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जर्मनी के 'अंबानी बंधु'

२८ जुलाई २०१०

जर्मनी के एक बड़े उद्योगपति थेओ अलब्रेष्ट का निधन हो गया है. उन्होंने अपने भाई कार्ल अलब्रेष्ट के साथ मिलकर रियायती सुपरमार्केट चेन आल्डी को खड़ा किया. पर भारत के अंबानी भाइयों की तरह उनका झगड़ा खूब चर्चा में रहा.

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तस्वीर: picture-alliance/dpa

कहने को रिलायंस भारत की सबसे बड़ी कंपनियों में से एक है लेकिन हाल के समय में वह अपने कारोबार से ज्यादा दोनों अंबानी भाइयों की तनातनी वजह से ज्यादा चर्चा में रही. ठीक इसी तरह का मामला जर्मनी में भी रहा है जिसमें रियायती सुपरमार्केट चेन आल्डी को लेकर झगड़ा रहा है. आल्डी नाम निकला है अल्ब्रेष्ट डिस्काउंट के शुरुआती अक्षरों से, और दुनिया का सबसे सस्ते स्टोर का नाम बन गया आल्डी.

Flash-Galerie Theo Albrecht Aldi Bibel
दुनिया भर में जाना माना नाम आल्डीतस्वीर: picture-alliance/dpa

सबसे सस्ता

आल्डी जर्मनी का सबसे पुराना रियायती सुपरमार्केट चेन है जिसने खरीददारी में क्रांति ला दी. इसकी शुरुआत पश्चिमी जर्मनी के ऐसन शहर में 1913 में एक छोटी सी दुकान के रूप में हुई. मां ने एक छोटा सा स्टोर शुरू किया जिसे उसके दोनों बेटों कार्ल अलब्रेष्ट और थेओ अलब्रेष्ट ने एक बड़े उद्योग की शक्ल दी. लेकिन बुधवार को जर्मन पत्रिका डेर श्पीगल ने खबर दी कि थेओ अलब्रेष्ट का 88 साल की उम्र में निधन हो गया है. मीडिया की चकाचौंध से दूर रहने वाले थेओ ने ऐसन शहर में ही लंबी बीमारी के बाद शनिवार को अंतिम सांस ली.

मैनेजर मैगजीन के मुताबिक अब भी अलब्रेशष्ट बंधु जर्मनी के सबसे अमीर व्यक्ति हैं. इनमें कार्ल के पास 17.35 अरब यूरो और थेओ को पास 16.75 अरब यूरो की दौलत बताई जाती है. यह बात अलग है कि जर्मनी के ये अरबपति ज्यादा सुर्खियों में नहीं रहे. थेओ को आखिरी बार सार्वजनिक रूप से 1971 में देखा गया था. वह भी तब, जब 17 दिन अपहरणकर्ताओं की कैद में रहने के बाद उन्हें रिहाई मिली. बताया जाता है कि इसके लिए उस जमाने में तीस लाख डॉलर की बड़ी रकम फिरौती के तौर पर दी गई.

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सिगरेट पर हुआ झगड़ा और बंट गए भाईतस्वीर: picture-alliance/ dpa

लड़ाई और फिर बंटवारा

कार्ल अलब्रेष्ट और थेओ अलब्रेष्ट बरसों तक मिलजुल कर आल्डी को चलाते रहे, लेकिन 1960 के दशक में दोनों भाइयो के बीच इस बात को लेकर झगड़ा हो गया कि वे अपने स्टोर में सिगरेट बेचें या नहीं. जब झगड़ा नहीं सुलझा तो कंपनी को हिस्सों में बांटने का फैसला किया गया. एक ग्रुप को नाम दिया गया आल्डी ज्यूड और दूसरे को आल्डी नॉर्ड.

आल्डी ज्यूड जर्मनी के दक्षिणी हिस्से में काम करता है जबकि आल्डी नॉर्ड उत्तरी हिस्से में. 1966 से ये दोनों कंपनियां कानूनी और वित्तीय तौर पर अलग अलग काम कर रही हैं लेकिन उनके बीच "दोस्ताना संबंध" हैं. ठीक उसी तरह जैसे भारत में लंबी खींचतान और तनातनी के बाद अब अंबानी बंधुओं ने सुलह कर ली है.

दुनिया भर में

आल्डी दुनिया भर में एक जाना पहचाना ब्रैंड है. जर्मनी सहित 17 यूरोपीय देशों के अलावा अमेरिका में भी उसके सुपरमार्केट स्टोर हैं. विदेशों में उसके 8,210 स्टोर हैं. आल्डी नॉर्ड की बेल्जियम, नीदरलैंड्स, लक्जमबर्ग, फ्रांस, स्पेन, पुर्तगाल और डेनमार्क के बाजार में अच्छी पैठ हैं. वहीं आल्डी ज्यूड स्विटजरलैंड में अपना विस्तार कर रहा है जहां 2005 में उसका पहला स्टोर खुला. हंगरी, ग्रीस और पोलैंड भी कारोबार के विस्तार के लिए कंपनी की फेहरिस्त में शामिल हैं.

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आल्डी की ट्रॉलियांतस्वीर: picture-alliance/dpa

आल्डी ने 1970 और 1980 के दशक में अंतरराष्ट्रीय बाजार में पैर फैलाने शुरू किए. वैसे जर्मनी के एकीकरण के बाद देश में भी आल्डी के स्टोरों की संख्या बढ़ी. वैसे दोनों भाई 1993 में अपनी अपनी कंपनियों के सीईओ पद के रिटायर हो गए और अपनी दौलत का एक बड़ा हिस्सा उन्होंने कई फाउंडेशनों को भी दान किया.

रिपोर्टः एजेंसियां/ए कुमार

संपादनः आभा एम