तालिबान हमला खत्म, सारे उग्रवादी मरे
१६ अप्रैल २०१२अफगानिस्तान के गृह मंत्री बिस्मिल्लाह मोहम्मदी ने बताया, "तीन नागरिक, आठ सैनिक और 36 उग्रवादी 18 घंटे चले हमले में मारे गए हैं जबकि 40 सैनिक और 25 नागरिक घायल हुए हैं. काबुल के तीन इलाकों में 16 हमलावरों ने हमला किया. इनमें से अधिकतर बुरका पहन कर आए थे." मोहम्मदी के मुताबिक "काबुल का हमला खत्म होने में 18 घंटे इसलिए लगे क्योंकि अफगान सुरक्षा कर्मी व्यस्त इलाकों में नागरिकों की सुरक्षा कर रहे थे." क्योंकि हमले वाले इलाके में काफी आम घर भी हैं.
रविवार दोपहर काबुल के सरकारी इमारतों और दूतावासों वाले इलाके में धमाके के साथ हमले शुरू हुए थे. संसद वाले इलाके में हमलावर आखिरी समय तक सुरक्षा कर्मियों की आंखों से बचते हुए हमला कर रहे थे. जबकि शुरुआत में दूतावासों के आसपास वाले इलाके में रॉकेट से ग्रेनेड हमले किए गए. नाटो के हेलीकॉप्टरों ने उसके हेडक्वार्टर और कई दूतावासों के पास आधी बनी इमारत में छिप कर हमला कर रहे चरमपंथियों को मार गिराया. दूतावासों, सुपरमार्केट, होटल और संसद पर हुआ हमला अब तक का सबसे गंभीर हमला था.
जोर का धक्का
इन हमलों ने एक बार फिर साबित किया है कि चरमपंथी किस तीव्रता से हमला कर सकते हैं और वह भी शहर के बीचों बीच और इन दावों के बावजूद कि उग्रवादियों की वार करने की क्षमता कम हुई है. हमलों की जिम्मेदारी वैसे तो तालिबान ने ली है लेकिन कुछ अधिकारियों का कहना है कि पाकिस्तान अफगानिस्तान सीमा पर सक्रिय हक्कानी गुट भी इसमें शामिल हो सकता है. अमेरिकी दूत रायन क्रॉकर ने सीएनएन के साथ बातचीत में बताया, "पुराने अनुभवों के आधार पर मेरा अंदेशा है कि यह उत्तरी वजीरिस्तान और पाकिस्तान के कबायली इलाकों में सक्रिय हक्कानी गुट की कार्रवाई है. मुझे नहीं लगता कि तालिबान इतनी अच्छी हालत में है."
अफगानिस्तान की सुरक्षा स्थिति के साथ एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय सेना के 2014 के अंत तक वहां से निकलने पर भी सवाल उठ रहे हैं. उधर तालिबान के प्रवक्ता जबीउल्लाह मुजाहिद ने कहा है कि यह हमले गर्मियों के हमले हैं. रविवार को तालिबान ने कहा था कि उनका मुख्य लक्ष्य जर्मन और ब्रिटिश दूतावास के साथ नाटो का मुख्यालय है.
यह हमला ऐसे समय में हुआ है जब अफगानिस्तान में एक महीने बाद नाटो देशों की शिखरवार्ता होने वाली है. इसमें अमेरिका और सदस्य देश अफगान सुरक्षा कर्मियों को सुरक्षा का जिम्मा सौंपने की योजना बनाने पर बात करने वाले हैं.
पिछले सितंबर में काबुल में इस तरह के हमले से अफगान सुरक्षा कर्मियों ने कोई सीख ली ऐसा लगता नहीं, उस समय भी चरमपंथी घुसपैठिए आधी बनी इमारत में घुस गए थे और वहां से रॉकेट हमले और गोलाबारी की थी. रविवार को भी चरमपंथी दूतावासों के आस पास बन रही बहुमंजिला इमारत में घुस गए. और वहां से उन्होंने रॉकेटों से हमले किए. चरमपंथी निर्माण स्थल पर लगी हरी जाली के कारण सुरक्षाकर्मियों की नजर से बचे रहे.
एएम/एमजे (रॉयटर्स, एएफपी)