जंगलों के साथ शहर का विकास
६ अप्रैल २०११ब्राजील का मातो ग्रोस्सो. आज यहां दूर दूर तक सिर्फ चरागाह नजर आते हैं. कुछ ही साल पहले यहां अमेजॉन के घने जंगलों वाला दृश्य होता था. लेकिन आज ब्राजील सोयाबीन और मांस का बहुत बड़ा उत्पादक है और यही ब्राजील के हजारों साल पुराने जंगलों की जान ले रहा है. अमेजॉन पर्यावरण शोध संस्थान में पाउलो मोउतिन्हो कार्यकारी निदेशक हैं. वह कहते हैं, "माटो ग्रोस्सो में लोग सोचते हैं कि जंगल विकास में एक बाधा है. वह कहते हैं कि चलो अच्छा है जंगल कट गया. अब जमीन साफ हो गई है."
बदल देंगे स्थिति
अमेजॉन जंगलों के लिए मशहूर देश ब्राजील ने अपने लिए लक्ष्य तय कर लिया है कि वह अगले नौ साल में जंगलों के कटाव को 80 फीसदी कम कर देगा. इसके लिए ब्राजील ने कदम भी उठाए हैं. थेल्मा क्रूग कहती हैं, "निजी क्षेत्र में हमने उस सोयाबीन पर रोक लगा दी है. जो जंगलों को काटने के बाद बनाए गए खेतों में उगाया जाता है. निजी क्षेत्र की कंपनियों ने सोया उत्पादकों के साथ सौदा कर लिया है कि वह जंगल काट कर बनाए गए खेतों में उगाई गई सोयाबीन नहीं खरीदें. और वह इसमें सफल भी रहे हैं."
थेल्मा क्रूग आरईडीडी यानि रेड के लिए ब्राजील की मुख्य वार्ताकार हैं. आरडीडी यानी रिड्यूसिंग एमिशन फ्रॉम डीफॉरेस्टेशन एंड डीग्रेडेशन. जंगलों के खत्म होने से बढ़ने वाली जहरीली गैस कैसे कम करने के लिए बनाया जाने वाला समझौता.
क्योटो प्रोटोकॉल के बाद
2013 में क्योटो प्रोटोकॉल की जगह लेने वाले समझौते में जंगलों की कमी के कारण होने वाली जहरीली गैसों के उत्सर्जन को कम करना एक अहम मुद्दा रहेगा. मोउतिन्हो का मानना है कि आरईडीडी समझौते से लोगों की इस सोच में बदलाव होगा. हालांकि अभी आरईडीडी समझौते की विषय वस्तु तय नहीं हुई है लेकिन कई देश जंगलों की सफाई रोकने के लिए की गई पहल का समर्थन कर रहे हैं.
नॉर्वे ने पिछले साल ही घोषणा की है कि अमेजॉन जंगलों को बचाने के लिए 10 लाख अमेरिकी डॉलर से ज्यादा की राशि दी जाएगी. ब्राजील में कोशिशें की जा रही हैं कि माल्टा अटलांटिका की जंगलों की की तरह उसके बाकी जंगल भी साफ न हो जाएं. माल्टा अटलांटिका जंगल ब्राजील का 15 प्रतिशत हिस्सा थे जो विकास की दौड़ में बुरी तरह घट गए. अब जंगल का 10 ही प्रतिशत हिस्सा मौजूद है.
आर्थिक मदद
ब्राजील के जोसे ओर्लेंडो क्रेमा को पराना में अपने पिता का फार्म विरासत में मिला. उन्होंने सोचा कि फायदे का एक ही तरीका है लकड़ी काट कर बेच दी जाए. लेकिन वन्य जीव शोध संस्थान और पर्यावरण शिक्षा के लिए बनी सोसायटी एसपीवीएस ने उन्हें आर्थिक मदद की. यह संस्था जमीन के मालिकों को सहायता देती है ताकि जंगल बसाये जा सकें. "कुछ साल पहले मैं दुविधा में था. अपने पड़ोसियों को लकड़ी बेचते और उससे फायदा कमाते देखता. एसपीवीएस की मदद के बिना इस जमीन को बचाए रखना मेरे लिए मुश्किल था. मुझे लगता है कि आर्थिक सहायता मिलना सही है क्योंकि मैं अपने समुदाय के लिए कुछ सार्थक कर रहा हूं."
अंतरराष्ट्रीय बहस
इस तरह की स्वतंत्र कोशिशों से मंजिल की ओर जाने वाला रास्ता तेजी से तय हो रहा है. ब्राजील की सरकार चाहती है कि आरईडीडी आर्थिक मदद देने वाली एक प्रणाली बने, न कि कार्बन ट्रेडिंग को समर्थन देने वाली एक प्रणाली. कार्बन ट्रेडिंग के जरिए औद्योगिक देश और निजी कंपनियां उनके जहरीले गैसों के उत्सर्जन के मुआवजे में उन प्रोजेक्ट्स को धन मुहैया करवाती हैं जो कार्बन डाई ऑक्साइड के उत्सर्जन को कम करने के लिए काम कर रहे हैं. थेल्मा क्रूग कहती हैं, "अगर विकसित देश अपने देश कार्बन उत्सर्जन की मात्रा को कम करने की बजाए क्षतिपूर्ति करते हैं तो मुझे लगता है कि इस तरीके का कोई फायदा नहीं है."
आरइडीडी समझौते में क्या तय होता है पता नहीं लेकिन पाउलो मोउतिन्हो को पूरा यकीं हैं कि यह जंगल बचेगा. "अमेजॉन का जंगल अब भी अस्सी फीसदी साबुत है. यह दुनिया का आखिरी सबसे बड़ा उष्ण कटिबंधीय जंगल है. और हम इस धरती पर अकेला ऐसा समाज हैं जिसके पास मौका है कि वह जंगल को बचाते हुए टिकाऊ विकास का अपना सपना सच करे. मुझे पूरी उम्मीद है कि ऐसा होगा. अगर मुझे उम्मीद नहीं होती तो मैं कुछ और कर रहा होता."
रिपोर्टः डॉयचे वेले/आभा एम
संपादनः उज्ज्वल भट्टाचार्य