तमतमाया म्लादिच अदालत में
३ जून २०११नीदरलैंड्स के द हेग की अदालत में म्लादिच ने कहा कि वह एक स्वाभिमानी जनरल है, जिसने कभी हार नहीं मानी. उसने जुर्म कबूलने से इनकार किया और सभी आरोपों को गलत करार दिया. म्लादिच ने जज अलफोंस ओरे को बताया कि वह गंभीर रूप से बीमार है और अपने ऊपर लगे किसी आरोप को सुनने को तैयार नहीं है.
जब ओरे ने उस पर लगे आरोपों का सार पढ़ा तो म्लादिच ने इनकार में गर्दन हिलाई. म्लादिच को बताया गया कि उस पर जुलाई 1995 में स्रेब्रेनित्सा में 8,000 मुस्लिम पुरुषों और लड़कों की हत्या का आरोप है. म्लादिच पर युद्ध अपराध के भी आरोप हैं. ये आरोप 1992 से 1995 तक सारायेवो के 43 महीने लंबे घेराव से जुड़े हैं जिसमें 12 हजार लोग मारे गए. ओरे ने आरोप पढ़ते हुए बताया कि बोस्नियाई सर्ब सेना ने बोस्नियाई राजधानी में लोगों को मारने, नुकसान पहुंचाने और उनमें दहशत फैलाने के लिए सोचे समझे तरीके से बराबर मुहिम चलाई.
देश का बचाव किया
म्लादिच ने कहा, "मैंने अपने लोगों और देश का बचाव किया, न कि रात्को म्लादिच का. मैंने क्रोएट्स को यह मान कर नहीं मारा कि वे क्रोएशिया के हैं. मैं तो सिर्फ अपने देश की रक्षा कर रहा था." 16 साल से फरार म्लादिच को पिछले हफ्ते सर्बिया की राजधानी बेलेग्रेड के नजदीक गिरफ्तार किया गया. अदालत में स्लेटी रंग के सूट और शर्ट पहने म्लादिच जज की बातों को बड़े गौर से सुन रहा था. बीच बीच में वह अपने सिर को हां या ना में हिलाता, अंगुली उठाता और कभी कभी चेहरे को भी साफ करता रहा.
1990 के दशक में म्लादिच को "बालकन इलाके का जल्लाद" कहा गया. उस पर सर्बों के दबदबे वाले यूगोस्लाविया संघ के छह देशों में बंट जाने पर जातीय नरसंहार के आरोप लगे. सर्ब राष्ट्रवादी मानते हैं कि म्लादिच ने देश की रक्षा की और उससे कहीं खतरनाक कारनामे तो क्रोएट्स और बोस्नियाई मुस्लिम सैन्य कमांडरों के रहे हैं. यूगोस्लाविया के विघटन के कारण बने पांच साल के संघर्ष में लगभग एक लाख तीस हजार लोगों की जानें गईं और कई शहर और गांव तबाह हो गए.
खूनी आंखें
युद्ध अपराधों के कई पीड़ितों ने अदालत में म्लादिच को देखा. वे बरसों से न्याय का इंतजार कर रहे हैं. स्रेब्रेनित्सा में सर्ब सेना के हाथों अपने 18 साल के बेटे और पति को खोने वाली मुनीरा सुबासिच का कहना है, "मैं यह देखने यहां आई हूं कि क्या आज भी उसकी आंखों से खून बरसता है. 1995 में मैंने उससे फरियाद की थी कि मेरे बेटे को जाने दो. उसने मेरी बात सुनी और उसे छोड़ने का वादा भी किया. मैंने उस पर भरोसा भी किया. आज 16 साल बाद मुझे अपने बेटे की हड्डियां भी नहीं मिली हैं. जब मैंने उस वक्त म्लादिच से बात की तो वह हत्यारा नहीं लगता था."
पूर्व यूगोस्लाविया के लिए 1993 में अंतरराष्ट्रीय ट्रिब्यूनल का गठन किया गया. उम्मीद है कि यह 2014 तक अपना काम पूरा कर लेगा. यह अदालत अब तक 161 लोगों पर मुकदमा चला चुकी है. इनमें एक को छोड़ कर बाकी सबको कानून के कठघरे में लाया गया है.
अदालत ने म्लादिच के मामले की सुनवाई 4 जुलाई तक टाल दी है.
रिपोर्टः एजेंसियां/ए कुमार
संपादनः ए जमाल