चौथी बार शतंरज के विश्वविजेता बने आनंद
१२ मई २०१०मुश्किल लग रही जीत को आनंद ने 12 वें और अंतिम गेम में 6.5-5.5 के अंतर से हासिल किया. आख़िरी गेम में वे काले मोहरों से खेले. खेल के जानकारों कयास लगा रहे थे कि तोपालोव आख़िरी गेम भी सामान्य टाइम के अंदर ड्रॉ कर देंगे और फिर मैच रैपिड टाई ब्रेकर की ओर बढ़ेगा.
32 वीं चाल के बाद तोपोलोव ने धैर्य खो दिया और ग़लती कर दी. आख़िरी चालों में ऐसी स्थिति आ गई कि आनंद आसानी से तोपालोव के राजा को मात दे सकते थे और तोपालोव पर चैकमैट का ख़तरा बढ़ता जा गया. 57 वीं चाल में तोपालोव को घुटने टेकने पड़े.
शतरंज के महारथी के सामने तोपालोव मुश्किल में फंस गए. आनंद के मारक चालों वह बच न सके. पिछले 11 साल में आनंद ने ये चौथी बार विश्व ख़िताब जीता है और खेल में अपनी बादशाहत बरकरार रखी है.
2008 में विश्वनाथन ने रूसी खिलाड़ी व्लादिमीर क्रामनिक को हराया था. 2006 में आनंद सबसे तेज़ी से चालें चलते हुए विश्व विजेता का ख़िताब जीता था. 2000 में उन्होंने नॉक आउट पर आधारित होने वाली चैंपियनशिप जीती थी.
लेकिन 11 मई 2010 आनंद के लिए ख़ास तारीख़ बन गई. मंगलवार को मिली जीत के साथ आनंद इतिहास में पहले ऐसे खिलाड़ी बन गए हैं जिन्होंने अलग अलग विश्व चैंपियनशिप में अलग प्रतिद्वंद्वी के साथ लगातार जीत हासिल की है.
हालांकि व्लादिमीर क्रैमनिक भी इसी श्रेणी में आते जो दो बार विश्व ख़िताब जीते हों लेकिन 2000 में गैरी कॉस्पोरोव के ख़िलाफ खेला हुआ मैच आधिकारिक तौर पर एफआईजीई के बैनर के नीचे नहीं खेला गया था.
रैपिड गेम में आनंद दुनिया के सबसे अच्छे खिलाड़ियों में माने जाते हैं जबकि तोपालोव शतरंज के तेज़ संस्करण के नए लेकिन प्रतिभाशाली खिलाड़ी हैं.
रिपोर्टः एजेंसियां/आभा मोंढे
संपादनः ओ सिंह