" जीवन भी टी20 क्रिकेट ही है "
१८ अप्रैल २०११खराब फील्डिंग ले डूबी: तेंदुलकर - 20-20 क्रिकेट की तेजी ही उसकी रोचक तथा रोमांचकता है, जिसके कारण वह लोकप्रिय हुआ है. आज के व्यस्त युग में हमारा जीवन भी बहुत तेज हो चुका है, लोगों के पास सब कुछ है, बस समय नही है, बहुत कुछ साम्य है जीवन और 20-20 क्रिकेट में . सीमित गेंदो में अधिकतम रन बनाने हैं और जब फील्डिंग का मौका आये तो क्रीज के खिलाड़ी को अपनी स्पिन गेंद से या बेहतरीन मैदानी पकड़ से जल्दी से जल्दी आउट करना होता है. जिस तरह बल्लेबाज नही जानता कि कौन सी गेंद उसके लिये अंतिम गेंद हो सकती है, ठीक उसी तरह हम नही जानते कि कौन सा पल हमारे लिये अंतिम पल हो सकता है. धरती की विराट पिच पर परिस्थितियां व समय बॉलिंग कर रहे है, शरीर बल्लेबाज है, परमात्मा के इस आयोजन में धर्मराज अम्पायर की भूमिका निभा रहे हैं, विषम परिस्थितियां, बीमारियां फील्डिंग कर रही हैं, विकेटकीपर यमराज हैं, ये सब हर क्षण हमें हरा देने के लिये तत्पर हैं. प्राण हमारा विकेट है. प्राण पखेरू उड़े तो हमारी बल्लेबाजी समाप्त हुई. जीवन एक 20-20 क्रिकेट ही तो है, हमें निश्चित समय और निर्धारित गेंदो में अधिकाधिक रन बटोरने हैं. धनार्जन के रन सिंगल्स हो सकते हैं, यश अर्जन के चौके, समाज व परिवार के प्रति हमारी जिम्मेदारियों के निर्वहन के रूप में दो दो रन बटोरना हमारी विवशता है. अचानक सफलता के छक्के कम ही लगते हैं. कभी-कभी कुछ आक्रामक खिलाड़ी जल्दी ही पैवेलियन लौट जाते हैं, लेकिन पारी ऐसी खेलते हैं कि कीर्तिमान बना जाते हैं, सब का अपना-अपना रन बनाने का तरीका है. जीवन के क्रिकेट में हम ही कभी क्रीज पर रन बटोर रहे होते हैं तो कभी फील्डिंग करते नजर आते हैं, कभी हम किसी और के लिये गेंदबाजी करते हैं तो कभी विकेट कीपिंग, कभी किसी का कैच ले लेते हैं तो कभी हम से कोई गेंद छूट जाती है और सारा स्टेडियम हम पर हंसता है. हम अपने आप पर झल्ला उठते हैं. जब हम इस जीवन क्रिकेट के मैदान पर कुछ अद्भुत कर गुजरते हैं तो खेलते हुए और खेल के बाद भी हमारी वाहवाही होती है. अतः जरूरी है कि हम अपनी पारी श्रेष्ठतम तरीके से खेलें. क्रीज पर जितना भी समय हमें परमात्मा ने दिया है उसका परिस्थिति के अनुसार तथा टीम की जरूरत के अनुसार अच्छे से अच्छा उपयोग किया जावे. कभी आपको तेज गति से रनों की दरकार हो सकती है तो कभी बिना आउट हुए क्रीज पर बने रहने की आवश्यकता हो सकती है. जीवन की क्रीज पर हम स्वयं ही अपने कप्तान और खिलाड़ी होते हैं. हमें ही तय करना होता है कि हमारे लिये क्या बेहतर है ?
विवेक रंजन श्रीवास्तव,रामपुर ,जबलपुर मध्य प्रदेश
***
आपकी वेबसाइट मैं रोजाना देखता हूं. हिन्दी समाचारों में यह सबसे उत्कृष्ट वेबसाइट है. मुझे बहुत खुशी हुई जब आपके समाचारों से मालूम हुआ कि जर्मनी के अखबारों में समाजसेवी अन्ना हजारे एवं लोकपाल बिल के बारे में लिखा गया है. हिन्दुस्तान से जुड़ी ख़बरों को देखकर मुझे बहुत खुशी होती है. इन सब के लिए आपका शुक्रिया.
अखिलेश श्रीवास्तव लखनऊ, उत्तर प्रदेश
***
पूनम पांडे के बारे में माता पिता से पूछो' - खबरों कि निष्पक्षता और प्रस्तुति का नायाब अंदाज ही आपको सबसे अलग बनाता है और शायद यही एक बड़ी वजह है कि अपने बचपन के दिनों से लेकर आज तक आपके प्रसारण के साथ हूं और यथासंभव अपने परिचितों तक आपको पहुंचाने की कोशिश भी करता आया हूं.
राम कुमार नीरज, बदरपुर, नई दिल्ली
***
ईमानदार जजों की जरूरत हैः चीफ जस्टिस - जैसा कि हम पिछले कुछ वर्षों से देख रहे हैं कि भ्रष्टाचार हमारे सिस्टम के लिए एक कैंसर सा बन गया है. न्यायाधिकरण ही सरकार का एक ऐसा हिस्सा था जो कि इससे बचा हुआ था,लेकिन अब इसमें भी कुछ ऐसे लोग शामिल हो गए हैं जो एक न्यायिक पद के योग्य नहीं हैं. मैंने लखनऊ विश्वविद्यालय की एक संगोष्ठी में भाग लिया जिसमें श्री मार्कण्डेय काटजू मुख्य अतिथि थे. उन्होंने कहा कि न्यायाधीश भी इंसान होते हैं और मानव जाति में भ्रष्टाचार स्वभाव से ही होता है. मैं श्री काटजू की बात से काफी सहमत हूं और उन्होंने कहा कि हमें इस भ्रष्टाचार को रोकने के लिए एक अच्छी नीतिविद्या की जरूरत है, नहीं तो हम फिर से असफल हो जायेंगे और यहां भी कुछ अन्य देशों की तरह जैसी क्रांति हो सकती है . माननीय कपाड़ियाजी का कानून और उनके विचार के क्षेत्र में एक प्रतिष्ठित व्यक्तित्व है जो कि हमारे लिए महत्वपूर्ण हैं.
कपिल गुप्ता.
***
संकलनः विनोद चढ्डा
संपादनः आभा एम