जोहानिसबर्ग में टीम इंडिया 190 पर ढेर
१५ जनवरी २०११कई मैचों से बुरी तरह फ्लॉप चल रहे मुरली विजय को टीम में एक बार फिर मौका दिया गया. वह सचिन तेंदुलकर के साथ पारी का आगाज करने उतरे. एक दो अटपटे शॉट्स मारने के बाद ही अंदाजा हो गया था कि विजय ज्यादा देर अपनी मुरली नहीं बजा सकेंगे. यही हुआ भी, 16 रन बनाते ही उन्हें सोत्सोबे ने पैवेलियन लौटा दिया.
इसके बाद विराट कोहली पारी संभालने उतरे. कोहली सधे अंदाज में बल्लेबाजी कर रहे थे लेकिन वो खराब किस्मत का शिकार बने. उन्होंने कवर पर शॉट जड़ा और रन लेने के लिए दौड़ लगा दी. मोर्केल ने दूर से ही ऐसा निशाना लगाया कि विराट की पारी 22 पर सिमट गई.
एक छोर पर दो विकेट गिरने के बावजूद मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर धीमे धीमे पिच के मिजाज को भांपने की कोशिश ही करते रहे कि बोथा उन्हें क्लीन बोल्ड कर गए. बोथा की धीमी गेंद पर तेंदुलकर का बल्ला जल्दी आगे आ गया और गेंद बल्ले का किनारा चूमती हुई विकेटों को ले उड़ी. मास्टर ब्लास्टर ने 24 रन बनाए. इस तरह 67 रन पर टीम इंडिया ने शीर्ष बल्लेबाज खो दिए.
हालांकि युवराज सिंह और कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने पारी संभालने की कोशिश की और चौथे विकेट के लिए 83 रन जोड़े. इन दोनों की बल्लेबाजी से लगने लगा कि टीम इंडिया झटकों से उबरकर 250 तक पहुंच जाएगी. लेकिन भारत की ओर से एक मात्र अर्धशतक जड़ने वाले युवराज को सोत्सोबे ने 53 पर आउट कर उम्मीदों पर पानी फेर दिया.
चौथा विकेट गिरते ही भारतीय पारी की नुमाइश शुरू हो गई. रैना और 38 रन बनाने वाले धोनी सोत्सोबे के आगे टीम को लाचार छोड़ गए. रही सही कसर स्टेन की तेज गेंदों ने पूरी कर दी. उन्होंने मोर्केल के साथ मिलकर पुछल्लों को ध्वस्त करते हुए भारतीय टीम को 48वें ओवर में 190 पर समेट दिया.
सोत्सोबे दक्षिण अफ्रीका का सबसे घातक हथियार साबित हुए. उन्होंने 10 ओवर में सिर्फ 22 रन खर्चे और विजय, युवराज, धोनी और रैना जैसे विकेट निकाले. पिच रिपोर्ट के मुताबिक जोहानिसबर्ग का विकेट बल्लेबाजी के लिए अच्छा है. रात में भी बल्लेबाजी करन में परेशानी नहीं होनी वाली हैं, बुरा प्रदर्शन करने वाली टीम इंडिया के लिए यह खबर भी बुरी ही है.
रिपोर्ट: एजेंसियां/ओ सिंह
संपादन: एन रंजन