जर्मनी में अब शादी भी देर से और तलाक भी
१४ सितम्बर २०११जर्मन सांख्यिकी कार्यालय के नए आंकड़े कहते हैं कि जर्मनी में दाम्पत्य की अवधि बढ़ रही है, लेकिन फिर भी हर तीसरी शादी कभी न कभी टूट रही है. 2010 में तलाक के लिए जज के सामने उपस्थित होने वाले दम्पति सात साल से नहीं बल्कि औसत चौदह साल दो महीने तक विवाह के बंधन में बंधे थे. जर्मन सांख्यिकी कार्यालय के मार्टिन कोनराड कहते हैं, "इसके साथ लम्बे दाम्पत्य की रुझान जारी है."
ज्यादा टिक रही हैं शादियां
बीस साल पहले यानी 1992 में दाम्पत्य इतना लंबा नहीं टिकता था. उस साल तलाक लेने वाले दम्पति औसत साढ़े ग्यारह साल शादीशुदा थे. चूंकि जर्मनी में इस बीच शादियां देर से हो रही है और तलाक भी देर से लिया जा रहा है, तलाकशुदा लोगों की उम्र भी लगातार बढ़ती जा रही है. पिछले साल तलाक के समय मर्दों की औसत उम्र 44.7 वर्ष थी तो महिलाओं की 41.8 वर्ष. दोनों ही उम्र एक नया रिकॉर्ड है. 1992 में तलाक के समय औरतों की औसत आयु 36.1 थी जबकि मर्दों की 39 वर्ष.
कुल मिलाकर 2010 में जर्मनी में 1,87000 दम्पतियों ने तलाक लिया और उनका वैवाहिक संबंध कानूनी रूप से सामप्त कर दिया गया. यह संख्या पांच साल पहले के मुकाबले 14,500 कम है. यूं तो पिछले पांच सालों में तलाक लेने वाले लोगों की संख्या भी गिरी है लेकिन कुल मिलाकर स्थिति बेहतर नहीं हो रही है. कोनराजड का कहना है कि तलाक का अनुपात वैसा ही है क्योंकि वैवाहिक संबंधों की संख्या भी गिर रही है.
बच्चों पर पड़ता है तलाक का असर
सांख्यिकी कार्यालय के अनुसार 2010 में तलाक लेने वाले दम्पतियों की संख्या 1000 में 11 रही जबकि 1992 में हजार दम्पति में सिर्फ 7 दम्पतियों ने तलाक लिया था. वैसे यह भी सच है कि जर्मन एकीकरण के बाद से यह सबसे कम अनुपात था. विवाह टूटने का असर बच्चों पर पड़ना जारी है. रिपोर्ट के अनुसार तलाक लेने वाले दम्पतियों में से लगभग आधे के अल्पवयस्क बच्चे थे. मां बाप के तलाक का दंश झेलने वाले ऐसे बच्चों की संख्या 2010 में 1,45000 थी.
तलाक की अर्जी देने वालों का बहुमत पहले की ही तरह महिलाओं का है. आधे से ज्यादा विवाह महिलाओं की पहल पर टूटे. तलाक की 53 फीसदी अर्जी महिलाओं ने दी. 8 फीसदी तलाक के लिए पति और पत्नी ने संयुक्त रूप से आवेदन दिया. रिपोर्ट के अनुसार 80 फीसदी से ज्यादा दम्पति तलाक के समय एक साल से अधिक से एक दूसरे से अलग रह रहे थे. लेकिन 3,100 तलाक ऐसे भी हुए जिनमें अलग अलग रहने की अवधि एक साल से कम थी.
रिपोर्ट: एजेंसियां/महेश झा
संपादन: एन रंजन