चाहता है कि कर्ज की मुश्किलों के बावजूद ग्रीस यूरो जोन में बना रहे. लेकिन साथ ही जर्मनी ने यह संकेत भी दिया है कि ग्रीस की वित्तीय स्थिति और सुधारों पर यूरोपीय संघ, यूरोपीय केंद्रीय बैंक और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की तिकड़ी की ताजा रिपोर्ट महत्वपूर्ण होगी.
अर्थनीति मंत्री और उप चांसलर फिलिप रोएसलर के प्रवक्ता ने एक प्रेस कांफ्रेंस में कहा, "हमारा साझा लक्ष्य यूरो की स्थिरता है और हम चाहते हैं कि ग्रीस यूरो में रहे." उसी प्रेस कांफ्रेंस में चांसलर अंगेला मैर्केल के प्रवक्ता श्टेफान जाइबर्ट ने कहा, जर्मनी मानता है कि "ग्रीस बजट मुश्किलों से निबटने के लिए सख्त बचत कार्यक्रमों को लागू करने के लिए यथाशक्ति सब कुछ कर रहा है."
इससे पहले रोएसलर सहित जर्मनी के कई प्रमुख अधिकारियों ने अब तक वर्जित नियंत्रित दिवालिएपन का मुद्दा उठाया जबकि कुछ ने तो यह संभावना भी व्यक्त की ग्रीस को यूरो जोन छोड़ना पड़ सकता है. जाइबर्ट ने कहा कि यूरोपीय संघ, यूरोपीय केंद्रीय बैंक और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की तिकड़ी को ही ग्रीस के कर्ज संकट का आकलन करने की जिम्मेदारी दी गई है. जाइबर्ट ने कहा, "उनकी रिपोर्ट ही भावी रुख तय करने का आधार होगी."
तिकड़ी ने कहा है कि ग्रीस को अभी और भी काम करना है, जबकि यूरोपीय संघ के कुछ सूत्रों ने कहा है कि उनकी चिंता है कि ग्रीस खासकर विनिवेश पर अपने वायदों को अब तक पूरा करने में विफल रहा है. रविवार को ग्रीस ने दो अरब यूरो का नया कर लगाने की घोषणा की जैसा कि यूरोपीय संघ और आईएमएफ ने बचाव पैकेज की अगली किश्त देने के लिए मांग की थी.
चांसलर मैर्केल से लेकर नीचे के सभी जर्मन अधिकारियों ने कहा है कि पिछले साल के पहले बचाव पैकेज के तहत अगली किश्त पाने से पहले ग्रीस को अंतरराष्ट्रीय वायदों को पूरा करना चाहिए. जाइबर्ट ने कहा, "ग्रीस पर हमारी लाइन साफ है. हम मदद करेंगे, लेकिन सिर्फ सख्त शर्तों पर."
जर्मनी में ग्रीस के नियंत्रित दिवालियेपन पर बहस के बाद यूरो की दर दस साल के सबसे निचले स्तर पर चली गई जबकि जर्मन बांड्स की कीमत भी रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंच गई. वित्तीय बाजारों में शंका बढ़ाने में डेअ श्पीगेल के एक लेख की भी भूमिका रही जिसमें कहा गया था कि वित्त मंत्री वोल्फगांग शौएब्ले को भी संदेह है कि ग्रीस दिवालिया होने से बच पाएगा.
रिपोर्ट: एजेंसियां/महेश झा
संपादन: ओ सिंह