जो चाहा सब हासिल कर लियाः मुरलीधरन
७ जुलाई २०१०18 जुलाई को भारत के खिलाफ गाले में पहले टेस्ट मैच के बाद मुरलीधरन टेस्ट क्रिकेट को अलविदा कह देंगे. हालांकि वो अगले साले होने वाले वर्ल्डकप के लिए मौजूद रहेंगे. मुरली तो क्रिकेट से ही संन्यास लेना चाहते थे लेकिन श्रीलंका क्रिकेट बोर्ड ने उन्हें वर्ल्डकप तक वनडे में खेलते रहने का आग्रह किया है. मुरलीधरन ने मुंबई के एक अखबार को दिए इंटरव्यू में कहा कि वो वेस्ट इंडीज़ के खिलाफ खेलने के बाद रिटायर होना चाहते थे लेकिन अचानक उन्हें लगा कि क्यों न युवा खिलाड़ियों को मौका दिया जाए और भारत के खिलाफ खेलकर ही संन्यास ले लिया जाए. आखिरकार भारत इस समय टेस्ट क्रिकेट की नंबर एक टीम है.
मुरलीधरन ने कहा कि उन्हें खेल से विदा लेते समय कोई अफसोस नहीं है क्योंकि वनडे और टेस्ट क्रिकेट के दोनों रूपों में उन्होंने काफी कुछ पा लिया है. मुरली के नाम से मशहूर मुथैया मुरलीधरन ने वनडे मैचों में 515 और टेस्ट में 792 विकेट लेने का रिकॉर्ड बनाया है. मुरली दुनिया के सबसे सफल गेंदबाज माने जाते हैं.
गाले में होने वाला टेस्ट मुरलीधरन का 133वां टेस्ट मैच होगा. अगर वो 8 खिलाड़ियों को आउट करने में कामयाब हो जाते हैं तो टेस्ट क्रिकेट में उनके 800 विकेट हो जाएंगे.
हालांकि मुरली के करियर में सबकुछ अच्छा ही नहीं रहा. उनके हाथ में जन्म से मौजूद मोड़ को लेकर बड़ा विवाद उठा. कह गया कि मुड़ी हुई कोहनी की वजह से ही मुरली की गेंदबाजी में धार है. हालांकि आईसीसी ने पूरी जांच के बाद उन्हें इन आरोपों से मुक्ति दे दी.
रिपोर्टः एजेंसियां/ एन रंजन
संपादनः आभा एम