टैक्स हेवन से उठा रहे हैं ईयू के बड़े बैंक फायदा
२७ मार्च २०१७यह रिपोर्ट उस वक्त सामने आई है जब अधिकतर बहुराष्ट्रीय कंपनियों और संस्थाओं के कर मामलों पर दुनिया की निगाहें बनी हुई हैं. साल 2014 में हुये लुक्सलीक्स और साल 2015 में पनामा पेपर्स के खुलासे ने बड़ी कंपनियों के कर भुगतान से बचने के तरीकों को उजागर किया था.
ऑक्सफैम के कर विशेषज्ञ मैनन ऑब्री ने कहा कि यूरोपीय संघ (ईयू) के नये पारदर्शिता कानून यूरोप के बड़े बैंकों से जुड़े कर मामलों की जानकारी देते हैं. उन्होंने कहा कि जो नतीजे सामने आये हैं वे अच्छे नहीं है. उन्होंने बताया कि सरकार को नियमों में बदलाव करना चाहिए ताकि बैंक और कारोबारी इन टैक्स हेवेन देशों का इस्तेमाल कर भुगतान से बच ना सकें. रिपोर्ट में कहा गया है कि यूरोप के 20 बड़े बैंकों ने अपने मुनाफे का लगभग 26 फीसदी हिस्सा (27 अरब यूरो) इन देशों से कमाया है.
मसलन यूरोप के पांचवे सबसे बड़े बैंक बारक्लेस ने साल 2015 में तकरीबन 55.7 करोड़ यूरो का मुनाफा लक्जेमबर्ग में दर्ज किया और महज 10 लाख यूरो का टैक्स दिया. रिपोर्ट के मुताबिक यूरोपीय बैंकों ने इन जगहों पर 62.8 करोड़ यूरो का मुनाफा दिखाया है. यहां कंपनियों के पास कोई भी स्टाफ नहीं था. मसलन कैमेन द्वीप पर फ्रांस के बीएनपी पारिबास का मुनाफा 13.4 करोड़ यूरो रहा लेकिन यहां कंपनी का कोई भी स्टाफ नहीं था. वहीं अन्य बैंकों ने टैक्स हैवन्स को छोड़कर अन्य सभी जगह नुकसान दर्ज किया है.
साल 2015 में डॉयचे बैंक का अमूमन सभी बाजारों में मुनाफा घटा लेकिन कंपनी को 2 अरब यूरो का मुनाफा टैक्स हेवेन में हुआ.
ऑक्सफैम ने ये खुलासा ईयू के नये कानून का उपयोग करते हुये किया है जिसके मुताबिक बैंकों को अपने मुनाफे का खुलासा अब देशों के आधार पर करना होगा. इस कानून का मकसद बड़े बैंकों को कृत्रिम रूप से अपने मुनाफे को, कम और शून्य कॉरपोरेट टैक्स रेट वाले केंद्रों (लो टैक्स वेल्थ कंट्री) की ओर शिफ्ट करने से रोकना है. ऑब्री ने बताया कि अब इन नियमों को बड़ी कंपनियों के लिये भी लागू किया गया है ताकि हर उस केंद्र की रिपोर्ट प्राप्त की जा सकें जहां वे काम करती हैं.
एए/आरपी (एएफपी)