जयराम रमेश के बयान पर जर्मनी नाराज
१३ नवम्बर २०१०जयराम रमेश ने कहा था कि लोगों को महंगी कारों का इस्तेमाल कम करना चाहिए क्योंकि ये पर्यवारण को बहुत नुकसान पहुंचाती हैं. उन्होंने खासतौर पर बीएमडब्ल्यू का नाम लिया था. इस बात से नाराज भारत में जर्मनी के राजदूत थोमास मातुसेक ने कहा कि जर्मनी की कारें ईंधन की खपत और पर्यावरण प्रदूषण के मामले में बहुत आधुनिक हैं. उन्होंने कहा, "यह समझना मुश्किल है कि पर्यावरण और वन मंत्रालय जयराम रमेश ने जर्मनी की कार कंपनियों का जिक्र करते हुए ऐसी बात क्यों कही."
अपने देश की कार इंडस्ट्री का बचाव करते हुए मातुसेक ने कहा कि इंजन के विकास के मामले में जर्मन कार उद्योग अत्याधुनिक है. उसकी तकनीक ईंधन की खपत घटाने और गैसों का उत्सर्जन कम करने में बहुत आगे है.
मातुसेक ने कहा, "जर्मन उद्योग को इस बात पर गर्व है कि उनके यहां कि कुछ कंपनियों ने कार्बन डाई ऑक्साइड के उत्सर्जन को रोकने और अगली पीढ़ी के इंजन विकसित करने में दुनिया का निर्देशन किया है."
शुक्रवार को दिल्ली में संयुक्त राष्ट्र के एक कार्यक्रम में रमेश ने कहा था कि स्पोर्ट्स यूटिलिटी व्हीकल को भारतीय सड़कों से हटा लिया जाना चाहिए क्योंकि वे ज्यादा कार्बन उत्सर्जित करते हैं और भारत जैसे देश में उनका इस्तेमाल किसी अपराध से कम नहीं है. उन्होंने डीजल नीति में सुधार की बात कही क्योंकि सब्सिडी के असली फायदे बीएमडब्ल्यू, बेंज और होंडा जैसी कंपनियों को मिल रहे हैं न कि किसानों को. मर्सीडीज बेंज और बीएमडब्ल्यू जर्मनी की प्रमुख कार कंपनियां हैं.
वैसे कुछ इसी तरह की बात कुछ समय पहले यूरोपीय संघ की एक रिपोर्ट में भी सामने आई. यूरोपीय संघ की एक रिपोर्ट के अनुसार जर्मन कार निर्माता यूरोप में सबसे ज्यादा कार्बन डाई ऑक्साइड छोड़ने वाली कारें बनाते हैं. औसतन 1 किलोमीटर जाने में टोयोटा कारें 132 ग्राम कार्बन छोड़ती हैं जबकि फॉक्सवैगन 151 ग्राम.
रिपोर्टः एजेंसियां/वी कुमार
संपादनः एन रंजन