जर्मन राष्ट्रपति पर दबाव बढ़ा
३ जनवरी २०१२मंगलवार को न तो चांसलर अंगेला मैर्केल और न ही सरकार के किसी और मंत्री ने राष्ट्रपति के समर्थन में कोई टिप्पणी की. इसके विपरीत मामले को पूरी तरह सामने लाने की मांग में तेजी आई है. विपक्षी एसपीडी ने पहली बार अप्रत्यक्ष रूप से राष्ट्रपति से तब तक काम न करने की सलाह दी है जब तक मामला साफ नहीं हो जाता.
और मामले
इस बीच यह भी पता चला है कि उन्होंने पिछली गर्मियों में भी मुश्किल में डालने वाली एक रिपोर्ट को खुद रोकने की कोशिश की. दैनिक डी वेल्ट ने कहा है कि वेल्ट अम जोंटाग में रिपोर्ट को रोकने के लिए राष्ट्रपति ने प्रकाशन के उच्च अधिकारियों को फोन किया था. यह लेख वुल्फ के परिवार और उनकी सौतेली बहन के बारे में था, जिसके बारे में लोगों को बहुत कम पता था. राष्ट्रपति की धमकी के बावजूद लेख छपा.
पत्रकारिता का पुराना सिद्धांत है, "यदि कुत्ता किसी व्यक्ति को काटता है तो वह खबर नहीं है, यदि आदमी कुत्ते को काट ले तो खबर बनती है." इसी तरह रिपोर्टरों का रोजमर्रे का काम होता है, प्रमुख राजनीतिज्ञों की खबर लेना, लेकिन जर्मनी का सर्वोच्च अधिकारी देश की सबसे ज्यादा बिकने वाले अखबार को युद्ध छेड़ने की धमकी देता है , तो संपादकीय दफ्तरों में खलबली मच जाती है.
राष्ट्रपति वुल्फ पर आरोप हैं कि उन्होंने पिछले महीने एक दोस्त की पत्नी से निजी कर्ज लेने के मामले में नुकसानदेह रिपोर्ट रुकवाने के प्रयास में बिल्ड दैनिक के मुख्य संपादक काइ डिकमन के सेलफोन पर एक धमकी भरा वॉयसमेल छोड़ा. पिछले सप्ताहांत टेब्लॉयड बिल्ड ने वह संदेश सार्वजनिक कर दिया जिसमें वुल्फ ने कहा था कि लेख के छपने के गंभीर नतीजे होंगे.
मीडिया और नेता
लगभग एक दशक पहले वामपंथी दैनिक टात्स द्वारा ने मीडिया रिपोर्टों पर राजनीतिज्ञों के प्रभाव पर बहस छेड़ी थी. तब दैनिक के पत्रकार येंस कोएनिग ने विपक्षी सोशल डेमोक्रैटिक पार्टी के महासचिव ओलोफ शॉल्त्स के साथ एक इंटरव्यू किया था. पार्टी के प्रेस ऑफिस ने प्रकाशन से पहले इंटरव्यू का ट्रांसक्रिप्ट मांगा जो कोएनिग्स ने भेज दिया. बाद में कोएनिग को वापस जो टेक्स्ट मिला उसमें व्यापक फेरबदल किया गया था. अखबार ने इसका विरोध करने का फैसला लिया और जो लेख प्रकाशित किया उसमें कोएनिग के सवाल तो थे लेकिन शॉल्त्स के बदले गए उत्तरों को नहीं छापा गया था. मीडिया जगत में इस विरोध की काफी सराहना हुई थी.
लेकिन ज्यूड डॉयचे त्साइटुंग के संपादक हंस लायेनडेकर का कहना है, "उस पहल का तभी लाभ होता जब सभी मीडिया हाउस संशोधित इंचरव्यू के खिलाफ एकजुट होते. लेकिन जर्मनी में इस तरह का सहयोग नहीं दिखता." लायेनडेकर कहते हैं कि अंग्रेजी मीडिया में बोले गए शब्दों का आदर होता है, जर्मन मीडिया ने इंटरव्यू देने वालों को बयान बदलने की छूट दे दी है.
क्रिस्टियान वुल्फ के पहले राष्ट्रपति हॉर्स्ट कोएलर ने भी उनके एक बयान पर मीडिया में छिड़ी बहस के बाद अचानक इस्तीफा दे दिया था.
रिपोर्टः डीएपीडी, रॉयटर्स/योहान्ना श्मेलर/मझा
संपादनः एन रंजन