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चीन जापान विवाद के बीच पहुंचे पनेटा

१८ सितम्बर २०१२

चीन सागर के द्वीपों पर जापान सहित चीन और दक्षिण एशियाई अपना हक जताते हैं. कई महीनों से उफन रहे इस विवाद के बीच अमेरिकी रक्षा मंत्री लियोन पनेटा जापान के बाद चीन पहुंचे हैं.

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तस्वीर: picture-alliance/dpa

अमेरिकी रक्षा मंत्री लियोन पनेटा ने चीन से नजदीकी सैन्य सहयोग की अपील की है. पनेटा ने चीन के रक्षा मंत्री लियांग गुआंग्ली से कहा कि वॉशिंगटन और बीजिंग के बीच सैन्य सहयोग बढाया जाना चाहिए. साथ ही उन्होंने ऐसी गलतफहमी से बचने की सलाह दी है जो मुश्किल और मतभेद बढ़ा सकती है. "हमारा लक्ष्य है कि चीन और अमेरिका दुनिया में सबसे अहम द्विपक्षीय संबंध बनाएं और इसका मुख्य तरीका मजबूत सैन्य संबंध हैं. पेंटागन अधिकारियों की शिकायत है कि चीन इस मामले में तेजी से फैसला नहीं ले रहा, वहीं चीन के मुताबिक अमेरिका उसे शीत युद्ध काल के समीकरणों की दृष्टि से देख रहा है."

पैनेटा ने इससे पहले जापान के रक्षा मंत्री सातोशी मोरीमोतो और विदेश मंत्री कोइचीरो गेन्बा से मुलाकात की. टोक्यो पहुंचने से पहले उन्होंने पत्रकारों से कहा कि अमेरिका "स्थानीय क्षेत्रीय विवादों में पक्षपात नहीं करता है." पैनेटा ने कहा, "हम चीन को ही नहीं, बल्कि इस विवाद में उलझे और देशों से विनती करते हैं कि वह एक ऐसी प्रक्रिया में शामिल हों जिससे इसका हल ढूंढा जा सके." जापान औऱ अमेरिका ने इस दौरान उत्तर कोरिया से परमाणु खतरे को टालने के लिए एक दूसरा मिसाइल डिफेंस राडार सिस्टम लगाने की योजना बनाई है.

Leon Panetta Yokota Japan
जापानी मंत्रियों से भी पनेटा की मुलाकाततस्वीर: Reuters

हालांकि अमेरिकी रक्षा मंत्री ने कहा है कि चीन को निशाना मानकर ऐसा नहीं किया जा रहा है. उन्होंने कहा है कि वे चीन से खास तौर पर दक्षिण चीन सागर मुद्दे पर संतुलन बनाए रखने पर जोर देंगे. चीन इस बात से खासा चिंतित है कि अमेरिका एशिया प्रशांत इलाके में ऑस्ट्रेलिया, भारत, इंडोनेशिया और कंबोडिया जैसे देशों के साथ सैन्य साझेदारी पर समझौते कर रहा है. हालांकि अमेरिकी रक्षा मंत्री पैनेटा का कहना है कि स्थिरता चीन और अमेरिका दोनों के हक में होगा. उन्होंने कहा कि अमेरिकी जापान समझौते के तहत वह जापान की सुरक्षा में मदद करने के लिए प्रतिबद्ध है लेकिन जापान और चीन को खुद मामले को सुलझाने की कोशिश करनी चाहिए.

चीन और जापान सहित कई एशियाई देश सेनकाकू द्वीपों पर अपना हक बताते हैं. चीन ने इनका नाम दियाओयू रखा है. इस इलाके में प्राकृतिक संसाधनों का भंडार है. पिछले हफ्ते चीन में विरोध प्रदर्शनों का आयोजन हुआ था क्योंकि जापान की सरकार ने तय किया कि एक निजी जापानी कंपनी से इन द्वीपों को खरीदा जाएगा. चीन का मानना है कि यह उसकी स्वायत्तता का अपमान है.

18 सितंबर 1931 को मकदन घटना हुई थी. इस दिन जापानी सैनिकों ने चीन के उत्तर पूर्वी हिस्से पर कब्जा करने से पहले मंचूरिया का ट्रेन स्टेशन उड़ा दिया था. यह दिन चीन में हर साल याद किया जाता है. चीन के टीवी पर स्थानीय समय के हिसाब से सुबह नौ बजे इस दिन को याद करते हुए सायरन बजाए गए कि 'लोग इतिहास याद रखे और राष्ट्रीय अपमान को न भूलें.'

उधर हिंसक प्रदर्शनों के डर से मंगलवार को जापानी कार निर्माता कंपनियों ने चीन में या तो अपने कारखाने बंद रखे या उत्पादम कम किया. बीजिंग में जापानी दूतावास के सामने करीब हजार प्रदर्शनकारी जमा थे. प्रदर्शकारी जापानी वस्तुओं के बायकॉट वाले पोस्टर हाथ में लेकर चल रहे थे. चीन की व्यावसायिक राजधानी शंघाई में भी प्रदर्शनों की आशंका से कड़ी सुरक्षा की गई है.

एमजी/एएम (रॉयटर्स/डीपीए)