जैतपुर प्लांट प्रोजेक्ट को आगे बढ़ाएगी सरकार
२७ अप्रैल २०११जैतपुर परियोजना को आगे बढ़ाने का फैसला प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में हुई एक बैठक में लिया गया. यह बैठक जापान के फुकुशिमा परमाणु संयंत्र में रेडियोधर्मी रिसाव के मद्देनजर परमाणु सुरक्षा को लेकर पैदा हो रही चिंताओं और जैतपुर में फ्रांस की मदद से बनने वाले परमाणु संयंत्र के विरोध को देखते हुए बुलाई गई.
बैठक में पर्यावरण मंत्री जयराम रमेश, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण और आण्विक ऊर्जा आयोग के अध्यक्ष श्रीकुमार बनर्जी ने भी हिस्सा लिया. इसमें जैतपुर संयंत्र को भारत की बढ़ती ऊर्जा जरूरतों के लिहाज से अहम करार दिया गया. बैठक में कहा गया कि जैतपुर संयंत्र का विरोध मुख्य तौर पर राजनीतिक विचारधारा के चलते हो रहा है और इस विरोध को विपक्षी शिवसेना पार्टी हवा दे रही है. इस बात पर भी जोर दिया गया कि स्थानीय लोगों को यह भरोसा दिलाया जाएगा कि इस संयंत्र से उन्हें कोई नुकसान नहीं, बल्कि फायदा ही होगा.
रमेश की खिंचाई
बैठक के बाद चव्हाण ने कहा, "जैतपुर प्रोजेक्ट रोकने का कोई सवाल ही नहीं है." वह हाल में रमेश की इस टिप्पणी पर पूछे गए सवाल का जबाव दे रहे थे कि फुकुशिमा के संकट को देखते हुए भारत में परमाणु परियोजनाओं पर कुछ समय के लिए रोक लगाई जा सकती है. जापान में 11 मार्च को भयानक भूकंप और सूनामी के बाद फुकुशिमा परमाणु बिजली संयंत्र ध्वस्त हो गया जिसके बाद वहां से बड़ी मात्रा में रेडियोधर्मी तत्व निकल रहे हैं.
समझा जाता है कि बैठक में प्रधानमंत्री ने परमाणु संयंत्रों पर रोक की रमेश की टिप्पणी पर नाराजगी जताई. उनका कहना है कि ऐसी बातों से विरोध करने वालों को बढ़ावा मिलता है. बताया जाता है कि उन्होंने रमेश को यह घोषणा करने के लिए एक प्रेस कांफ्रेंस बुलाने को कहा है कि सरकार जैतपुर संयंत्र की योजना को आगे बढ़ा रही है.
नियामक प्राधिकरण बनेगा
प्रधानमंत्री कार्यालय ने एक बयान जारी कर कहा है कि जैतपुर प्लांट को चरणबद्ध तरीके से आगे बढ़ाया जाएगा. इसकी शुरुआत 1650 मेगावाट के दो रिएक्टरों से होगी. बयान के मुताबिक 2019 में जब ये रिएक्टर पूरे हो जाएंगे तो उनकी वजह से पर्यावरण पर पड़ने वाले असर का व्यापक मूल्यांकन होगा.
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री चव्हाण ने माना कि फुकुशिमा संकट के चलते परमाणु सुरक्षा को लेकर सवाल उठने स्वाभाविक हैं, लेकिन वह इस बारे में बात करने को तैयार हैं और उम्मीद करते हैं कि लोग इस बात को समझेंगे कि समूचे तौर पर इस प्लांट से राज्य को कितना फायदा होगा. सरकार ने फैसला किया है कि संसद के अगले सत्र में वह बिल लाएगी ताकि एक स्वायत्त परमाणु नियामक प्राधिकरण का गठन करने के लिए एक कानून बनाया जा सके. परमाणु संयंत्रों की सुरक्षा को लेकर भरोसा पैदा करने के लिए ऐसा किया जाएगा. प्राधिकरण के गठन के बाद आण्विक ऊर्जा नियामक बोर्ड का इसमें विलय कर दिया जाएगा.
रिपोर्टः एजेंसियां/ए कुमार
संपादनः ओ सिंह