तालिबान के बढ़ते कदमों के बीच किस हाल में हैं अफगान
नाटो सेनाओं के अफगानिस्तान छोड़ देने के बाद, देश के इलाकों पर तालिबान का कब्जा बढ़ता जा रहा है. नाटो सेनाओं के पूर्व स्थानीय सैनिक विशेष रूप से डरे हुए हैं और देश छोड़ कर निकल जाने की कोशिश कर रहे हैं.
युद्ध के बाद का युद्ध
अंतरराष्ट्रीय सेनाओं के देश छोड़ देने के बाद देश गंभीर अशांति की ओर अग्रसर है. तालिबान का कब्जा बढ़ता जा रहा है. अफगान सेना के अलावा लड़ाकों के कुछ निजी समूह भी तालिबान से लड़ रहे हैं.
तालिबान की घेराबंदी
तालिबान के लड़ाकों के कदम बढ़ रहे हैं. उनके हमले आम लोगों को भी बुरी तरह प्रभावित कर रहे हैं. यह तस्वीर काबुल के दक्षिण में स्थित लश्कर गाह की है जहां एक हवाई हमले में एक अस्पताल और स्कूल नष्ट हो गए.
घर छोड़ कर जाने को मजबूर
नाटो सेनाओं के साथ काम कर चुके अफगान लोगों के लिए स्थिति विशेष रूप से खराब होती जा रही है. उन्हें बदला लेने के लिए किए जाने वाले हमलों का डर है और इस वजह से वे अपनी और अपने परिवार की सुरक्षा का इंतजाम करने में लगे हुए हैं. तालिबान के आ जाने पर सिर्फ सबसे जरूरी सामान बांध कर निकल जाना पड़ता है. यह तस्वीर काबुल के पश्चिम में हेरात के पास से इसी तरह भागते एक परिवार की है.
कुंदूज पर कब्जा
तालिबान ने कुंदूज में भी लड़ाई जीत ली है और राज्यपाल के दफ्तर और पुलिस मुख्यालय पर कब्जा जमा लिया. शहर के कुछ इलाके पूरी तरह से नष्ट हो गए हैं, जैसे कि ये दुकानें.
हार का प्रतीक
कुंदूज में अब तालिबान का झंडा लहरा रहा है, जो अफगानिस्तान के भविष्य के लिए संघर्ष में अफगान सेना की विफलता का प्रतीक बन गया है. नाटो सेनाओं के चले जाने से तालिबान के लिए 20 साल बाद सत्ता हथिया लेने के दरवाजे खुल गए.
पार्क में शरण
कई विस्थापित अफगानों ने काबुल में शरण ले ली है लेकिन वे राजधानी में आवास की कमी की वजह से पार्कों में शरण लेने पर मजबूर हैं. अंतरराष्ट्रीय सेनाओं के साथ काम कर चुके अफगानियों को कई देशों ने शरण देने के प्रस्तावों का दावा किया था, लेकिन अक्सर आवेदनों का जवाब ही नहीं आता. (सारा क्लाइन, क्लॉडिया डेन)