चीनी हैकरों ने तेल कंपनियों को निशाना बनाया
१२ फ़रवरी २०११एंटी वायरस बनाने वाली कंपनी मैकेफी ने एक बयान में बताया, "नवंबर 2009 में समन्वित तरीके से कुछ खास कंपनियों को निशाना बनाते हुए सायबर हमलों की शुरुआत हुई. जिन कंपनियों को निशाना बनाया गया उनमें वैश्विक तेल, ऊर्जा और पेट्रोकेमिकल कंपनिया शामिल हैं."
कंपनियों के कंप्यूटर नेटवर्क को निशाना बनाने के अलावा हैकरों ने कजाखस्तान, ताइवान, ग्रीस और अमेरिका में कुछ खास लोगों और बड़े अघिकारियों से जुड़ी गोपनीय जानकारी भी चुरा ली.
मैकेफी के मुताबिक तेल कंपनियों के वित्तीय दस्तावेज चुराए गए और यह जानने की कोशिश हुई कि अपने भावी सौदों की वे किस तरह तैयारी कर रहे हैं. चीन में हैकरों के खिलाफ आरोप लगते रहे हैं और इस कड़ी में अब औद्योगिक क्षेत्र में हैकिंग के ये नए आरोप लगे हैं. पिछले साल अमेरिका-चीन आर्थिक और सुरक्षा समीक्षा आयोग की रिपोर्ट में अमेरिकी कंप्यूटर सिस्टम में जबरदस्त सायबर हमलों का जिक्र हुआ.
मैकेफी ने यह नहीं बताया कि किन कंपनियों को निशाना बनाया गया लेकिन यह जरूर कहा कि हैकरों के बारे में जानकारी बताती है कि हमले चीन से हुए. "हमने तकनीक, नेटवर्क और अन्य बातों का अध्ययन किया है और हम इन्हें नाइट ड्रैगन हमले कहते हैं. जिस तरीके से ये हमले हुए वे साफ इस बात की ओर संकेत करते हैं कि यह काम चीनी हैकरों का है."
कंप्यूटर सिक्योरिटी कंपनी के मुताबिक शान्दोंग प्रांत के हेजे शहर के हैकर इन सायबर हमलों के लिए जिम्मेदार है. इससे पहले जनवरी 2010 में चीन से होने वाले सायबर हमलों का निशाना गूगल कंपनी बनी. चीन के मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के ईमेल अकाउंट हैक कर लिए गए. सेंसरशिप और हैकिंग से नाराज गूगल ने चीन छोड़कर जाने की धमकी दे दी थी.
रिपोर्ट एजेंसियां एस गौड़
संपादन उ भट्टाचार्य