तेजी से बेहतर हो रहा है चीनी कार उद्योग
२६ जून २०११चीन की पहली एक्स्पोर्ट कार लैंडविंड कुछ साल पहले यूरोप में क्रैशटेस्ट में फेल हो गई थी, लेकिन उसके बाद से चीनी इंजीनियरों ने सुरक्षा के मामले में बहुत प्रगति की है. अब चीनी कारें सुरक्षा टेस्ट में बेहतर नतीजा दे रही हैं. पश्चिम के साथ दौर में कंफ्यूशियस के चेलों ने एक गीयर बढ़ा दिया है. वे पश्चिमी ऑटोमोबाइल और कल पुर्जा बनाने वाली कंपनियों में हिस्सा खरीद रहे हैं ताकि उन्हें उच्च तकनीक और सर्विस नेटवर्क मिल सके.
चीन का ऑटोमोबाइल बाजार दुनिया का सबसे बड़ा ऑटोमोबाइल बाजार है और चीनी सरकार चाहती है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी चीनी उद्यम महत्वपूर्ण भूमिका निभाएं. चीन के अत्याधुनिक सड़कों पर दुनिया भर के मॉडेल दिखते हैं, लेकिन सारी कोशिशों के बावजूज ऑटोमोबाइल विशेषज्ञों का मानना है कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आने में अभी सालों लगेंगे. म्यूनिख के आर्थिक विश्लेषण संस्थान के हेल्मुट बेकर कहते हैं, "वे 20 साल के अंदर जमीन से ऑटोमोबाइल उद्योग खड़ा नहीं कर सकते." बेकर का कहना है कि चीन को चर्चा लायक कारों को निर्यात करने में कम से कम दस साल लगेंगे. फिलहाल चीनी उद्यमों को भी घरेलू बाजार में ही बहुत कुछ करना है.
चीन की पांच प्रमुख कार कंपनियां चांगान, चेरी, बीवाईडी, डोंगफेंग और जीली ने इस साल पहले चार महीनों में कुल साढ़े 9 लाख कारें बेची हैं जो बाजार का 20 फीसदी भी नहीं है. बाजार पर फोल्कस्वागेन और जीएम का वर्चस्व है. इस समय जर्मन कंपनी फोल्क्सवागेन का कारें चीन में चोटी पर हैं. लेकिन ऑटोमोटिव इंस्टीच्यूट ऑफ मैनेजमेंट के फ्रांत्स रूडॉल्फ एश का कहते हैं, "चीनियों को कभी भी कम कर नहीं आंका जाना चाहिए."
चीनी कारों को देश के बाहर अभी तक कम ही लोग जानते हैं. फोर्ड से वॉल्वो खरीद कर पहली बार चीन की जीली कंपनी सुर्खियों में आई. अब दूसरे भी उसकी देखा देखी कंपनियां खरीद रहे हैं. कार विक्रेता पांगदा ने स्वीडन की खस्ताहाल साब कंपनी में शेयर खरीद लिया, जबकि चीन की सरकारी कंपनी सीक्यूएलटी ने दिवालिया हो गई पुर्जा बनाने वाली कंपनी सारगुम्मी को खरीदा.
इस समय कार और ट्रक बनाने वाली कंपनी डोंगफेंग गीयर बनाने वाली जर्मन कंपनी गेट्राग में हिस्सेदारी के लिए सौदेबाजी कर रही है. शंघाई के निकट स्थित इंवेस्टमेंट होल्डिंग जॉयसन ऑटोमोटिव ने जर्मन ऑटो इलेक्ट्रॉनिक कंपनी प्रेह में 75 फीसदी हिस्सेदारी खरीद ली है.
अब चीनी कंपनियों की निगाह ओपेल पर है. ओपेल अमेरिका के जनरल मोटर्स का उपक्रम है और उसे बेचने की अटकलें चलती रहती हैं. चीनी कंपनी बीएआईसी के साथ बिक्री के लिए हो रही बातचीत की खबरों का जनरल मोटर्स ने खंडन नहीं किया है. ऑटोमोबाइल विशेषज्ञ फैर्डिनांड डूडेनहोएफर कहते हैं, "चीनी बीएआईसी के लिए ओपेल जनरल मोटर्स के मुकाबले अधिक मूल्यवान है." जब दो साल पहले ओपेल को बेचने की चर्चा हो रही थी को बीएआईसी ने दिलचस्पी दिखाई थी.
अपने ऑटोमोबाइल इंजीनियरों और उद्योग का स्तर बढ़ाने के लिए चीन की सरकार ने पश्चिमी कंपनियों को चीनी सहयोगियों के साथ ज्वाइंट वेंचर में ही कार बनाने की अनुमति दी है. ऑटोमोटिव मैनेजमेंट सेंटर के प्रमुख स्टेफान ब्रात्सेल कहते हैं, इसकी वजह से चीनी बेहतर हुए हैं लेकिन पश्चिमी प्रतिद्वंद्वियों से दूरी अभी भी बनी हुई है. ब्रात्सेल इसकी वजह पश्चिमी कंपनियों की नाकेबंदी की नीति को देते हैं. वे इसका ख्याल रख रहे हैं कि ज्वाइंट वेंचर में नो हाव न जाए.
चूंकि चीनी कार उद्योग का मनचाहा विकास नहीं हुआ है इसलिए सरकार ने अब विदेशी कंपनियों से चीनी कंपनियों के साथ मिलकर साझा मॉडलों का विकास करने को कहा है. ज्वाइंट वेंचर से अलग अब पश्चिमी कंपनियों को अपने इलेक्ट्रो कारों का पेटेंट खोलना होगा.
रिपोर्ट: एजेंसियां/महेश झा
संपादन: एमजी