जलवायु में बदलाव से कितना जुड़ा है सैंडी
१ नवम्बर २०१२अमेरिका में तबाही मचा रहा तूफान सैंडी क्या जलवायु में बदलाव की वजह से आया है. तबाही के केंद्र में रहे न्यूयॉर्क राज्य के गवर्नर एंड्र्यू कुओमो का कहना है, "अगर कोई सोचता है कि मौसम के रवैये में बदलाव नहीं आ रहा है तो वह सच्चाई को झुठलाने की कोशिश कर रहा है."
हाल के वर्षों में एक के बाद एक आए कई भयानक बाढ़ और सूखे के बारे में सोचें तो कई पर्यावरण वैज्ञानिक को कुओमो की इस दलील से सहमत होंगे. जब तूफान की बात हो तो जानकार इस पर कुछ साफ साफ नहीं कह सकते. मौसम विज्ञान के लिए यह सबसे जटिल विषय है. उष्णकटिबंधीय तूफान समंदर की गर्मी से ऊर्जा पाते हैं. ऐसे में यह कहा जा सकता है कि सागर का तापमान बढ़ने पर तूफान का आना भी बढ़ेगा और उनकी तबाही भी. पर यह सिद्धांत पूरी तरह से सही है यह कहना मुश्किल है. 1970 के दशक से ही सागर का तापमान बढ़ रहा है और ऐसे में हर साल आने वाले तूफान की संख्या काफी ज्यादा बढ़नी चाहिए थी लेकिन यह हर साल 90 पर ही टिका हुआ है.
हालांकि अमेरिका के नेशनल ओशेनिक एंड एटमोस्फेरिक एडमिनिस्ट्रेशन का कहना है कि केवल अटलांटिक में ही बड़ी आंधियां 1995 के बाद से ज्यादा आने लगी हैं और इनकी तीव्रता भी काफी बढ़ी है. इस एजेंसी का यह भी कहना है कि फिलहाल विज्ञान यह ठीक ठीक नहीं बता सकता कि कितना बदलाव पर्यावरण में स्वाभाविक तौर पर हुआ है और कितना इंसानी गतिविधियों के कारण पैदा हुई उष्मा से. इस सदी के भविष्य के लिए भी जानकारों ने जो आकलन किया है वो बहुत उलझाने वाला और अस्पष्ट है.
ब्रिटेन के ओवरसीज डेवलपमेंट इंस्टीट्यूट में क्लाइमेट चेंज के प्रमुख टॉम मिशेल का कहना है, "ऐसे कुछ सबूत मिले जिनसे पता चलता है कि पर्यावरण में बदलाव के साथ हम हवाओं का मजबूत और तेज होने देख सकते हैं लेकिन संपूर्ण रूप से चक्रवातों में कोई बड़ा परिवर्तन होगा ऐसा नहीं लगता बल्कि यह कम भी हो सकते हैं." फ्रांस में मौसम मासम का पूर्वानुमान बताने वाली एजेंसी मेट्रो फ्रांस ने बताया कि यह तस्वीर इतनी धुंधली क्यों है. मेट्रो फ्रांस के मुताबिक, "चक्रवात केवल समुद्र की सतह के तापमान पर ही नहीं बल्कि यह वायुमंडल की हर परत पर हवा की संरचना पर भी पर भी निर्भर करता है. इसका मतलब है कि यह पर्यावरण में बदलाव के हिसाब से सीधे सीधे नहीं जुड़ा है."
अगर आंधियों के आवेग की बात हो तो पर्यावरण में बदलाव के असर के मुद्दे पर विज्ञान में ज्यादा सहमति दिखती है. सैंडी की लहरें संयुक्त राष्ट्र से जुड़ी आईपीसीसी के बनाए स्केच से बहुत हर तक मेल खाती हैं. यह स्केच मार्च में छपा थी जो आईपीसीसी ने मौसम की बड़ी घटनाओं के बारे में बनाई रिपोर्ट में शामिल किया था.
सैंडी का कहर झेलने में न्यूयॉर्क जैसे विकसित शहर का भी बैंड बज गया है जहां शानदार तकनीक, बढिया प्रशासन और दुनिया की सबसे अमीर अर्थव्यवस्था है सोच कर देखिये ऐसे तूफान एशियाई शहरों में आएं तो उनका क्या हाल होगा. 2007 में ओईसीडी ने आबादी के आधार पर सागर किनारे बसे 20 ऐसे शहरों को चुना था जो आने वाले पांच छह दशकों में सबसे ज्यादा संकटों का सामना करेंगे. इनमें सबसे ज्यादा 15 शहर एशिया से थे. इनमें पहले आठ जगहों में कोलकाता, मुंबई, ढाका, गुआंगझू, हो ची मिन्ह सिटी, शंघाई, बैंकॉक और रंगून शामिल हैं.
एनआर/एएम (एएफपी)