ग्वांतानामो में 50 क़ैदी अनिश्चित काल तक रखें जाएं
२२ जनवरी २०१०अमेरिकी न्याय मंत्रालय की एक विशेष टास्क फ़ोर्स ने सुझाव दिया है कि ग्वांतानामो के एक चौथाई क़ैदियों को रिहा नहीं किया जाए क्योंकि यह बहुत ही ख़तरनाक हैं और इनके ख़िलाफ सबूत सुनवाई के लिए काफ़ी नहीं हैं. न तो इन्हें रिहा किया जा सकता है और न ही इन पर मुक़दमा चलाया जा सकता है.
टास्क फ़ोर्स ने कैदियों को तीन श्रेणियों में बांटा है जिसके मुताबिक 35 क़ैदियों की सुनवाई संघीय या सैन्य अदालतों में की जानी चाहिए. कुछ 110 क़ैदियों को जल्द ही रिहा किया जा सकता है और बचे 50 क़ैदियों को अनिश्चित काल तक रखने का सुझाव है. विश्लेषकों का कहना है कि अमेरिकी सरकार के इस फैसले के बाद भी ग्वांतानामो क़ैदियों की सुनवाई असैनिक न्यायाधीशों के सामने ही होगी और वहीं उनके कैद में रहने के समय पर कोई भी निर्णय ले सकेंगे.
अमेरिकी राष्ट्रपति ओबामा ने अपने पद संभालने के बाद ही कहा था कि वे ग्वांतानामो जेल को एक साल के अंदर बंद कर देंगे. पिछले साल मई में ओबामा ने कहा था कि कुछ कैदियों को बिना सुनवाई के जेल में रखना पड़ सकता है. 2008 में अमेरिका के सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के बाद वॉशिंगटन में 15 जजों के पास ग्वांतानामो कैदियों पर फ़ैसला लेने का हक़ दिया गया है. इस सिलसिले में मार्गदर्शकों के न होने की वजह से न्यायाधीश खुद ही ग्वांतानामो कैदियों पर लागू किए जाने वाले क़ानून बनाते हैं.
कई लोगों का मानना है कि इससे हर क़ैदी के फ़ैसले पर असर पड़ सकता है. साथ ही जजों को ओबामा की सरकार और उससे पहले जॉर्ज बुश सरकार द्वारा दिए गए मापदंडों पर खरा उतरना पड़ता है. मानवाधिकार संगठनों ने भी इस मामले में ओबामा सरकार की आलोचना की है. उनका मानना है कि जेल को बंद करने के साथ साथ कैदियों को बिना मुकदमा चलाए अनिश्चित काल तक बंद करने की ग़ैर क़ानूनी नीति को भी ख़त्म करना चाहिए.
रिपोर्टः एजेंसियां/ एम गोपालकृष्णन
संपादनः आभा मोंढे