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तुर्की में हिजाब का बहिष्कार

३० अक्टूबर २०१०

तुर्की के सैन्य प्रमुखों ने राष्ट्रपति भवन में आयोजित एक समारोह का इसलिए बहिष्कार किया क्योंकि राष्ट्रपति की पत्नी ने सिर पर इस्लामिक स्कार्फ यानी हिजाब पहना. इस बात पर देश में बवाल मचा हुआ है.

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तस्वीर: AP

शुक्रवार रात को राष्ट्रपति अब्दुल्लाह गुल ने 1923 में आधुनिक और धर्मनिरपेक्ष तुर्की की स्थापना को याद करने के लिए एक समारोह आयोजित किया. लेकिन इस समारोह में सैन्य प्रमुखों की गैरमौजूदगी चर्चा का विषय बनी रही. तुर्की के मीडिया के मुताबिक उसी वक्त पर सेना ने अपना एक समारोह आयोजित करा लिया और सैन्य प्रमुखों को समारोह में न आने का बहाना मिल गया.

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राष्ट्रपति गुल की पत्नी (बाएं से दूसरी)तस्वीर: AP

धर्मनिरपेक्ष भावना में विश्वास रखने वाले मुख्य विपक्षी दल रिपब्लिकन पीपल्स पार्टी ने भी राष्ट्रपति गुल के न्योते को ठुकरा दिया. प्रधानमंत्री रेसेप तैयप एर्डोगान ने सैन्य प्रमुखों और नेताओं के इस बहिष्कार की आलोचना की है. उनकी पत्नी भी हिजाब पहनती हैं.

असल में तुर्की की प्रथम महिला किशोरावस्था से ही हिजाब पहनती हैं. यह उनके सिर और गर्दन को ढक लेता है. लेकिन देश में इसे इस्लामिक कट्टरपंथ का प्रतीक माना जा रहा है. देश में 2002 से रूढ़िवादी जस्टिस एंड डिवेलपमेंट पार्टी की सरकार है. पार्टी के कई नेताओं की पत्नियां हिजाब पहनती हैं. इस पार्टी के नेता और प्रधानमंत्री को इस्लामिक परंपराओं को बढ़ावा देने वाला माना जाता है.

गुल की पार्टी के बहिष्कार की घटना के बाद प्रधानमंत्री ने सैन्य प्रमुखों से संपर्क किया और कहा कि उन्हें समारोह में आना चाहिए था. हालांकि पहले भी सैन्य प्रमुख इस तरह के समारोहों में जाते रहे हैं लेकिन इस बार समारोह में मेहमानों की पत्नियों को भी बुलाया गया. इसका मतलब था कि समारोह में हिजाब पहने महिलाएं मौजूद रहेंगी.

इस घटना का बड़ा राजनीतिक महत्व है क्योंकि सैन्य प्रमुख खुद को तुर्की गणराज्य का संरक्षक मानते हैं. उनके मुताबिक हिजाब देश की धर्मनिरपेक्ष परंपराओं के लिए खतरा है. वे लोग स्कूलों और सरकारी भवनों पर इसे पहनने पर लगे बैन में किसी तरह की ढील देने को तैयार नहीं हैं. जबकि सत्ताधारी पार्टी से आने वाले गुल इस बैन को हटाने के लिए दबाव बनाते रहे हैं. कई जगह उन्हें कामयाबी भी मिली है.

रिपोर्टः एजेंसियां/वी कुमार

संपादनः उज्ज्वल भट्टाचार्य

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