ट्राम में मोबाइल पोलिंग बूथ
१२ अप्रैल २०११पहले चुनावों में इन बस्तियों में रहने वालों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता था. उनको वोट डालने के लिए लंबी दूरी तय करनी पड़ती थी क्योंकि आसपास बूथ बनाने के लिए कोई अनुकूल जगह नहीं थी. लेकिन इस बार ऐसा नहीं होगा. अब इन ट्रामों को उन बस्तियों से सटी ऐसी सड़कों पर ले जाया जाएगा जहां ट्राम लाइनें बिछी हैं. लोग वहीं आकर अपना वोट डाल सकेंगे. कोलकाता और उसके आसपास के इलाकों में 27 अप्रैल को वोट पड़ेंगे.
राज्य की अतिरिक्त मुख्य चुनाव अधिकारी एन.के.सहाना कहती हैं, ‘वोटर लिस्ट की जांच के दौरान हमने कोलकाता की कुछ ऐसी बस्तियां देखी जहां आबादी बेहद घनी है. वहां बूथ बनाने पर सुरक्षा और इससे जुड़ी दूसरी वजहों से आम लोगों को दिक्कत होगी. इसलिए हमने उन इलाकों से होकर गुजरने वाली ट्रामों को ही पोलिंग बूथ में बदलने का फैसला किया है.'
महानगर के खासकर मानिकतला, बऊबाजार, इंटाली और श्यामबाजार इलाकों में कोई सरकारी इमारत या स्कूल भी नहीं है जहां बूथ बनाए जा सकें. चुनाव आयोग के एक अधिकारी के मुताबिक, उन इलाकों में वोटरों की तादाद 15 से 16 सौ तक है. एक वोटर को इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीन के जरिए अपना वोट डालने में औसतन बारह सेकेंड लगते हैं. इस लिहाज से एक मिनट में पांच लोग वोट देते हैं.
सहाना कहती हैं, ‘इन ट्रामों में पोलिंग बूथ बनाने का विचार अनूठा है. ट्राम के डिब्बे में काफी जगह होती है और कुर्सियां भी लगी होती हैं. इसलिए उनको बूथ में बदलने में कोई अतिरिक्त मेहनत नहीं करनी होगी.'
चुनाव आयोग के इस फैसले की वजह से अब मतदान के दिन कोलकाता की ट्रामें पोलिंग बूथ में तब्दील हो जाएंगी. यहां इस बात का जिक्र जरूरी है कि यह ऐतिहासिक ट्रामें कोलकाता की पहचान बन चुकी हैं. पूरे देश में सिर्फ कोलकाता में ही ट्राम चलती है.
रिपोर्टः प्रभाकर, कोलकाता
संपादनः एन रंजन