जर्मनी: स्टाजी की फाइल खुलने के 20 साल
२ जनवरी २०१२देश के नागरिकों पर बनाई गई इन फाइलों को 111 किलोमीटर लंबे शेल्फ पर रखा गया है. उनमें सबूतों के तौर पर जमा की गई 16 लाख तस्वीरें, स्लाइड और निगेटिव फिल्में भी हैं. इतना ही नहीं इस आर्काइव में नष्ट कर दिए कागजातों के 15,500 बैग भी हैं जो दिखाते हैं कि पूर्वी जर्मनी की खुफिया पुलिस स्टाजी किस व्यापक स्तर पर लगभग 6 लाख लोगों पर नजर रखती थी. यह 1990 में पूर्वी जर्मनी के विघटन के समय उसकी आबादी का एक तिहाई था.
2 जनवरी 1992 को जर्मनी के नए स्टाजी दस्तावेज कानून के आधार पर बर्लिन में औपचारिक रूप से स्टाजी आर्काइव खोला गया ताकि पूर्वी जर्मनी के लोग अपनी फाइलें देख सकें और जान सकें कि उनके बारे में खुफिया पुलिस किस तरह की जानकारी जमा कर रही थी. इस कानून के जरिए सरकारी कर्मचारियों की जांच भी संभव हो पाई ताकि कम्युनिस्ट शासन में हिस्सेदारी के आयाम का पता चल सके.
स्टाजी की निगाहों में
लेखक लुत्स राथेनाव अब सेक्सनी प्रांत में स्टाजी दस्तावेजों के दफ्तर के प्रमुख हैं. बीस साल पहले जब स्टाजी दस्तावेजों का दफ्तर खुला था तो वे अपनी फाइल देखने जाने वाले शुरुआती लोगों में थे. पूर्वी जर्मन सरकार का विरोध करने के कारण वे लंबे समय तक स्टाजी की निगाहों में थे. उन्हें 1976 में एक आलोचनात्मक बयान के कारण गिरफ्तार कर लिया गया और अगले साल की फाइनल परीक्षा से तीन महीने पहले उन्हें येना विश्विद्यालय से निकाल दिया गया.
उन दिनों की याद करते हुए राथेनाव कहते हैं, "मुझे बहुत बेकरारी के साथ उस दिन का इंतजार था, 2 जनवरी 1992 का, जब सच सामने आएगा." आर्काइव के खुलने से ठीक पहले जर्मन मीडिया में राथेनाव और देश से निकाल दिए गए संगीतकार रॉल्फ बीयरमन की इस बात के लिए भारी आलोचना हो रही थी कि उन्होंने लेखक साशा एंडरसन के स्टाजी मुखबिर होने का शक किया था. राथेनाव कहते हैं, उस दिन मैंने राहत की सांस ली थी. "अगर वह दिन नहीं आया होता तो भूतपूर्व विद्रोहियों की बहुत सारी जिंदगियां तबाह हो जाती क्योंकि उनकी छवि बिगाड़ने की योजना बाहर नहीं आ पाती." तीस लाख लोगों के अलावा बहुत से पत्रकारों और शोध करने वालों ने भी अब तक स्टाजी की फाइलें देखी हैं.
व्यवस्थित कुप्रचार
नागरिक अधिकारों की कार्यकर्ता उलरीके पॉप्पे भी पहले ही दिन अपनी फाइल देखने गई थीं. उस दिन की याद करते हुए कहती हैं कि वे फाइलों का आयाम देख कर अचंभित रह गई थीं. "उन्होंने हमारे सामने 40 फाइलें रख दीं जिसमें मुझे विस्तृत रिपोर्टें, निगरानी लॉग बुक और मेरी छवि खराब करने की योजनाएं मिली." अब वे ब्रांडेनबुर्ग प्रांत में कम्युनिस्ट तानाशाही के असर से निबटने वाले दफ्तर की कमिश्नर हैं."उससे कहीं अधिक मुखबिर थे जितना की मैंने सोचा था," वे बताती हैं, "नजर रखने की अवधि और सैकड़ों इंट्री से मैं स्तब्ध थी."
