टाइटेनिक के मलबे का मानचित्र बनाने की कवायद शुरू
२७ अगस्त २०१०टाइटेनिक के मलबे का मानचित्र बनाने हादसे की जगह पर पहुंची टीम ने सबसे पहले समुद्र की सतह पर फूल चढ़ाकर इस दुर्घटना में मारे गए लोगों को अपनी श्रद्धांजलि दी. अमेरिका की एक संस्था आरएमएस टाइटेनिक के सदस्य बुधवार को जीन चारकोट नाम की जहाज़ पर सवार होकर यहां पहुंचे. टाइटेनिक के मलबे की छानबीन करने का अधिकार इसी संस्था के पास है. इन लोगों के पास एक आधुनिक सबमर्सिबल गाड़ी भी है जो उच्च तकनीक और बढ़िया रिजॉल्यूशन वाले कैमरे से लैस है. इसी का इस्तेमाल करके जहाज़ के मलबे की थ्रीडी तस्वीरें बनाई जाएंगी.
इस काम के लिए अटलांटिक महासागर की तली में ट्रांसपोडर लगाए गए हैं जिससे कि टाइटेनिक की एकदम सही स्थिति का पता चल सके. करीब एक घंटे चालीस मिनट तक गोता लगाने के बाद पानी के भीतर चलने वाली गाड़ी समंदर की तली में पहुंची. आरएमएस टाइटेनिक की वेबसाइट से पता चला है कि सर्वे का काम शुरू हो गया है. विडियो कैमरे से लैस दूसरा रोबोटिक सबमर्सिबल अगले ह्फ्ते समंदर की तली में भेजा जाएगा. आरएमएमस टाइटेनिक के अध्यक्ष क्रिस्टोफर डेविनो ने बताया कि इस कवायद का मकसद आज की तारीख में टाइटेनिक के मलबे की बढ़िया और विस्तृत तस्वीर लेना है. उन्होने बताया कि तस्वीर लेने में जुटी टीम बेहतरीन तकनीक का इस्तेमाल कर रही है जिनकी मदद से ऐसी तस्वीरें ली जा सकेंगी जैसी पहले कभी नहीं ली गईं. करीब 20 दिन तक चलने वाली इस कवायद से हासिल हुए तस्वीरें और विडियो फेसबुक और ट्विटर पर तुरंत ही उपलब्ध करा दी जाएंगी. बाकी जानकारियां और तस्वीरें इस मिशन की वेबसाइट से हासिल की जा सकती हैं.
टाइटेनिक को इस तरह से तैयार किया गया था कि वो कभी डूबे नहीं लेकिन एक हिमखंड से टकराकर यह अपने पहले सफर में ही खत्म हो गया. इस हादसे में 1500 लोगों की जान गई. जहाज़ की हिमखंड से टक्कर 14 अप्रैल 1912 को हुई और एक दिन बाद यानी 15 अप्रैल को वह पानी में डूब गया. कई दशकों तक इसके मलबे की तलाश चली. आखिरकारर 1985 में समुद्र तल से करीब चार किलोमीटर नीचे पड़ा इसका मलबा ढूंढ लिया गया.
रिपोर्टः एजेंसियां/एन रंजन
संपादनः उभ