ग्रीस में बनेगी राष्ट्रीय एकता की सरकार
७ नवम्बर २०११नई अंतरिम सरकार ग्रीस के लिए यूरोपीय संघ की नई कर्ज डील को पास करवाएगी. राष्ट्रीय एकता की सरकार की खातिर पापांद्रेऊ को अपने चार साल के कार्यकाल के बीच में ही पद छोड़ना पड़ रहा है. कर्ज संकट के कारण न सिर्फ ग्रीस पर दिवालिया होने का खतरा मंडरा रहा है, बल्कि उसकी यूरो जोन की सदस्यता भी खतरे में पड़ रही है. इसके कारण अंतरराष्ट्रीय बाजार भी हिचकोले खा रहा है.
पापांद्रेऊ और सामारस की सोमवार को मुलाकात होने जा रही है जिसमें इस बात पर चर्चा होगी कि अगला प्रधानमंत्री कौन होगा. इस बैठक में कैबिनेट का खाका भी तैयार किया जाएगा. रविवार को ग्रीक सरकार के प्रवक्ता एलियास मोस्सियालोस ने कहा, "बेशक, यह बड़ी कामयाबी है. यह ग्रीस के लए ऐतिहासिक दिन है. हमारे यहां जल्द ही गठबंधन सरकार होगी, अगले हफते की शुरुआत तक. प्रधानमंत्री और विपक्ष के नेता सोमवार को नए प्रधानमंत्री और मंत्रियों के नाम तय करेंगे."
अंतरिम सरकार की जिम्मेदारी
नई राष्ट्रीय एकता सरकार का मुख्य काम यूरोपीय राहत पैकेज को पास कराना होगा. हफ्ते भर पहले ब्रसेल्स में यूरोपीय नेताओं ने बड़ी मशक्कत के बाद इस पर सहमति कायम की. यूरोप के 17 देशों की साझा मुद्रा यूरो बचाने के लिए इस पैकेज को अहम माना जा रहा है. इसके बाद अंतरिम सरकार देश में समय से पहले चुनाव कराएगी जो शायद अगले साल होंगे.
अधिकारियों को उम्मीद है कि सोमवार को ब्रसेल्स में होने वाली यूरोजोन के वित्त मंत्रियों की बैठक से पहले ग्रीस में कोई ठोस सहमति हो जाएगी. पिछले हफ्ते पापांद्रेऊ ने यह कह कर सनसनी फैला दी कि कि वह बड़ी मुश्किल से हुए यूरो राहत पैकेज पर देश में जनमत संग्रह कराना चाहते हैं. इस घोषणा से यूरोपीय नेता बहुत नाराज हुए और उन्होंने कहा कि इस तरह के जनमत संग्रह के चलते ग्रीस को यूरो जोन से बाहर होना पड़ सकता है.
संकट में यूरो जोन
ग्रीस दिवालियापन से बचने के लिए अंतरराष्ट्रीय ऋण हासिल करना चाहता है लेकिन इसके लिए उसे अपने विशाल घाटे को कम करना है और कड़ी बचत योजना को लागू करना है. इसके चलते ग्रीक लोगों के वेतन, पेंशन और सरकारी सुविधाओं में कटौती हो रही है. इसीलिए ग्रीस में सरकार बचत योजना का बड़े पैमाने पर विरोध हो रहा है.
जनमत संग्रह की घोषणा के बाद यूरोपीय नेताओं ने ग्रीस को चेतावनी दी कि उसे मौजूदा 152 अरब डॉलर के राहत पैकेज से मिलने वाली 11 अरब डॉलर की किस्त खतरे में पड़ सकती है, और चंद हफ्तों के भीतर दिवालिएपन से बचने के लिए ग्रीस को इसकी बेहद जरूरत है. ग्रीस के अलावा इटली भी यूरोपीय संघ के लिए चिंता का कारण बना हुआ है. वित्तीय दिक्कतों में घिरे इटली के लिए कर्ज लेना जटिल होता जा रहा है. इसके अलावा पुर्तगाल और आयरलैंड भी खस्ता हाल देशों की फेहरिस्त में हैं.
ताकि ग्रीस खड़ा हो सके
पापांद्रेऊ को गुरुवार को उस वक्त जनमत संग्रह कराने की अपनी योजना वापस लेनी पड़ी जब न सिर्फ उन्हें यूरोपीय नेताओं के गुस्से का शिकार होना पड़ा बल्कि उनकी अपनी सोशलिस्ट पार्टी के भीतर भी विद्रोह भड़क उठा. उनकी पार्टी के कई नेताओं ने उनके इस्तीफे की मांग कर डाली. मौका के फायदा उठाते हुए विपक्ष ने अपने तेवर कड़े कर लिए और सार्वजनिक रूप से घोषणा कर दी कि वह सरकार की कर्ज समझौते का समर्थन नहीं करेगा.
दोनों पड़ी पार्टियों के सहयोग से बनने जा रही अंतरिम सरकार यूरोपीय राहत पैकेज को संसद से पास कराएगी. इसके लिए 300 सदस्यों वाली संसद में कम से 180 वोटों की जरूरत होगी. नई यूरोपीय डील के तहत ग्रीस को राहत ऋण और बैंक समर्थन के तौर पर 179 अरब डॉलर की अतिरिक्त राशि दी जाएगी. इसमें बैंकों और निजी निवेशकों को ग्रीस का आधा ऋण माफ करने के लिए भी मनाया गया है. इसका मकसद ग्रीस के कर्ज को उस स्तर तक कम करना है जहां वह निरंतर राहत पैकेजों के बिना अपनी अर्थव्यवस्था को चला सके.
रिपोर्टः एपी, डीपीए, रॉयटर्स/ए कुमार
संपादनः आभा एम