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जहरीली शराब के लिए कौन जिम्मेदार

१५ दिसम्बर २०११

पश्चिम बंगाल में अवैध शराब पीने से सौ से ज्यादा लोगों की मौत के बाद राज्य में राजनीतिक विवाद छिड़ गया है. त्रृणमूल कांग्रेस वाममोर्चा सरकार को जिम्मेदार बता है तो सीपीएम अवैध ठेकों के बढ़ने का दोष त्रृणमूल पर मढ़ रही है.

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तस्वीर: dapd

एएमआरआई अस्पताल में लगी आग से मरे 93 लोगों की चिता की आग अभी ठंढी भी नहीं हुई थी कि कोलकाता से सटे दक्षिण 24-परगना जिले में जहरीली शराब ने सौ से ज्यादा लोगों की जान ले ली है. देश में यह अपनी किस्म का पहला हादसा है जब इस अवैध शराब से एक साथ इतनी बड़ी तादाद में लोग मारे गए हैं. बुधवार सुबह से ही इस जहरीली शराब के सेवन से लोगों की मौत का जो सिलसिला शुरू हुआ वह गुरुवार को भी जारी रहा. लेकिन यह कोई पहला हादसा नहीं है. बंगाल में वाममोर्चा सरकार के कार्यकाल के दौरान अवैध शराब का यह धंधा दिन दूना रात चौगुना पनपा. इस हादसे के लिए तृणमूल कांग्रेस और कांग्रेस अब वाममोर्चा को ही जिम्मेवार ठहरा रही हैं.

हादसों का इतिहास

इस धंधे के फलने-फूलने की वजह से ही अक्सर ऐसे मामले सामने आते रहे हैं. वर्ष 2009 में कोलकाता के बंदरगाह इलाके में कच्ची शराब पीने से 26 लोगों की मौत हो गई थी. उसी साल पूर्व मेदिनीपुर जिले के तमलुक में इस जहर ने 52 जानें ले ली थी. लेकिन उसके बावजूद तत्कालीन वाममोर्चा सरकार ने इस अवैध कारोबार पर अंकुश लगाने की दिशा में कोई कदम नहीं उठाया. कांग्रेस नेता मानस भुइयां कहते हैं, ‘राज्य में साढ़े तीन दशक तक शासन करने वाला वाममोर्चा ही इस घटटना के लिए जिम्मेवार है. उसने अवैध शराब भट्ठियों को उद्योग का दर्जा दे दिया था. इसलिए अवैध शराब और अवैध हथियार ही अर्थव्यवस्था की रीढ़ बन गए थे.'

Indien Tod nach Verzehr giftigen Alkohols
तस्वीर: dapd

मौके पर पहुंचे केंद्रीय मंत्री और तृणमूल कांग्रेस के महासचिव मुकुल राय भी कहते हैं, ‘वाममोर्चा सरकार के जमाने में यह धंधा तेजी से फैला. नेता और स्थानीय पुलिस का शह भी ऐसे लोगों को मिला था.' राय कहते हैं कि अब सरकार ऐसे लोगों के खिलाफ कड़े कदम उठाएगी. लेकिन यह एक सामाजिक बुराई है. इसलिए स्थानीय लोगों को भी अवैध शराब के खिलाफ अभियान में शामिल करना होगा. स्थानीय लोगों की भागीदारी के बिना इस धंधे को खत्म करना संभव नहीं है.

सामाजिक व्याधि

मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी अवैध शराब के ठेकों को ‘सामाजिक व्याधि' करार देते हुए उनके खिलाफ कार्रवाई की बात कही है. उन्होंने कहा है कि इस अवैध कारोबार को कानूनी जामा पहनाने की स्थिति में सरकार को राजस्व मिलेगा. लेकिन वह इसके पक्ष में नहीं हैं. सरकार ने इस हादसे में मरे लोगों के परिजनों को दो-दो लाख रुपए का मुआवजा देने का एलान किया है. दूसरी ओर, सीपीएम के स्थानीय नेता और पूर्व मंत्री कांति गांगुली कहते हैं कि तृणमूल कांग्रेस के सत्ता में आने के बाद अवैध शराब के ठेकों की तादाद तीन गुना बढ़ गई है. वह सवाल करते हैं कि संग्रामपुर के जिस ठेके पर जहरीली शराब बिकती थी वह संग्रामपुर थाने से महज दो सौ मीटटर दूर था. क्या पुलिस इस मामले से अनजान थी?

अवैध शराब पीकर मरने वाले लोग मजदूर और रिक्शावाले हैं. जिस इलाके में यह घटना हुई है वहां लोग सुबह से ही यह शराब पीने लगते थे. इसका एक पाउच 11 से 13 रुपए में मिलता है, जबकि सरकारी दुकानों में मिलने वाली शराब की कीमत तीनगुने से ज्यादा होती है.

इलाके के कुछ लोगों का आरोप है कि यह हादसा देसी और देश में बनी विदेशी शराब पर सरकार की ओर से हाल में बढ़ाए गए टैक्स का नतीजा है. इस टैक्स की वजह से अनुमोदित दुकानों पर ब्रांडेड शराब काफी महंगी हो गई थी. नतीजतन लोगों के कदम ऐसे अवैध ठेकों की ओर बढ़ने लगे थे. ममता बनर्जी सरकार ने शराब की नई दुकानों को लाइसेंस देना भी बंद कर दिया है.

आमरी अस्पताल में आग से मरीजों की मौत के बाद अब इस हादसे ने जहां ममता सरकार को कटघरे में खड़ा कर दिया है, वहीं इन दोनों हादसों ने राज्य में राजनीति और आरोप-प्रत्यारोप का एक नया दौर शुरू कर दिया है.

रिपोर्ट: प्रभाकर, कोलकाता

संपादन: महेश झा

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