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८ दिसम्बर २०१०''सोचो....न स्वर्ग हो, न नर्क हो
न कोई देश हो, न कोई धर्म हो
न भूख हो, न हत्या हो, न लड़ाई हो
तुम कहोगे कि मैं सपना देखता हूं
लेकिन उम्मीद हैं कि एक दिन तुम भी
मेरे साथ जुड़ोगे..दुनिया एक होकर जिएगी''
जॉन लेनन ने यह पंक्तियां तब लिखी थी, जब न खाड़ी, ईरान-इराक या फिर कल्पनाओं में अभी का अफगानिस्तान युद्ध भी नहीं था. उनके इस गाने से आज भी प्रेम और सदभाव टपकता है. आतंकवाद, युद्ध और नस्लवाद जैसी सोच तुच्छ और ओछी साबित होती है.
जॉन लेनन की कलम से यह गाना 70 के दशक में निकला. इस गाने को दुनिया भर में सराहा गया. आज भी दुनिया भर के कई अस्पतालों में भी धीमें सुरों में यह गाना सुनाई पड़ता है.
लेकिन प्यार का ऐसा संदेश देने वाले को भी घृणा ने नहीं बख्शा. आठ दिसंबर 1980 को मार्क डेविड चैपमैन नामका का शख्स जॉन लेनन के घर पहुंचा. उसने खुद को लेनन का प्रशंसक बताया और ऑटोग्राफ मांगा. हर बार की तरह इस बार भी प्रशंसक की मांग को लेनन ठुकरा नहीं पाए. उन्होंने मुस्कुराते हुए ऑटोग्राफ दिया और चैपमैन के कंधे पर हाथ रखा.
लेनन की जिंदगी के ये कुछ आखिरी लम्हे थे. हंसी और हल्की फुल्की बातचीत के बाद ऑटोग्राफ लेने वाले 25 साल के युवक ने लेनन पर लगातार चार गोलियां दाग दी. लेनन का परिवार और हजारों प्रशंसक एक दिन बाद उनका जन्मदिन मनाने की तैयारी कर रहे थे. लेकिन माहौल में मातम पसर गया. अस्पताल पहुंचने से पहले ही 40 साल के जॉन लेनन दुनिया से विदा हो गए.
लेकिन उनके पोस्टर और गाने आज भी युवाओं की पंसद बने हुए हैं. पिछले महीने पहली बार बीटल्स के गाने एप्पल आईट्यून्स में आए. और हफ्ते भर के भीतर ही लेनन के गाने दो लाख लोगों ने खरीदे. जून में भी ऐसा एक मौका आया जब खुले तौर पर लेनन के प्रति लोगों की दीवानगी दिखाई पड़ी. लेनन ने 'ए डे इन द लाइफ' नाम का गाना लिखा था. इस गाने की ओरिजनल कॉपी लेनन की हैंड राइटिंग में थी. एक चाहने वाले ने इस कॉपी को 12 लाख डॉलर में खरीदा.
अब जॉन लेनन का बेटा अपने पिता की विरासत को आगे बढ़ाने की कोशिश कर रहा है. उनका हत्यारा अभी भी जेल में बंद है. और चाहने वाले आज भी लेनन को याद करते हैं, गुनगुनाते हुए कि....सोचो न स्वर्ग हो, न नर्क हो, न देश हो, न धर्म हो.
रिपोर्ट: एजेंसियां/ओ सिंह
संपादन: आभा एम