टेलीकॉम घोटाले में फंसे मारन
७ जुलाई २०११भारत की जांच एजेंसी सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट में कहा है कि यह मामला 2006 का है. इस घटना के बाद दयानिधि मारन के कैबिनेट में बने रहने पर खतरा पैदा हो गया है. एजेंसी का दावा है कि दयानिधि मारन ने टेलीकॉम मंत्री रहते हुए प्रोमोटर टी शिवशंकरन पर इस बात का दबाव डाला कि वह एयरसेल के अपने शेयर मलेशियाई कंपनी मैक्सिस ग्रुप को बेच दें. मारन 2004 से 2007 तक टेलीकॉम मंत्री रह चुके हैं.
वरिष्ठ वकील केके वेणुगोपाल ने जस्टिस जीएस सिंघवी और जस्टिस एके गांगुली के सामने 2जी घोटाले की जांच की स्टेटस रिपोर्ट पढ़ी. हालांकि उन्होंने मारन का नाम नहीं लिया लेकिन कहा कि चेन्नई के कारोबारी को दो साल तक यूएएस लाइसेंस नहीं दिया गया.
इसमें कहा गया कि मलेशियाई फर्म को मारन ने मदद पहुंचाई और जब उसने दिसंबर 2006 में एयरसेल पर काबू कर लिया तो इसके छह महीने के अंदर लाइसेंस दे दिया गया. जाहिर है कि उस समय भारत के टेलीकॉम मंत्री दयानिधि मारन ही थे. सीबीआई का प्रतिनिधित्व कर रहे वकील वेणुगोपाल ने कहा, "वह सज्जन (प्रमोटर) लाइसेंस के लिए दर दर भटक रहे थे लेकिन उनके पास अपना शेयर बेचने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा."
सुप्रीम कोर्ट में रिपोर्ट सौंपने के बाद सीबीआई सूत्रों ने संकेत दिया है कि मारन से भी इस मामले में पूछताछ की जा सकती है. मारन के विरोधियों ने इस मौके का लाभ उठाते हुए उनसे फौरन इस्तीफे की मांग कर दी है. बीजेपी और सीपीआई ने उनके इस्तीफे की मांग की जबकि मारन की डीएमके पार्टी की घोर विरोधी तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जयललिता ने उन्हें कैबिनेट से बाहर करने की मांग की है.
टेलीकॉम घोटाले के सिलसिले में मारन के सहयोगी और पूर्व केंद्रीय टेलीकॉम मंत्री ए राजा के साथ साथ पार्टी की सांसद कनिमोड़ी पहले ही तिहाड़ जेल में बंद हैं.
अदालत में सुनवाई के दौरान वेणुगोपाल ने कहा कि सीबीआई 2जी घोटाले की अपनी जांच 31 अगस्त तक पूरी कर लेगी. अदालत ने मामले की सुनवाई के लिए 11 जुलाई को अगली तारीख मुकर्रर कर दी है.
इस मामले में सेंटर फॉर पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन ने अदालत में दस्तावेजों के आधार पर दावा किया था कि मारन ने टेलीकॉम मंत्री रहते हुए मलेशियाई कंपनी की मदद की है.
रिपोर्टः पीटीआई/ए जमाल
संपादनः ओ सिंह