जर्मनी परमाणु ऊर्जा के रास्ते से हटेगा
१७ मार्च २०११मैर्केल ने इस समाचार का खंडन किया है कि जर्मनी ने शायद गैर कानूनी तौर पर सातों संयंत्र बंद कर दिए हैं. जापान में भूकंप और सुनामी से पैदा हुए परमाणु संकट के बाद अंगेला मैर्केल ने परमाणु संयंत्रों की समय सीमा पर फिर से फैसला करने के बारे में सोचा है. जापान में हुई मुश्किल के कारण जर्मनी में विपक्षी पार्टी एक बार फिर सरकार की परमाणु नीति पर सवाल उठा रहे हैं. विपक्ष का आरोप है कि वह ऐसा सिर्फ क्षेत्रीय चुनावों के मद्देनजर कर रही है ताकि पार्टी को चुनावों में भारी नुकसान नहीं उठाना पड़े.
बदला फैसला
हाल ही में मैर्केल ने कहा था कि परमाणु संयंत्रों के बारे फैसला तीन महीने बाद किया जाएगा. लेकिन गुरुवार को संसद में हुई विशेष बैठक में मैर्केल ने कहा, "परमाणु तकनीक सस्ती ऊर्जा पाने का एक साधन है... इस दौरान वैकल्पिक ऊर्जा के साधनों को भी विकसित किया जा रहा है." मंगलवार को मैर्केल ने आदेश दिए कि जो भी परमाणु संयंत्र 1980 के पहले से चल रहे हैं, उन्हें कम से कम तीन महीने पहले बंद कर दिया जाएगा ताकि सुरक्षा जांच की जा सके. "हमने मोरेटोरियम का समय सिर्फ तीन महीने का रखा है ताकि ऊर्जा नीति में बदलाव तेजी से लाया जा सके. "
इस फैसले के साथ मैर्केल ने अपनी ही सरकार के उस फैसले को पलट दिया जिसमें सरकार ने 17 परमाणु ऊर्जा संयंत्रों को उनके बंद होने की तारीख से ज्यादा साल चलाने का आदेश दिया था. अचानक से लिए गए इस फैसले की देश में और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आलोचना की जा रही है. संवैधानिक अदालत के पूर्व अध्यक्ष हंस युर्गन पपियर ने कहा कि जर्मनी का परमाणु उद्योग कानून में बंधा हुआ है.
हर तरफ से आलोचना
विपक्ष के विरोध के बीच चांसलर मैर्केल ने बार बार कहा कि जापान में भूकंप और सुनामी के बाद फुकुशिमा में पैदा हुई स्थिति के कारण जर्मनी में भी हालात बदले हैं और सब काम कानूनी रूप से किया गया है. परमाणु कानून इस बात की इजाजत देता है कि जब अधिकारी नए हालात के बारे में निश्चिंत नहीं हो जाते तब तक संयंत्र को अस्थायी तौर पर बंद रखा जाए. मैर्केल को संसद के स्पीकर नॉबर्ट लामर्ट की भी आलोचना का शिकार होना पड़ा. उन्होंने परमाणु संयंत्रों के बारे में किए फैसले पर मैर्केल से सवाल किया कि बुंडेसटाग से सलाह क्यों नहीं ली गई.
इऑन ने बताया कि बवेरिया के इसार नंबर वन रिएक्टर में गुरुवार से काम बंद हो जाएगा. इसके बाद बगल के राज्य बाडेन व्युर्टेंबर्ग में भी ईएनबीडब्ल्यू कंपनी के रिएक्टर को बंद कर दिया जाएगा. 27 मार्च को राज्य में विधान सभा चुनाव हो रहे हैं. पिछले 60 वर्षों से सीडीयू राज्य में सरकार बना रहा है लेकिन इस साल लोगों का रुख सोशल डेमोक्रैट्स की तरफ हो रहा है. जाहिर है सीडीयू राज्य में अपनी जगह बचाने के लिए हर तरह की कोशिश करेगा. हालांकि परमाणु रिएक्टरों के बंद होने के बाद जर्मनी को बिजली के उत्पादन के लिए तेल और कोयले पर दोबारा निर्भर होना पड़ेगा.
रिपोर्टः एजेंसियां/आभा एम
संपादनःएमजी