चुटकियों में मिस्र समस्या का हल नहीं
५ फ़रवरी २०११कैमरन ने कहा कि मिस्र में नया नेतृत्व और राजनीतिक सुधार बेहद जरूरी हैं क्योंकि अगर इसमें देरी होती है तो वहां अस्थिरता बनी रह सकती है जिसके पक्ष में पश्चिमी देश नहीं हैं. हालांकि कैमरन ने स्पष्ट किया कि ब्रिटेन में लोकतांत्रिक जड़े मजबूत होने में सैकड़ों साल लगे हैं और अब देश में सहनशीलता की परंपरा है जो यह दिखाती है कि लोकतंत्र एक प्रक्रिया है, कोई घटना नहीं है.
"मिस्र में भी लोकतांत्रिक प्रक्रिया की शुरुआत होनी चाहिए ताकि लोगों में संदेश जाए कि उनकी इच्छाओं का सम्मान किया जा रहा है. लेकिन अगर वे ये मानते हैं कि सिर्फ चुनाव कराना ही लोकतंत्र है तो यह ठीक नहीं है."
कैमरन ने कहा कि कई नेताओं का बचकाना रवैया रहा है कि अगर देश में लोकतंत्र आ जाए तो देश की समस्याओं से छुटकारा मिल जाता है. लेकिन वह ऐसा नहीं मानते है. इतना जरूर है कि पारदर्शी समाज के लिए कदम जरूर उठाए जाने चाहिएं. समस्याएं थोड़े समय में हल नहीं की जा सकती.
जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल ने कहा कि मिस्र में व्यवस्थित तरीके से सत्ता परिवर्तन होना चाहिए ताकि सत्ता की शून्यता को टाला जा सके. मैर्केल का मानना है कि लोकतांत्रिक प्रक्रिया की शुरुआत में ही चुनाव कराना सहीं समाधान नहीं है.
पूर्वी जर्मनी के अतीत का हवाला देते हुए मैर्केल ने कहा कि पश्चिम जर्मनी के नेता उन्हें उस समय सलाह दे रहे थे कि एकीकरण से पहले क्या कदम उठाने चाहिएं. मैर्केल ने कहा कि पश्चिमी देशों को भी मिस्र को सलाह देने से बचना चाहिए. वह हमारी सलाह नहीं मांग रहे हैं.
म्यूनिख में अमेरिकी विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन ने मध्य पूर्व में पारदर्शी और जवाबदेह सरकारों की अपील करते हुए कहा है कि क्षेत्र में दीर्घकालीन स्थिरता का रास्ता साफ होना चाहिए. हालांकि क्लिंटन ने माना है कि इस लक्ष्य को पाने में थोड़े समय के लिए रास्ता कांटों भरा हो सकता है. मिस्र, ट्यूनीशिया और अन्य अरब देशों में जारी प्रदर्शनों पर क्लिंटन ने कहा कि मध्य पूर्व में साझेदार देशों की मदद करनी जरूरी है ताकि ऐसे व्यवस्थागत कदम उठाएं जा सकें कि सुखद भविष्य का रास्ता कायम हो सके.
शुक्रवार को राष्ट्रपति बराक ओबामा ने साफ संकेत दिए कि मिस्र के राष्ट्रपति होस्नी मुबारक के हटने का समय अब आ गया है और उन्हें अब पद छोड़ देना चाहिए. कई दिनों से विरोध प्रदर्शन कर रहे लोग मुबारक के हटने की मांग कर रहे हैं और अमेरिका का कहना है कि देश में सत्ता बदलाव तरीके से होना चाहिए.
विदेश मंत्री क्लिंटन के मुताबिक जिन देशों में जल और ऊर्जा के स्रोत घट रहे हैं वहां बहुत कम युवाओं को नौकरी मिल रही हैं और इसके चलते उनमें हताशा और निराशा है. "यह पीढ़ी सही मांग कर रही है कि उनकी सरकारों को और प्रभावी होना चाहिए. लोगों की समस्याओं पर ध्यान दिया जाना चाहिए और सरकारी कामकाज में पारदर्शिता होनी चाहिए. ट्यूनिस, काहिरा और अन्य शहरों में प्रदर्शनकारियों को यही मुद्दे प्रदर्शनों के लिए मजबूर कर रहे हैं. लोगों स्थिति में बदलाव होते देखना चाहते हैं."
क्लिंटन का कहना है कि अलग अलग देशों में बदलाव की गति भी अलग है लेकिन लोकतंत्र की ओर तो कदम बढ़ाए जाने चाहिए. "लोकतंत्र की राह में जोखिम है और इसके सफर में मुश्किलें आ सकती हैं और थोड़े समय के लिए अस्थिरता भी झेलनी पड़ सकती है. कई मामलों में एक निरंकुश सत्ता के स्थान पर दूसरी निरंकुश सरकार सत्ता में आ सकती है." क्लिंटन की सलाह है कि लोकतंत्रिक व्यवस्था में बदलाव तभी कारगर होता है जब वह सामूहिक, पारदर्शी और सोच समझकर किया जाए.
रिपोर्ट: एजेंसियां/एस गौड़
संपादन: ए कुमार