चुभते सवालों पर हंसाते पाकिस्तानी कॉमेडियन
११ अक्टूबर २०११देश के अखबार और टेलीविजन आत्मघाती हमलों और हत्याओं की खबरों सराबोर रहते हैं. लेकिन युवा कॉमेडियन देश की हताशा और परेशानी पर व्यंग कर रहे हैं. हताशा में डूबे मिडल क्लास को ये अंदाज खूब लुभा रहा है.
साद हारून और सामी शाह, दोनों की उम्र 33 साल है और उन्होंने अपने हजारों ऑनलाइन फैन बनाए हैं. अपने शहर कराची और दुनिया में बसे पाकिस्तानी उन्हें खूब पसंद कर रहे हैं. पाकिस्तान की आर्थिक राजधानी कहे जाने वाले शहर कराची में आए दिन टारगेट किलिंग होती है जिसमें इस साल अब तक एक हजार से ज्यादा लोग मारे गए हैं. वहीं पूरा पाकिस्तान अल कायदा और तालिबान के हमलों से जूझ रहा है, जिनमें पिछले चार साल के दौरान 4,700 से ज्यादा लोग मारे गए हैं.
आतंकवाद पर व्यंग
अपने कॉमेडी एक्ट के दौरान हारून कहते हैं, "आप हर जगह सुनते हैं कि पाकिस्तान में आतंकवाद है. मुझे इस पर एक पल के लिए भी विश्वास नहीं है क्योंकि मैं अमेरिकी फिल्में देखता हूं और जानता हूं कि आंतकवादी कहां मिलते हैं - टॉयलट में. आपने पाकिस्तान में सार्वजनिक शौचालयों की हालत देखी ही होगी. कोई भी गैरतमंद आतंकवादी कभी वहां नहीं गया होगा." अपने एक और शो में हारून कहते हैं, "हमारे देश में सबसे ज्यादा कमी चीनी की है, गेहूं की है लेकिन हम सबसे ज्यादा आयात क्या करते हैं, आतंकवाद."
हॉन्ग कॉन्ग और अमेरिका में पढ़े हारून का परिवार कपड़े के कारोबार से जुड़ा है. लेकिन 10 साल पहले जब अमेरिका पर 11 सितंबर 2001 को अल कायदा का हमला हुआ तो हारून ने पारिवारिक बिजनेस छोड़ दिया. वह कहते हैं, "मैंने सोचा इससे बुरा कुछ नहीं हो सकता, हमें कॉमेडी की जरूरत है."
लेकिन 9/11 के हमले के बाद अफगानिस्तान पर हुए अमेरिकी हमले का सीधा असर पाकिस्तान पर हुआ और वहां हमलों की झड़ी लग गई. इनमें अक्टूबर 2007 का वह हमला भी शामिल है जिसमें पूर्व प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो समेत 140 लोगों की मौत हुई.
इन पर मजाक नहीं
शाह उस वक्त एक समाचार चैनल में प्रोड्यूसर के तौर पर काम करते थे. लेकिन बर्बादी के मंजर को शून्यभाव से देखने वाले पेशे से ऊब कर वह कॉमेडी की तरफ मुड़ गए. वह बताते हैं, "मैं खून में लथपथ था. मैं बहुत नाराज था. उसके अगले हफ्ते मैंने स्डैंप अप कॉमेडी शो किया. 140 लोगों की मौत के बाद मजाक...लेकिन सिर्फ यही तरीका था जिसके जरिए मैं अपने गुस्से को बाहर निकाल सकता था."
अमेरिका में पढ़े शाह एक एड एजेंसी में क्रिएटिव डायरेक्टर हैं. वह मानते हैं कि बढ़ती हिंसा से पूरे देश का अस्तित्व संकट में घिरता जा रहा है जिस पर तंज करना बहुत मुश्किल है. उनके मुताबिक, "मुझे लगता है कि किसी देश का इस तरह उम्मीद छोड़ देना सही नहीं है. मुझे हताशा में कोई मजाक नहीं सूझता. अपने से निचले लोगों का कभी मजाक मत उड़ाओ.
लेकिन कुछ चीजें हैं जिनका मजाक नहीं उड़ाया जा सकता. हारून कहते हैं, "आप सेना पर कोई लतीफा नहीं कस सकते. आप एमक्यूएम पर कोई चुटकुला तैयार नहीं कर सकते." एमक्यूएम कराची की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी है जिसे टारगेट किलिंग का जिम्मेदार माना जाता है.
बुर्का वूमन
हारून बताते हैं कि धर्म पर भी आप हल्के फुल्के अंदाज में ही तंज कर सकते हैं. उन्होंने फैसला किया कि काले बुर्के पर मजाक बनाना ठीक है. हालांकि फ्रांस में जब बुर्का पहनने पर पाबंदी लगी तो इस पर तीखी बहस चल रही थी. उन्होंने अमेरिकी सिंगर रॉय ऑर्बिसन के मशहूर गाने की 'प्रिटी वूमन' की तर्ज पर बुर्का वूमन नाम से म्यूजिक वीडियो बनाया है. इसके बोल कुछ ऐसा कहते हैं, "जब भी मैं तुम्हारे पैरों के नाखूनों को देखता हूं, तो मेरी मोहब्बत बढ़ती जाती है. नेल पॉलिश. तुम्हारी काजल वाली आंखें, मेरा रहस्यमयी इनाम."
हारून के घरवालों को भी उनके इन गाने पर बहुत आपत्ति थी. लेकिन वह बताते हैं, "मेरे लिए इस बारे में बात करना बहुत ही दिलचस्प था. और यह ठीक है क्योंकि कम से कम हम इस बारे में बात तो कर रहे हैं." पाकिस्तान जैसे देश में जहां बहुत से लेखकों को अपने गुजारे के लिए भी जूझना पड़ता है, वहां हारून ने कॉमेडी की तरफ जाने का जोखिम उठाया. लेकिन उन्हें पाकिस्तान के अलावा दुबई और अमेरिका में इतना पसंद किया गया कि फिर उन्हें इसे ही अपना फुल टाइम पेशा बनाने की सोची. कॉमेडियनों को पाकिस्तान में कई बार मौत की धमकियां मिलती हैं, लेकिन हारून और शाह इस बात की चिंता नहीं करते.
रिपोर्टः एएफपी/ए कुमार
संपादनः वी कुमार