जिंदा होंगे जीवाश्म
२१ मई २०१४खोज वैज्ञानिकों के लिए खजाने से कम नहीं. 1991 में ऑस्ट्रिया और इटली की सरहद पर ओट्सटाल आल्प पहाड़ियों में पिघली बर्फ से निकला एक प्राचीन कंकाल. सदियों पहले शिकार पर निकला यह आदिमानव मौत के बाद पहाड़ों की बर्फीली हवाओं में जम गया होगा. प्राचीन हथियारों का इस्तेमाल करने वाले इस शिकारी का नाम वैज्ञानिकों ने ओटसी रखा.
धुव्रों और पहाड़ों की बर्फ में अब भी कई राज दबे हैं. इनके जरिए काफी जानकारी जुटाई जा सकती है. जब बर्फ पिघलती है तो शोधकर्ताओं को कई बार पूरे जानवर मिलते हैं, जिनके अंगों को बर्फ ने बचाकर रखा है. मिसाल के तौर पर ल्यूबा. यह 42000 साल पुराना मैमथ हाथी का बच्चा है. यह उत्तरी साइबेरिया में मिला.'
जीवाश्म के अध्ययन से वैज्ञानिक इन जानवरों की उत्पत्ति और इनके पतन के बारे में जानना चाहते हैं. रूसी रिसर्चर वुली मैमथ का क्लोन भी बनाना चाहते हैं. लेकिन क्लोन किया मैमथ कैसा होगा. क्लोनिंग वैसे ही विवादों में है और इसके नतीजे भी पक्के नहीं. लेकिन जिन जगहों पर बर्फ सदियों बाद, अब जाकर पिघल रही है वहां ऐसे बहुकोशिकीय स्तर वाले प्राचीन जीवाश्म पाए जा रहे हैं, जिन्हें दोबारा जिंदा किया जा सकता है.
जैसे यह पिथोवायरस. 30000 साल पहले यह लंबे वक्त के लिए बर्फ में धंस गया. अब इस वायरस को अमीबा की मदद से जिंदा किया गया है.
बर्फ से ढंकी पृथ्वी के इतिहास से इंसान की उत्पत्ति के बारे में कई बातें पता चल सकती हैं. इससे पता चलता है कि मनुष्य ने खुद को प्राकृतिक आपदाओं से कैसे बचाया और वो दुश्मनों से कैसे लड़ा.
पृथ्वी पर जीवन के हजारों रहस्य बर्फ की इन विशाल परतों में छिपे हैं. और इसके पिघलने से जिंदगी की कहानी साफ ढंग से उभरने लगती है.
रिपोर्ट: आंद्रेयास नॉएहाउस/एमजी
संपादन: ओंकार सिंह जनौटी