चमेली का नशा
९ अगस्त २०१०वैज्ञानिकों की मानें तो अब अनिद्रा के शिकार लोगों को नींद की गोलियां खाने की कोई जरूरत नहीं है. बल्कि चमेली के फूल की सुगंध इसका आसान, सुरक्षित और कुदरती उपाय हो सकता है. जर्मन वैज्ञानिकों की ताजा शोध रिपोर्ट के मुताबिक पूरी सांस भरकर ली गई चमेली की सुगंध नींद आने में मददगार होती है. इससे नींद की गोलियों, खासकर वेलियम के दुष्प्रभावों से बचा जा सकता है.
ऑनलाइन पत्रिका बायोलोजिकल केमिस्ट्री में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार चमेली को सूंघने से दिमाग में होने वाली आण्विक हलचल तनाव को दूर कर सोने के लिए प्रेरित करती है. यही काम वेलियम भी करती है. डूसलडॉर्फ स्थित हाइनरिष हाइने विश्वविद्यालय और रूअर विश्वविद्यालय बोखुम के वैज्ञानिकों की इस साझा खोज को पेटेंट भी मिल गया है.
प्रो. हेंस हाट की अगुवाई में सम्पन्न इस अहम शोध के मुताबिक नियमित तौर पर नींद की गोली खाने से न सिर्फ इन पर निर्भरता बढ़ जाती है बल्कि अवसाद, चक्कर आना, तनाव, मांसपेशियां कमजोर होना और सामंजस्य न बिठा पाने जैसी दिक्कतें भी स्वभाव में शुमार हो जाती हैं. यह बात दीगर है कि गोली खाने और चमेली की सुगंध से दिमाग में होने वाली रासायनिक क्रिया एक समान है लेकिन इसके बावजूद कुदरती तरीके से नींद लेने का कोई साइडइफेक्ट नहीं है.
गौरतलब है कि नींद, अवसाद और तनाव के लिए दुनिया भर में आमतौर पर वेलियम और बेंजोडायजापाम की गोलियां ली जाती हैं. इसका 20 प्रतिशत इस्तेमाल पश्चिमी देशों में होता है. शोध के नतीजों तक पंहुचने से पहले चूहों और फिर मनुष्यों पर लंबे समय तक तमाम तरह की खुशबुओं के परीक्षण किए गए. प्रो. हाट बताते हैं कि चमेली की खुशबू सांस के जरिए फेफड़ों तक जाती है और फिर खून में मिलकर दिमाग में नींद के लिए जिम्मेदार तंत्रिकाओं को सक्रिय कर देती है. उनके मुताबिक शोध के नतीजों को तनाव दूर करने के लिए आजकल प्रचलित अरोमाथेरेपी के वैज्ञानिक प्रभावों की कसौटी पर भी कसा जा सकता है.
रिपोर्टः एजेंसियां/निर्मल
संपादनः वी कुमार