'ठोस सबूतों' के तहत क्रिकेटरों पर कार्रवाई हुई
६ फ़रवरी २०११आईसीसी के चीफ एक्जीक्यूटिव हारून लोरगाट ने कहा कि वह ट्राइब्यूनल के फैसले से संतुष्ट हैं. दोहा में एक प्रेस कांफ्रेंस में उन्होंने कहा, "हम ज्यूरी के फैसले से संतुष्ट हैं. ठोस सबूतों के मद्देनजर ही यह फैसला लिया गया और हमें उम्मीद है कि इसके बाद खेल की छवि सुधरेगी."
स्पॉट फिक्सिंग का दाग
पाकिस्तान के पूर्व टेस्ट कप्तान सलमान बट और तेज गेंदबाजों मोहम्मद आसिफ और मोहम्मद आमेर को आईसीसी के भ्रष्टाचार निरोधी ट्राइब्यूनल ने स्पॉट फिक्सिंग मामले में दोषी मानते हुए उन पर दस साल, सात साल और पांच साल का प्रतिबंध लगाया है. सलमान बट पर पाबंदी के दस साल में से पांच साल निलंबित पाबंदी के हैं जबकि आसिफ के सात में से दो साल निलंबित पाबंदी है.
तीनों क्रिकेटरों पर आरोप पाकिस्तान और इंग्लैंड के बीच लॉर्ड्स में पिछले साल खेले गए चौथे टेस्ट मैच के दौरान लगए. ब्रिटेन के न्यूज ऑफ द वर्ल्ड अखबार ने आरोप लगाया कि खिलाड़ियों ने पैसे लेकर पहले से तय समय पर नो बॉल फेंकी. अखबार का दावा है कि तीनों क्रिकेटर स्पॉट फिक्सिंग स्कैंडल में शामिल हैं और इसमें एजेंट मजहर मजीद की भी भूमिका रही.
कम नहीं है सजा
शुक्रवार को ब्रिटेन में अभियोजन पक्ष ने तीनों खिलाड़ियों पर आरोप तय कर दिए और अब उन्हें 17 मार्च को लंदन की अदालत में पेश होना है. हालांकि तीनों खिलाड़ी इस बात से इनकार कर रहे हैं कि उन्होंने कोई गलत काम किया है. हारुन लोरगाट ने इस बात को खारिज किया है कि खिलाड़ियों को कम सजा दी गई है. लोरगाट के मुताबिक मामले की सुनवाई एक अनुभवी और विशेषज्ञ ट्राइब्यूनल ने की है और फैसला संतुलित है. तीन सदस्यीय आईसीसी ट्राइब्यूनल की अध्यक्षता माइकल बेलोफ ने की और इसमें दक्षिण अफ्रीका के एल्बी सैक्स और केन्या के शरद राव भी शामिल थे.
लोरगाट ने कहा, "कानूनी नजरिए से आपको अपराध के हिसाब से सजा देनी चाहिए. हमें मैच फिक्सिंग और स्पॉट फिक्सिंग में अंतर करना चाहिए. ज्यूरी स्वंतत्र थी और उसने संतुलित फैसला देने का प्रयास किया है. सलमान बट और मोहम्मद आमेर ने आईसीसी पाबंदी पर निराशा जाहिर की है. बट को उम्मीद है कि आईसीसी आचार संहिता में बदलाव के बाद उन पर लगी पाबंदी को घटा दिया जाएगा. मौजूदा नियमों के तहत भ्रष्टाचार के मामले में कम से कम पांच साल प्रतिबंध की सजा होती है.
रिपोर्ट: एजेंसियां/एस गौड़
संपादन: ए कुमार