पॉप्पे को पता चला कि उनके घर के सामने कैमरा लगा दिया गया था ताकि उनके घर में घुसने वाले हर व्यक्ति की तस्वीर ली जा सके. उन्होंने उन्हें नुकसान पहुंचाने वाली स्टाजी की योजनाएं भी देखीं. पहली बार मैंने देखा कि किस तरह उन्होंने व्यवस्थित ढंग से लोगों को बदनाम किया, पेशे में गल्तियां करवाईं और लोगों के घरों में घुसने की योजना बनाई.
आंसू और खुशियां
राथेनाव को आर्काइव खुलने के पहले दिन लोगों की प्रतिक्रिया अच्छी तरह से याद है. वे याद कर कहते हैं, "एक टेबल पर आंसू गिर रहे थे." उस टेबल पर वेरा लेंग्सफेल्ड बैठी थीं जो उस समय कम्युनिस्ट सरकार की विरोधी थीं और अब चांसलर अंगेला मैर्केल की सीडीयू पार्टी में हैं. उन्हें अपनी फाइल से पता चला था कि उनका पति स्टाजी से उनकी मुखबिरी करता था. दूसरी मेज पर लोग स्टाजी के मुखबिरों की रिपोर्टों के खराब व्याकरण पर हंस रहे थे.
राथेनाव को अपने बारे में सूचना देने वाले मुखबिरों के बारे में पढ़कर सहानुभूति हुई. "मैंने पाया कि मेरे बारे में रिपोर्ट देने वालों को इसका अफसोस था और उन्होंने स्टाजी को सारी खबर नहीं दी थी." वे कहते हैं कि जैसे जैसे वे रिपोर्ट पढ़ते गए, खबर देने वालों को माफ करते गए.
आश्चर्यजनक वफादारी
राथेनाव को यह जानकर भी अच्छा लगा कि उनके नजदीकी दोस्तों में से कोई मुखबिर नहीं था. "मैंने इन फाइलों का अनुभव इस सबूत के तौर पर किया कि उन्होंने मेरे साथ विश्वासघात नहीं किया. फाइल ने दो तीन लोगों को मुक्त भी कर दिया जिन पर मैंने संदेह किया था." उलरीके पॉप्पे का ऐसा ही अनुभव था. "पिछले महीनों में मुझे खबर मिली थी कि मेरे कौन से दोस्त स्टाजी के मुखबिर थे. लेकिन मैंने पाया कि बहुत से लोगों ने स्टाजी का दबाव बर्दाश्त किया था और उन्हें मना कर दिया था."
पॉप्पे कहती हैं कि फाइल देखकर वे पहले से ज्यादा संदेह नहीं करने लगीं. "जीडीआर में हम हमेशा शक किया करते थे. मुझे पता था कि किस चालाकी से वे मुखबिर बनाते थे." वे कहती हैं कि अब वे ज्यादा शक सुबहा नहीं करतीं क्योंकि उन्हें मालूम है कि वो दिन गुजर गए.
राथेनाव के लिए कहानी का अंत नहीं हुआ है. वे कहते हैं, "फाइलों को खुला रहना चाहिए ताकि लोग जीडीआर के इतिहास के नजदीक पहुंच सकें." वे कहते हैं कि जो कुछ हुआ उसे समझने में और बीस से पचीस साल लगेंगे. "जीडीआर के इरादे को समझने के लिए फाइलों को पढ़ना जरूरी है." सेक्सनी प्रांत में राथेनाव स्कूली बच्चों के लिए शैक्षिक कार्यक्रम चलाते हैं ताकि नई पीढियों के साथ व्यवस्था के बुरे पहलू को भुलाया न जाए. पॉप्पे का कहना है कि उन्हें भी ब्रांडेनबुर्ग में बहुत कुछ करना है. वे कहती हैं, "इतिहास में कभी वो वक्त नहीं आएगा जब आप कह सकेंगे कि हमने इन सब के साथ समझौता कर लिया है."
रिपोर्टः आर्ने लिष्टेनबर्ग/मझा
संपादनः एन रंजन