जादुई सपना और बदनाम ग्लैमर यानी माराडोना
७ जून २०१०माराडोना वर्ल्ड कप के सेमीफाइनल में बेईमानी से हाथ से गोल कर सकते हैं, तो उसी मैच में छह खिलाड़ियों को छका कर शताब्दी का सर्वश्रेष्ठ गोल भी दाग सकते हैं. डिएगो मैराडोना वह सब कर सकते हैं, जो किसी फुटबॉलर से उम्मीद की जाती है और वह भी, जिसके बारे में कोई सोच भी नहीं सकता.
दो साल पहले अर्जेंटीना के फुटबॉल टीम की कोचिंग संभालने वाले माराडोना की टीम ने अगर शुरू के मैच लगातार जीत लिए, तो बोलीविया जैसी टीम से 6-1 से हार भी गई, जो 60 साल में अर्जेंटीना की सबसे बुरी हार है. वर्ल्ड कप क्वालीफाइंग में लगातार हार ने टीम को ऐसी जगह पहुंचा दिया था, जहां से दक्षिण अफ्रीका के रास्ते बंद होने लगे थे.
1980 के दशक में माराडोना एक जादुई फुटबॉलर बन कर चमका और देखते ही देखते अपने देश को वर्ल्ड कप जिताने वाला महान खिलाड़ी बन बैठा. ग्राउंड पर लेफ्ट विंग में चीते की फुर्ती से गेंद लेकर भागता यह शख्स इसी बीच खामोश बंद कमरों में कोकीन और शराब की पनाह में चला गया. जल्द ही पूरी दुनिया इस बात को जान गई और लगातार दो बार टीम को फाइनल तक पहुंचाने वाले माराडोना को नशीली दवाइयां लेने की वजह से 1994 के वर्ल्ड कप से निकाल बाहर किया गया. टीम भी दूसरे दौर में निकल गई.
फुटबॉल की दुनिया छूटने के बाद शराब, हशीश और कोकीन का सहारा रह गया. वजन बढ़ कर 120 किलो के पार पहुंच गया और निजी जीवन भी तार तार हो गया. पत्नी ने भी अलविदा कह दिया. लेकिन 2005 में माराडोना ने जिन्दगी फिर से जीने का फैसला किया. ड्रग्स के चंगुल से बाहर निकलने का इलाज करा चुके थे. अब मोटापा कम करने का ऑपरेशन कराया और 2007 में एलान किया कि उन्होंने शराब और ड्रग्स से तौबा कर ली है. 2008 में उनका सपना पूरा हो गया, जब अर्जेंटीना टीम की कोचिंग का जिम्मा उन्हें दे दिया गया.
लेकिन माराडोना और विवादों का साथ न छूटा. कभी टीम बुरी तरह हार गई, तो कभी खुद माराडोना की करतूत पर फीफा ने 15 महीनों की पाबंदी ठोंक दी. आखिर में उन्होंने पत्रकारों को अपशब्द कह कर एक और मर्यादा तोड़ दी.
लेकिन माराडोना में ऐसा जादू है, जो टूटता नहीं. भारत जैसे देश में, जहां फुटबॉल का वह क्रेज नहीं, जो लैटिन अमेरिका या यूरोप में है, वहां भी लोग माराडोना को खूब पसंद करते हैं. छोटे कद वाले माराडोना की तुलना सचिन तेंदुलकर से की जाती है. एक जैसा छोटा कद. एक जैसे घुंघराले बाल. एक जैसी ब्लू जर्सी और एक जैसा लाजवाब खेल.
फीफा ने जब सदी के सर्वश्रेष्ठ फुटबॉलर की तलाश शुरू की, तो माराडोना को ब्राजील के पेले से तीन गुना ज्यादा वोट मिले. लेकिन आखिरी मौके पर दोनों महान खिलाड़ियों को संयुक्त रूप से यह पुरस्कार दिया गया. माराडोना क्या हस्ती हैं, अंदाजा इस बात से लग सतका है कि उनके चाहने वालों ने 1998 में माराडोना चर्च की स्थापना कर दी और 2003 में उनके जन्मदिन के हिसाब से नया कैलेंडर शुरू कर दिया. दुनिया भर में एक लाख से ज्यादा लोग इस संस्था से जुड़े हैं. और इस वक्त उनके कैलेंडर का साल है 49 डीडी.
लगभग 50 के माराडोना के पास एक बेहतरीन टीम है और एक बेहतरीन मौका, कुछ वैसा कर जाने का, जैसा उन्होंने अपनी अब से आधी उम्र में 1986 में कर दिखाया है.