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चीन में कोयले के दामों में रिकॉर्ड उछाल

१५ अक्टूबर २०२१

चीन में ठंड बढ़ गई है और ऊर्जा संयंत्र कोयले की जमाखोरी में लग गए हैं, जिसकी वजह से कोयले के दामों में रिकॉर्ड उछाल आ गया है. देश में पहले से मौजूद ऊर्जा संकट और गहरा गया है.

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China Kohlekraftwerk Datong
तस्वीर: Danita Delimont/imago images

उत्तरी चीन से निकली ठंडी हवाएं पूरे देश में फैल रही हैं जिसकी वजह से घरों और दफ्तरों को गर्म रखने के लिए बिजली की मांग में काफी बढ़ोतरी होने की संभावना है. पूर्वानुमान है कि अगले 2-3 दिनों में कुछ केंद्रीय और पूर्वी इलाकों में औसत तापमान में 16 डिग्री तक की गिरावट आ सकती है.

कोयले की कमी, ईंधनों के बढ़े हुए दाम और महामारी के बाद बढ़ रही औद्योगिक मांग की वजह से दुनिया की इस दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था में बिजली कटौती बहुत बढ़ गई है.

बिजली की कटौती

देश के 30 प्रांतों में से 17 में बिजली की आपूर्ति में राशन व्यवस्था पहले ही लागू की जा चुकी है, जिसकी वजह से कुछ फैक्ट्रियों को मजबूरन उत्पादन रोकना पड़ा है. इसकी वजह से सप्लाई चेन भी बाधित हो गयी हैं.

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सितंबर में ग्वांगडोंग प्रांत के एक औद्योगिक पार्क में बिजली की कटौती के बाद पसरा अंधेरातस्वीर: Noel Celis/AFP

पूर्वोत्तर के तीन प्रांत जिलिन, हेलोंगजियांग और लियाओनिंग और इनर मंगोलिया और गांसु जैसे उत्तरी प्रांतों में बिजली की सबसे ज्यादा कटौती की गई है. मौसम सामान्य से ज्यादा ठंडा हो गया है और इन सभी प्रांतों में ठंड से निपटने के लिए घरों और दफ्तरों को गर्म करना शुरू कर दिया गया है.

इस गर्मी के लिए मुख्य रूप से कोयले का इस्तेमाल किया जाता है. कोयले के दामों को कम करने के लिए चीन ने अब कई कदम उठाए हैं. देश के अंदर कोयले के उत्पादन को बढ़ा दिया गया है, बिजली की ज्यादा खपत करने वाले उद्योगों और फैक्ट्रियों को बिजली की आपूर्ति में कटौती की जा रही है. 

सरकार बार बार उपभोक्ताओं को भरोसा दिला रही है कि ठंड से बचने के लिए आवश्यक ऊर्जा मिलती रहेगी. लेकिन आशंका है कि बिजली संकर अगले साल की शुरुआत तक चलता रहेगा.

एक बड़ा कदम

समीक्षकों और व्यापारियों ने पूर्वानुमान लगाया है कि कोयले की कमी और आवासीय उपभोक्ताओं को प्राथमिकता दिए जाने की वजह से चौथी तिमाही में औद्योगिक बिजली खपत में 12 प्रतिशत गिरावट आएगी.

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शिनच्यांग प्रांत में कोयले की एक खदानतस्वीर: Gao Han/Xinhua/AP/picture alliance

चीन एक दशक से बिजली क्षेत्र में कई सुधार ला रहा है. इसी सप्ताह इस श्रंखला में सबसे साहसी सुधार के एक कदम की घोषणा की गई. सरकार ने कहा कि वो अब कोयले से मिलने वाली बिजली के दामों में 20 प्रतिशत तक के उतार-चढ़ाव की अनुमति देगी.

इससे बिजली संयंत्रों को बिजली उत्पादन की बढ़ी हुई कीमतों का बोझ व्यावसायिक और औद्योगिक उपभोक्ताओं पर डालने का मौका मिलेगा. अनुमान लगाया जा रहा है कि नई नीति के तहत स्टील, एल्युमीनियम, सीमेंट और रसायनों के उत्पादकों को ज्यादा दामों का सामना करना पड़ सकता है. इससे इनके लाभ सीमा पर भी दबाव पड़ेगा.

कई देशों में ऊर्जा संकट

ताजा आंकड़े दिखा रहे हैं कि सितंबर में थोक मुद्रास्फीति में रिकॉर्ड उछाल आया था. चीन का लक्ष्य है 2060 तक कार्बन न्यूट्रल बन जाना और इस वजह से वो प्रदूषण फैलाने वाले कोयले पर अपनी निर्भरता कम करने की कोशिश कर रहा है. वो हवा, सौर और पनबिजली के इस्तेमाल को भी बढ़ाना चाह रहा है.

China Kohleentladung im Hafen von Rizhao
शान्डोंग प्रांत में जहाज से उतरता आयातित कोयलातस्वीर: Wang Kai/Xinhua via AP/picture alliance

लेकिन आने वाले कम से कम कुछ समय तक तो यही अपेक्षा है कि उसकी बिजली की जरूरतों का एक बड़ा हिस्सा कोयले से ही पूरा होगा.

चीन एकलौता ऐसे देश नहीं है जो बिजली की आपूर्ति के संकट से जूझ रहा है. कुछ देशों में तो ईंधन की कमी और बिजली कटना भी देखा गया है. इस संकट ने इस समस्या को रेखांकित किया है कि जीवाश्म ईंधनों पर वैश्विक अर्थव्यवस्था की निर्भरता को कम करना जरूरी तो है लेकिन यह कैसे होगा यह एक पहेली है.

सीके/एए (रॉयटर्स)

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