तनाव से क्यों गिरते हैं बाल
१ अप्रैल २०२१'नेचर' पत्रिका में छपे इस नए शोध में बताया गया है कि जब चूहों को तनाव की परिस्थितियों में रखा गया तब उनके शरीर में एक ऐसा हॉर्मोन बना जो शरीर के विकास के सामान्य चक्र में रुकावट डाल देता है. इस अध्ययन से इंसानों के इलाज के लिए उम्मीद मिल सकती है. शोध में चूहों के रोवों के झड़ने को उलटने का एक तरीका भी मिला है, लेकिन शोधकर्ता चेता रहे हैं कि यह नतीजे इंसानों के लिए भी कारगर हैं या नहीं यह जानने के लिए अभी और काम करने की जरूरत है.
बालों का बढ़ना तीन चरणों में होता है: ऐनाजेन, कैटाजेन और टेलोजेन. ऐनाजेन चरण में बाल का कूप या फॉलिकल लगातार बढ़ता रहता है, कैटाजेन चरण में उसका बढ़ना रुक जाता है और टेलोजेन चरण में ऐसे बाल जिनका बढ़ना रुक चुका है वो गिर जाते हैं. इन शोधकर्ताओं की टीम का नेतृत्व कर रहे थे हॉर्वर्ड विश्वविद्यालय में स्टेम सेल और रिजेनरेटिव बायोलॉजी के एसोसिएट प्रोफेसर या-शिए सू.
सू की टीम इस सवाल का जवाब तलाश रही थी कि तनावपूर्ण स्थितियों में बनने वाले हॉर्मोन क्या बालों पर सीधे रूप से असर करते हैं. तनाव में आने पार इंसान कोर्टिसोल नाम का एक हॉर्मोन बनाते हैं, जब कि चूहों में इस तरह के हॉर्मोन को कोर्टीकोस्टेरोन कहा जाता है जिसे एड्रेनल ग्रंथि बनाती है.
कोर्टीकोस्टेरोन की भूमिका के बारे में जानने के लिए कुछ चूहों के शरीर में से एड्रेनल ग्रंथि ही निकाल दी (एडीएक्स चूहे) और फिर उनके रोवों के बढ़ने के साइकल की दूसरे चूहों के साइकल से तुलना की. एडीएक्स चूहों के टेलोजेन चरण काफी छोटे हो गए और उनके रोएं ऐनाजेन चरण के दौरान ज्यादा और ज्यादा लंबे समय तक बढ़े. एडीएक्स चूहों में रोवों के बढ़ने के साइकल ज्यादा बार भी देखे गए: दूसरे चूहों के 16 महीनों में तीन बार के मुकाबले उतने ही महीनों में 10 बार.
इसके बाद कोर्टीकोस्टेरोन के बढ़े हुए स्तर के असर को देखा गया. हॉर्मोन अलग से दिए गए चूहों का भी निरीक्षण किया गया और उनका भी जिन पर बाहर से तनाव डाला गया था. दोनों समूहों में लंबे टेलोजेन साइकल देखे गए, जिसका मतलब है कि नए रोवों को आने में ज्यादा समय लगा.
लेकिन कोर्टीकोस्टेरोन यह करता कैसे है?
कई परीक्षणों के जरिए शोधकर्ताओं ने गैस6 नाम के एक प्रोटीन को पहचाना, जिसकी बालों के सामान्य विकास को उभारने में अहम भूमिका है. उन्होंने पाया कि बढ़े हुए कोर्टीकोस्टेरोन गैस6 के उत्पादन पर असर डाल रहे हैं और बालों के बढ़ने के साइकल को धीमा कर रहे हैं. गैस6 को बढ़े हुए कोर्टीकोस्टेरोन वाले चूहों की त्वचा में डाल देने से शोधकर्ता इस असर को उलट पाए.
लेकिन सू ने चेताया कि यह नतीजे इंसानों के लिए कोई चमत्कारी इलाज नहीं हैं. उन्होंने एएफपी को बताया, "हमारी खोज सिर्फ पहला कदम है और इसे इंसानों के लिए इस्तेमाल करने से पहले अभी और काम किए जाने की जरूरत है." हालांकि और शोध करने के लिए कई उम्मीद-जनक बातें हैं. सू ने बताया, "गैस6 के असर को देखते हुए यह देखना रोचक होगा कि क्या वो बिना तनाव के भी सामान्य रूप से बाल बढ़ाने में मदद कर सकता है या नहीं."
नॉर्थवेस्टर्न विश्वविद्यालय में पैथोलॉजी और डर्मेटोलॉजी के प्रोफेसर रुई ई ने बताया कि चूहों और इंसानों के बीच के अंतर की वजह से भी संभव है कि इन नतीजों की इंसानों के लिए सीधे सीधे अहमियत हो. उन्होंने नेचर पत्रिका द्वारा कराई गई एक समीक्षा में लिखा कि गैस6 के संभावित रूप से खतरनाक दुष्प्रभावों के बारे में जानने के लिए भी अतिरिक्त रिसर्च की जरूरत है. उन्होंने लिखा, "इंसानों के लिए आधुनिक जीवन बहुत तनावपूर्ण है. लेकिन हो सकता है एक दिन गैस6 की मदद से स्थायी तनाव के कम से कम हमारे बालों पर असर का मुकाबला किया जा सके."
सीके/एए (एएफपी)