जेम्स बॉन्ड : किलर और लेडीकिलर
१८ अगस्त २०१०उसका नाम है जेम्स बॉन्ड. भले ही उसकी पुरानी फ़िल्में अब भारत में भी हिंदी डबिंग के भरोसे धुआंधार चल रही हों, पर उसका स्वर्णयुग ख़त्म सा लगता है. डैनियेल क्रेग नई फ़िल्म में बॉन्ड बनने वाले थे. लेकिन फाइनेंस के अभाव के चलते शूटिंग शुरू नहीं हो पा रही है.
वैसे क्लासिक की लीक पर चलने वालों के बीच जेम्स बॉन्ड कभी लोकप्रिय नहीं रहे हैं. जार्ज स्माइली के रचयिता मशहूर जासूसी लेखक जॉन ले कारे ने अपने प्रतिद्वंद्वी इयान फ्लेमिंग के इस चरित्र के बारे में एक बार कहा था कि उन्हें लगता ही नहीं कि जेम्स बॉन्ड कोई जासूस है. इतना ही नहीं, ले कारे की राय में बॉन्ड एक इंटरनेशनल गैंगस्टर सा है, जिसे कत्ल करने का लाइसेंस मिला हुआ है. जासूसों की पांत में उसे शामिल करना ही गलत है.
ले कारे 1950 और 1960 के दशक में ब्रिटिश जासूस संस्था एमआई 5 और एमआई 6 के लिए काम कर चुके हैं. उनकी राय में एक जासूस के रूप में बॉन्ड की विश्वसनीयता पर शक किया जा सकता है. अपनी पुस्तक द मैन हू केम इन फ्रॉम द कोल्ड में ले कारे ने पूर्वी जर्मनी के स्टार एजेंट मार्कुस वोल्फ़ की तस्वीर पेश की थी. उनका कहना था कि अपने अनुभवों के आधार पर वह चरित्र तैयार करते थे.
ले कारे को ख़ासकर यह बात खली कि जेम्स बॉन्ड अपने काम को राजनीतिक परिप्रेक्ष्य में नहीं देखता. उनके शब्दों में, "बॉन्ड के लिए इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि अमेरिका या सोवियत संघ का राष्ट्रपति कौन है."
सोवियत संघ तो अब रहा नहीं, और सिर्फ बॉन्ड को भी अब दूसरे दुश्मनों की तलाश करनी पड़ती है. मसलन उत्तर कोरिया या ड्रग स्मगलर. लेकिन सिर्फ दुनिया नहीं बदली है, बॉन्ड के बारे में ले कारे की राय भी थोडी सी बदली है. एक साक्षात्कार में हाल में उन्होंने कहा कि अगर आज उन्हें इस सिलसिले में कुछ कहना हो, तो वह इतने कड़े शब्दों का इस्तेमाल नहीं करेंगे.
ले कारे की भी इस बीच काफ़ी उम्र हो चुकी है. कोई अगर सदाबहार युवा बना हुआ है, तो वह है जेम्स बॉन्ड.
रिपोर्टः उज्ज्वल भट्टाचार्य
संपादनः ए कुमार