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जर्मनी में पढ़ाई

१९ जनवरी २०१२

अर्थशास्त्र से लेकर रयासन शास्त्र तक या लाइबनित्स से लेकर आइन्स्टाइन तक, पढ़ाई का कोई ऐसा क्षेत्र नहीं है जिसमें जर्मनी ने ऊंचाइयों को न छुआ हो. आइए, जानें कि ऐसे कौन कौन से संस्थान हैं जहां आप रिसर्च कर सकते हैं.

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तस्वीर: picture alliance / dpa

जर्मनी में रिसर्च को बढ़ावा देने के लिए सैकड़ों प्रोग्राम चलते हैं जो नामी संगठनों की मदद से विश्वप्रसिद्ध संस्थानों में चलाए जा रहे हैं. इन प्रोग्रामों का स्तर इतना ऊंचा है कि दुनियाभर से स्कॉलर इनका हिस्सा बनने के लिए जर्मनी आना चाहते हैं. हम आपको देश के सबसे बड़े चंद रिसर्च प्रोग्राम और रिसर्च संस्थानों के बारे में बता सकते हैं.

द फ्राउनहोफेर सोसाइटी:

1949 में बनाई गई फ्राउनहोफेर सोसाइटी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अप्लाइड रिसर्च को आगे बढ़ाने का काम करती है. इस सोसाइटी का मकसद ऐसे रिसर्च प्रोग्रामों को बढ़ावा देना है जिनमें व्यवहारिक समस्याएं सुलझाने पर काम किया जाता है. इसके लिए संस्था सर्विस और उद्योग जगत की कंपनियों के अलावा सरकारी संस्थानों से भी कॉन्ट्रैक्ट लेती है. एमपीथ्री ऑडियो फाइल इसी सोसाइटी के रिसर्च प्रोग्राम के तहत इजाद की गई थी.

फ्राउनहोफेर सोसाइटी के तहत 80 से ज्यादा संस्थानों में काम होता है. वे जर्मनी के अलावा एशिया, अमेरिका और मध्य पूर्व के देशों में फैले हुए हैं. मास्टर डिग्री पूरी कर चुके छात्र इन संस्थानों में फ्राउनहोफेर सोसाइटी के फेलोशिप के लिए अप्लाई कर सकते हैं.

द हेल्महोल्त्स असोसिएशन

इस एसोसिएशन के 16 बड़े रिसर्च संस्थान हैं जो किसी यूनिवर्सिटी से नहीं जुड़े हैं. इसका सालाना बजट तीन अरब यूरो का है जिसका बड़ा हिस्सा जर्मन सरकार की तरफ से दिया जाता है. लेकिन संस्था निजी क्षेत्र से भी कॉन्ट्रैक्ट और फंड लेती है. इन संस्थानों में मुख्य तौर पर छह क्षेत्रों में रिसर्च होती है: ऊर्जा, पृथ्वी और पर्यावरण, स्वास्थ्य, तकनीकी, यातायात और अंतरिक्ष.

वैसे इसके संस्थान सीधे तौर पर तो यूनिवर्सिटियों से नहीं जुड़े हैं लेकिन अलग अलग यूनिवर्सिटी और कॉलेजों के साथ संस्थानों के संबंध हैं.

लाइबनित्स एसोसिएशन

जानीमानी लाइबनित्स असोसिएशन 86 सदस्य संस्थानों का एक समूह है जहां विभिन्न क्षेत्रों में रिसर्च कराई जाती है. इन क्षेत्रों को पांच श्रेणियों में बांटा जा सकता है: मानविकी और शिक्षा, अर्थशास्त्र, सामाजिक और क्षेत्रीय नियोजन, जीव विज्ञान, गणित, इंजीनियरिंग और पर्यावरण. हैम्बर्ग का बर्नहार्ड नोष्ट इंस्टिट्यूट फॉर ट्रॉपिकल मेडिसिन इसके सदस्य संस्थानों में शामिल है. इसके अलावा हाले का इंस्टिट्यूट फॉर इकनॉमिक रिसर्च और मानहाइम का इंस्टिट्यूट फॉर द जर्मन लैंग्वेज भी इसके मशहूर संस्थानों में शामिल है.

द माक्स प्लांक सोसाइटी

माक्स प्लांक दुनियाभर में जानी मानी ऐसी संस्था है जो बिना किसी लाभ के चलती है. यह एक स्वतंत्र संस्था है जिसका रिसर्च का दायरा पूरी दुनिया में फैला है. 1948 में शुरू होने के बाद से इस संस्थान के 17 शोधकर्ता नोबेल पुरस्कार जीत चुके हैं. माक्स प्लांक के 80 संस्थान हैं जिनमें लैबोरेटरी, वर्क ग्रुप और रिसर्च सेंटर शामिल हैं. यहां ऐसे विषयों पर रिसर्च पर जोर दिया जाता है जो किसी नई सोच को जन्म दे सकें और जिन पर विश्वविद्यालयों में ज्यादा काम नहीं हो रहा है.

'इंटरनेशनल माक्स प्लांक रिसर्च स्कूल' वैज्ञानिकों और स्कॉलर के बीच अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सहयोग के लिए काम करता है. ये स्कूल रिसर्च कर रहे छात्रों की मदद करते हैं. इनके लिए आधे से ज्यादा फंड विदेशों से अप्लाई करने वाले छात्रों के लिए खर्च की जाती है.

आलेक्सांद्र फोन हुमबोल्ट फाउंडेशन

हुमबोल्ट फाउंडेशन मुख्य तौर पर जर्मनी में सालाना 1,800 से ज्यादा रिसर्च छात्रों की मदद करती है. इनमें से ज्यादातर रिसर्चर विदेशों से आते हैं. इस फाउंडेशन का सबसे लोकप्रिय कार्यक्रम सालाना वजीफे का है जिसके तहत लगभग 2000 यूरो की मदद दी जाती है. इस फाउंडेशन के शोधकर्ताओं को सम्मेलनों में जाने और भाषा सीखने के लिए भी पैसा मिलता है.

हुमबोल्ट फाउंडेशन के पुराने छात्रों के संगठन में 130 देशों के 23 हजार लोग शामिल हैं. इनमें 41 नोबेल पुरस्कार विजेता भी हैं.

डीएफजी (जर्मन रिसर्च फाउंडेशन)

जर्मनी में रिसर्च करने वालों की मदद करने वाले संस्थानों में डीएफजी बेहद अहम है. इसका सालाना बजट दो अरब यूरो का है जिसका ज्यादातर हिस्सा सरकार से ही मिलता है. डीएफजी छात्रों के अलावा संस्थानों और विश्वविद्यालयों तक को फंड देती है.

रिपोर्टः क्लाउडिया उन्सेल्ड (जीएसडब्ल्यू)/ विवेक कुमार

संपादनः ओंकार सिंह जनौटी