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जर्मन स्कूल में नमाज़ पढ़ने की इजाज़त

३० सितम्बर २००९

बर्लिन की प्रशासनिक अदालत ने एक मुस्लिम छात्र को ब्रेक के दौरान स्कूल में नमाज़ पढ़ने की अनुमति दे दी है, लेकिन फ़ैसले के महत्व को देखते हुए उसके ख़िलाफ़ उच्च अदालत में अपील करने की भी अनुमति दी है.

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तस्वीर: picture-alliance/ dpa

बर्लिन में 16 साल का एक मुस्लिम छात्र स्कूल में नमाज़ अदा करना चाहता था, लेकिन स्कूल प्रशासन ने उसे ऐसा करने से रोक दिया. हवाला दिया स्कूल के धार्मिक तटस्थता के कर्तव्य का. छात्र के परिवार की दलील थी मुसलमान के रूप में पांच बार नमाज़ अदा करने की कर्तव्य की. छात्र का कहना था कि गर्मियों में वह यूं भी नमाज़ अदा करने अपने घर चला जाता है, लेकिन जाड़े में घर जाने के लिए पर्याप्त समय नहीं होता. स्कूल प्रशासन को डर था कि स्कूल में धार्मिक गुट बन सकते हैं.

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जर्मन स्कूल में इस्लाम शिक्षातस्वीर: AP

मामला बर्लिन की प्रशासनिक अदालत में गया. उसने पिछले ही साल अंतरिम फ़ैसले में छात्र को नमाज़ पढ़ने की अनुमति दे दी थी लेकिन अदालत को धार्मिक आज़ादी और स्कूली तटस्थता के बीच फ़ैसला लेना था. मंगलवार को सुनाए गए फ़ैसले में कहा गया है कि छात्र दिन में एक बार ब्रेक के दौरान नमाज़ पढ़ सकता है. बेंच के मुख्य जज ऊवे वेगेनर ने कहा कि मुसलमानों को भी धार्मिक स्वतंत्रता का मौलिक अधिकार है. जजों का मानना है कि छात्र के नमाज़ पढ़ने से स्कूल पर कोई असर नहीं होगा और स्कूल की तटस्थता का भी हनन नहीं होगा. अदालत के अनुसार तटस्थता का कर्तव्य राज्य से संयम की अपेक्षा करता है. छात्र ने न कोई विवाद खड़ा किया है और न ही उसे गहरा बनाया है.

मामले का महत्व सिर्फ़ प्रांतीय नहीं है बल्कि इसका असर दूसरे प्रांतों पर भी पड़ेगा. यह पहला मौक़ा था जब ऐसा कोई मुक़दमा जर्मन अदालत के सामने आया था. मामले के व्यापक महत्व को देखते हुए अदालत ने अपने फ़ैसले के ख़िलाफ़ अपील की अनुमति दे दी है. बर्लिन के अभिभावक संगठन ने प्रांतीय सरकार से इस फ़ैसले के ख़िलाफ़ अपील करने की मांग की है. उनका कहना है कि फ़ैसले से मुस्लिम छात्रों में समाज में घुलने मिलने में आ रही कमी और नीचे जा सकती है. बर्लिन के शिक्षा मंत्रालय ने कहा है कि वह फ़ैसले का आकलन कर अपील के बारे में फ़ैसला लेगी.

रिपोर्ट: एजेंसियां/महेश झा

संपादन: एस गौड़