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जातीय ज्वालामुखी पर पाकिस्तान

११ जनवरी २०१३

क्वेटा में आत्मघाती हमले में मरने वालों की संख्या बढ़ कर 114 हो गई है. पाकिस्तान सरकार पर आरोप लगाते हुए मानवाधिकार संगठनों का कहना है कि शियाओं की सुरक्षा के लिए कुछ नहीं किया जा रहा है और वे अलग थलग महसूस करने लगे हैं.

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तस्वीर: Reuters

यह शिया मुसलमानों के खिलाफ हाल के दशकों में सबसे वीभत्स हमला है. अफगानिस्तान की सीमा पर बसे क्वेटा शहर में एक स्नूकर क्लब पर हमला किया गया. इससे अलावा एक और विस्फोट हुआ. ये इलाके शिया बहुल वाले हैं.

पाकिस्तान ह्यूमन राइट्स वॉच के अली दयान हसन का कहना है, "पिछला साल शिया मुसलमानों के लिए सबसे खूनी साल रहा. पिछले साल 400 से ज्यादा लोग मारे गए. और अगर कल के हमले का इशारा देखा जाए, तो यह और खराब होने के रास्ते पर जा रहा है."

स्नूकर क्लब पर निशाना

पुलिस सूत्रों ने बताया कि आत्मघाती हमलावर ने एक स्नूकर क्लब को निशाना बनाया और इस हमले में 81 लोगों की मौके पर ही मौत हो गई. हमले में 121 लोग घायल हुए. सिर्फ 10 मिनट बाद एक कार में भी धमाका हुआ, जिसमें 10 लोग मारे गए. मारे गए लोगों में पुलिस और बचाव दल के 20 लोग शामिल हैं. पुलिस अधिकारी मीर जुबैर महमूद का कहना है, "यह कयामत की तरह था. हर तरफ लाशें बिछी हुई थीं."

Proteste in Pakistan Militär
सुरक्षा देने में नाकामतस्वीर: DW/Shakoor Raheem

प्रतिबंधित ग्रुप लश्कर ए जंगवी ने इन हमलों की जिम्मेदारी ली है. इलाके में हजारा समुदाय के लोग रहते हैं, जो शिया मुसलमान हैं. इस हमले के बाद पाकिस्तान की आंतरिक सुरक्षा पर भी सवाल उठने लगे हैं, जो हाल के दिनों में तालिबान और दूसरे घरेलू आतंकवादी संगठनों से पार पाने में नाकाम रहा है.

लश्कर ए जंगवी पाकिस्तान और अमेरिका की दोस्ती का विरोधी है और चाहता है कि देश में इस्लामी तौर तरीके लागू हों. वह शिया समुदाय पर हमला करके अपनी उपस्थिति दर्ज कराना चाहता है. धार्मिक प्रदर्शनों में भी हमले होते हैं. कुछ ऐसी ही स्थिति इराक में भी पैदा हुई थी, जिसके बाद वह देश गृह युद्ध के कगार पर चला गया था. जंगवी के मलिक इश्हाक को 14 साल जेल में बिताने के बाद पिछले साल रिहा किया गया है.

हजारा पर हमला

दयान कहते हैं कि क्वेटा के आस पास करीब पांच लाख हजारा रहते हैं और शारीरिक बनावट से उन्हें आसानी से पहचाना जा सकता है. उनका कहना है कि इसी का फायदा उठा कर उन्हें आसानी से निशाना बनाया जाता है. दयान ने कहा, "वे खुद को असहाय और घिरा हुआ महसूस कर रहे हैं. अगर वे अपने गढ़ से बाहर निकलते हैं, तो उनकी जान को खतरा रहता है." उन्होंने कहा कि कोई भी उन्हें सुरक्षा नहीं दे पा रहा है, न तो सरकार और न ही न्यायपालिका.

इससे पहले क्वेटा के बाजार में भी एक बम धमाका हुआ, जिसमें कम से कम 11 लोग मारे गए. यूनाइटेड बलूच आर्मी ने उस हमले की जिम्मेदारी ली है. बलूचिस्तान का इलाका प्राकृतिक संसाधनों से भरा है और कई बलूच संगठन आजादी की मांग कर रहे हैं. यूनाइटेड बलूच आर्मी भी उनमें से एक है. क्वेटा बलूचिस्तान की राजधानी है और पाकिस्तान के कुल क्षेत्रफल का लगभग आधा हिस्सा यही है. पाकिस्तान में करीब 18 करोड़ लोग रहते हैं, जिनमें से आठ करोड़ बलूचिस्तान में हैं.

आतंक से जूझता देश

पिछले दो साल में पाकिस्तान में आतंकवादी हमलों में मारे जाने वाले लोगों की संख्या कम हुई है लेकिन इस दौरान जातीय हिंसा बढ़ी है. पाकिस्तान सुरक्षा बल इन हमलों को रोक पाने में नाकाम रहा है. मानवाधिकार संगठनों का कहना है कि सरकार को इस बात की जांच करनी चाहिए कि क्या हमलावर संगठनों की साठ गांठ सरकारी इदारों से तो नहीं है. आरोप रहे हैं कि लश्कर ए जंगवी और पाकिस्तानी सेना के नजदीकी रिश्ते हैं और सेना का मानना है कि अगर भारत के साथ किसी तरह का झगड़ा होता है, तो वह इस संगठन से मदद ले सकती है.

एजेए/एमजे (रॉयटर्स)

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